Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

चार मित्र-अंतरिक्ष में खोए

चार मित्र-अंतरिक्ष में खोए

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अरविंद,पंकज,नीरज और अम्बुज चारों ही मित्र वीडियो काल के माध्यम से जुड़कर अपनी विज्ञान के महत्त्व की बात कर रहे थे। प्रतिदिन वे चारों ही इस प्रकार ऑनलाइन रहकर इस वैश्विक महामारी कोरोना के भीषण प्रकोप से अपने अध्ययन कार्य का न्यूनतम नुकसान करते हुए आपस में चर्चा करते हैं। वे अपनी नियमित ऑनलाइन कक्षा में टीचर द्वारा समझाए गए प्रकरण को दोहराते हुए उसकी व्याख्या करते हैं। ऑनलाइन कक्षा के दौरान अपने मन में आए संदेहों की आपस में चर्चा करते हैं। सभी संदेहात्मक बिंदुओं जिनका निधन उनकी अपनी आपसी चर्चा में नहीं हो पाता उसको नोट भी करते जाते ताकि अगली कक्षा में अपने टीचर के साथ वह उनका स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकें। अपनी चर्चा के दौरान वह कुछ रुचिकर अनौपचारिक तथ्यों पर भी आपस में बात कर लिया करते हैं ताकि बातचीत के दौरान उन सबकी बातचीत में दिलचस्पी बनी रहे क्योंकि केवल विषय की बात करते करते कभी-कभी बोरियत महसूस होने लगती है।इस बोरियत को दूर करने के लिए ही कुछ अनौपचारिक बातें भी बीच-बीच हो जाया करती हैं।


अंबुज ने आविष्कारों और इन आविष्कारों के अनुप्रयोग पर अपनी-अपनी राय सबके बीच रखने के उद्देश्य से कहा-"केवल विज्ञान के आविष्कार कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। विज्ञान के माध्यम से जो अविष्कार हुए हैं जिन नवीन सिद्धांतों और यंत्रों को खोजा गया है इनका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए होना चाहिए । प्राय: ऐसा देखने में आता है कुछ अविष्कार हुए जिनका मानवता के कल्याण से कहीं ज्यादा उनका दुरुपयोग मानवता के नियमों के विरुद्ध किया गया। सोनोग्राफी की मदद गर्भस्थ शिशु का अध्ययन करके उसके शरीर में उसके साथ की जांच और किसी भी विसंगति का पता करना था लेकिन धन लोलुप सोनोग्राफर्स ने इस तकनीक का दुरूपयोग भ्रूण के लिंग का पता करने में किया जो कन्या भ्रूण हत्या के जगन अपराध के कार्यान्वयन के सच को उजागर करता है। नाभिकीय विखंडन की श्रृंखला - अभिक्रिया को नियंत्रित करके न्यूक्लियर रिएक्टर में विद्युत बनाने में किया जाना चाहिए था लेकिन शैतान दिमाग न्यूक्लियर बम बनाने में लग गया और यह बात हम सबके बीच जग जाहिर है न्यूक्लियर बम संपूर्ण मानवता के विरोधी हैं। डायनामाइट और ए.के.-47 का आविष्कार मानव कल्याण को ध्यान में रखकर किया गया लेकिन आज आतंकवादी इनका दुरुपयोग कर अत्याचार करते और दहशत फैलाते हैं।"


"विज्ञान के अधिकांश आविष्कार किसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किए गए। क्या ऐसा मेरा मानना सही है ?"-अरविंद ने अपना प्रश्न रखा।


"एकदम करेक्ट सोच है मेरे बिरादर यानी ब्रदर की। इसलिए ही तो कहा गया है 'आवश्यकता आविष्कार की जननी है'।"-पंकज ने अरविंद के विचार का समर्थन करते हुए अपनी सहमति जताई।


"आवश्यकता के साथ कुछ परिकल्पनाएं भी विज्ञान के नए आविष्कारों के मूल में होती हैं। कुछ घटनाएं परिकल्पनाएं कभी-कभी किसी समस्या के समाधान का मार्ग प्रशस्त करती हैं। ऐसा माना जाता है कि केकुले ने अपने एक सपने में एक सांप को अपनी उसको मुंह में दबाए वृत्ताकार रूप में देखा इस स्वप्न के बाद ही वे बेंजीन की संरचना बताने में सफल हो सके थे। कल्पनाशीलता किसी भी अविष्कार की आवश्यकता के बाद की परिघटना होती है।"-नीरज ने अपने मन में आई बात में परिकल्पना के महत्त्व को प्रभावी बताते हुए कहा।


अंम्बुज ने अपनी काव्य प्रतिभा की झलक प्रस्तुत करते हुए विज्ञान आविष्कारों का उपयोग सकारात्मक ,सार्थक और कल्याणकारी कार्यों में किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।इसका प्रस्ताव रखते उसने कहा-

"सभी मानते नूतन अविष्कारों संग विज्ञान बड़ा है सच्चा।

अगर स्वामी है तो अति निकृष्ट, और सेवक है तो अच्छा।।"


अरविंद ने अंबुज को छेड़ते हुए कहा बिल्कुल सोलह आने सच और मुझे पूरा विश्वास है कि तूने यह बात सीवर लाइन के मेनहोल के अंदर से ही कहीं होगी, है न। नाराज मत होना इसका मेरा तर्कपूर्ण स्पष्टीकरण सुन ले । सीवर के मेन होल में सूरज की किरणें नहीं पहुंच पाती है और तेरी इन पंक्तियों से सिद्ध हो गया है कि तो तू कवि हो गया और कवि वहां पहुंच जाता है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता । इसलिए एक अच्छे कवि करूं मैं तेरी पहचान का अर्थ है कि तेरी पहुंच वहां तक होनी चाहिए। जहां सूरज नहीं पहुंच सकता। कहा गया है न,' जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि। सही ना कहा मैंने दोस्तों। अभी एक और धर्म संकट पैदा हो गया अभी अंबुज नई नई कविताएं लिखकर हम सबको बोर करेगा अब अपना मित्र है तो सुननी ही पड़ेंगी। थोड़ा रहम करके सुनाना है। भले लोगों से ऐसा सुनने में आता है कि कवि को श्रोता नहीं मिलते जो उसके मन के भावों की कद्र करके उसकी कविता को ध्यान पूर्वक सुने। इसलिए वह कविता लिखने से ज्यादा श्रोताओं की तलाश में ज्यादा ध्यान देता है।"


"हम सब की चर्चा का विषय साइंस फिक्शन की ओर जा रहा था लेकिन तुम्हें तो बीच-बीच में अपना खुरपेंच लगाने की आदत है जिससे बाज नहीं आते"-अम्बुज ने इस चुहलबाज़ी पर विराम लगाते हुए कहा।


"नेटफ्लिक्स के अमेरिकी विज्ञान की काल्पनिक श्रृंखला की दूसरे दिन की घोषणा मई, 2018 में की थी और यह 24दिसंबर ,2019 में रिलीज हुई। रॉबिंसन परिवार का अंतरिक्ष यान जुपिटर-2 एक रहस्यमयी महासागरीय ग्रह पर जाकर फंस जाता है।इस समय उनके साथ उनका प्यारा रोबोट भी नहीं होता। रॉबिंसन परिवार के सभी सदस्य अपने अपने तरीके से काम करते हैं। डॉक्टर स्मिथ और डॉन वेस्ट सभी के साथ मिलकर समाधान ढूंढते हैं और दूसरे लोगों के साथ मिलकर भी प्रयास करते हैं । एक समस्या आती है कि उन्हें जल्दी ही पता लगता है कि यह वैसा नहीं हो रहा है जैसा कि लगता है। वहां पर अप्रत्याशित तरीके से और कल्पना से भी परे कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जिनसे राबिन्सनन परिवार को अल्फा सेंचुरी तक पहुंचने के लिए एक सुगम रास्ता एक रोबोट के मिलने से मिलता है।"-अरविंद ने इस विज्ञान काल्पनिक कथा को संक्षिप्त में बताते हुए कहा।


पंकज -नीरज एक साथ बोल उठे-"भाई ,तू तो याद सा दिला रहा है जैसे हम इस कहानी से परिचित हों।जैसे 'सावन के अंधे को जेठ - वैशाख में भी सब हरा-भरा नजर आता है ' अब तुझे जो चीज मालूम है तो तू समझता है कि हमें भी वैसे ही मालूम है। अब तो इस कहानी को छू थोड़ा सिलसिलेवार ढंग से बताने की कृपा कर।"


अरविंद ने धीरे-धीरे बताना शुरू किया-"उस जलीय ग्रह पर सात महीने के बाद रॉबिंसन अपना अंतरिक्ष यान जुपिटर -2 ठीक करने में सफल हो जाते हैं। उधर पेनी और मॉरिन एक धात्विक फस जाते हैं इसी बीच डॉन बुरे विष का शिकार हो जाता है। फेसबुक अपने मिशन पर लगे रहते हैं और अंततः उन्हें उस ग्रह की समस्याएं हैं उनसे छुटकारा मिलता है बे पूरे संयम और साहस के साथ अनुशासित ढंग से लगे रहते हैं और विभिन्न घटनाओं -ग्रुप में जुड़े हुए वहां से सुरक्षित बच कर निकलने में भी कामयाब हो जाते हैं।"


अंबुज ने कहा-"लगता है तू ज्यादा डिटेल में बताने के मूड में नहीं है। यह काल्पनिक विज्ञान कथा स्पष्ट करती है कि हमसबकी जिंदगी में जो हमारी कल्पनाएं हैं वह भी सकारात्मक होनी चाहिए। नकारात्मक संकल्पनाएं भी हमें विकास की ओर बढ़ने से रोकती हैं अगर हमें विकास करना है तो हमारी सोच, हमारी कल्पना ,हमारे भाव और हमारे कार्य सदा ही सकारात्मक होने चाहिए। जब हम किसी अच्छे लक्ष्य की ओर बढ़ रहे होते हैं तो हमारे रास्ते में जो भी समस्याएं आती हैं उन्हें एक टीम भावना के साथ में मिलजुल कर एक दूसरे को का सहयोग करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। हम नियोजन, साहस, धैर्य और अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें तो अंततः सफलता अवश्य ही मिलती है। कवि हरिवंश राय बच्चन एकता की इन पंक्तियों को जीवन में हर किसी को स्मृत रखना चाहिए 'लहरों से डरने वालों की नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।' चलो आज की मीटिंग यहीं खत्म करते हैं और अगले दिन मिलते हैं।


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