चापाकल मधुर स्मृति
चापाकल मधुर स्मृति
चापाकल या हैंडपम्प मानवी शक्ति से चालित एक यांत्रिक युक्ति है।
जो द्रवों एवं हवा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सहायता करता है।
इनकी डिजाइन में यांत्रिक लाभ के सिद्धान्त का उपयोग किया गया होता है। चापाकल प्राय: सभी देशों में बहुतायत में प्रयोग किये जाते हैं।
हैंड पंप जब पानी की बहुत समस्या होती है तब यह हैंडपंप ही काम लगते हैं ।
हमारे दूसरे वाले मकान में भी एक हैंडपंप लगा हुआ है जिसमें अभी तो जंग आ गया है। उसको हमने ठीक करा है ।
पुराना मकान था उसके अहाते में एक हैंडपंप लगा हुआ है ।
बोलते हैं करीब 50 साल पुराना है।
पहले जब पानी की किल्लत थी तब पूरी कॉलोनी के लोग उस हैंडपंप से पानी निकाल कर लेकर जाते थे ।
अभी तो हमने वैसे ही ढक के रखा हुआ है।
अब मैं आपको करीब 30 साल पुरानी यादों का सिलसिला शेयर करती हूं ।
उदयपुर में उस साल पानी की बहुत किल्लत थी ।
जगह जगह पर हैंडपंप लगे हुए थे।
हमारे घर के सामने भी एक बड़ा अच्छा सा हैंडपंप था ।लोग इस पर पानी भरा करते थे। और जो म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का पानी आता था वह बहुत ही खराब होता था।
तो पानी पीने के लिए हम लोग भी वहां से भर के लाया करते थे।
उस साल पूरे उदयपुर में सबको पानी भरते कर दिया था ।
सब अपनी अपनी साइड के हैंडपंपों से पानी भरा भरते थे। पानी खींच कर लाना हैंडपंप चलाना मतलब कसरत का काम और फिर घर पर लाना भले सामने से ही लाना हो पर बड़ी कसरत होती थी ।
कभी-कभी आलस भी आ जाता था ।
उदयपुर हम गर्मी की छुट्टियां में ही जाते थे और अपना मकान खोल के रहते थे ।
सुविधाएं जुटाने पड़ती थी।
बाकी सब तो हो जाता है पर पानी की बड़ी किल्लत लगती थी।
एक बार मैं अकेली थी ।
मैंने सोचा कौन जाए पानी भरने जो पानी घर में नल से आ रहा था, एक दो गिलास पानी वही पी लिया ।
उस दिन में इतनी बीमार हो गई मुझे bacterial diarrhoea हो गया।
उसके बाद कसम खाई कॉरपोरेशन का पानी नहीं पियूंगी।
उस दिन यह बात समझ में आई कि कि वह लोग हैंड पंप से मेहनत करके पानी क्यों ले करके आते हैं। यह मेरा अनुभव रहा।
हैंड पंप तो सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए हर जगह लगा रखे हैं।
थोड़ी थोड़ी दूरी पर गर्मी में कोई भी प्यासा हो तो वहां से निकाल कर पानी पी सकता है। और बहुत ही मीठा और ठंडा पानी आता है। अब तो उदयपुर में घर-घर में बोरवेल लगने लग गए हैं।
क्योंकि पानी की किल्लत तो होती ही रहती है।
आज इस विषय में मुझे 30 साल पीछे भेज दिया और वह समय याद दिला दिया जब बच्चे हैंडपंप चलाते थे, और हम पानी भरते थे। और घर में लेकर आते थे।
पीने का पानी बहुत ध्यान से काम में लेते थे। कि खत्म ना हो जाए वापस लेने जाना पड़ेगा।
हम लोग तो अभी तक भी पानी बॉयल करके ही पीते हैं। कोई आर ओ नहीं ,कोई एक्वागार्ड नहीं, सबसे सेफ जो है वह बॉयल वॉटर ही है। तो हम वही युक्ति वर्षों से काम में ले रहे हैं और लेते रहेंगे जैन धर्म में तो पानी को उबालकर पीने का बता ही रखा है।
स्वरचित सत्य
