बुरा समय/समय
बुरा समय/समय
'छत्तर दादा अब तो तुम्हारा ही सहारा है, ढपोर पहलवान मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ है......आपकी नजरे इनायत हो जाए तो मेरी जान बच जाए।' गुलफाम नगर का फुल्ली फालतू निकम्मा ढक्कन प्रसाद छत्तर दादा के पैर पकड़ते हुए बोला।
'क्यों बे ऐसा क्या कर दिया तूने जो ढपोर पहलवान तेरे पीछे लगा है।
'दादा कल मैंने उसकी बहन छाया को शादी के लिए प्रपोज कर दिया, आप ही बताओ शादी का प्रस्ताव देना कबसे जुर्म हो गया? डी पी ने जवाब दिया।
'बेटे शादी का प्रस्ताव देना कोई जुर्म नहीं है लेकिन कहाँ तो १५० कुंतल का फुटबाल नुमा आदमी और कहाँ वो ४० किलो की छुई मुई लड़की ये बेमेल शादी का प्रस्ताव तो मेरी भी समझ से परे है।' छत्तर दादा ने डी पी को कहा।
'किस जमाने की बात कर रहे दादा? औरत तो आदमी से हल्की ही होनी चाहिए।' डी पी ने दलील दी।
'सही बोला तू लेकिन यहाँ वजन का अंतर ११० किलो है जो कुछ ज्यादा ही है। खैर मेरी छोड़ तूने सीधे लड़की से क्यों बात की, ढपोर पहलवान से ही छाया से अपने रिश्ते की बात कर लेता।' छत्तर दादा ने सलाह दी।
'दादा जब प्रेम तो छाया से किया है तो पहले तो उसी से बात करता या उसके पहलवान भाई से बात करता?' डी पी ने जवाब दिया।
'तो अब लगे हाथ ये भी बता दे ये प्रेम दोनों तरफ से था या सिर्फ तेरी तरफ से?' छत्तर दादा ने पूछा।
'दादा फ़िलहाल तो प्रेम एक तरफा ही था लेकिन हिंदुस्तान में शादी के बाद ही असली प्यार शुरू होता है, एक बार छाया से शादी हो जाती फिर तो हमे प्यार ही प्यार करना था। डी पी ने दलील दी।
'सही बोला बेटे तू हमारे ही समझने में खोट है। अब तू ये बता तू मुझसे क्या चाहता है?' छत्तर दादा ने बोर होते हुए पूछा।
'दादा ढपोर पहलवान मुझे पीटने के चक्कर में घूम रहा है, मुझे उससे बचाओ।' डी पी ने जवाब दिया।
'बेटे कारनामा तो तेरा पिटने लायक ही है, लेकिन जब मेरी शरण में आया है तो पिटने तो नहीं दूँगा तुझे। तू जा मैं फोन करके समझा दूँगा उसे, वो तेरी इस करतूत के लिए तो नहीं पीटेगा तुझे बाकी किसी और लफड़े में तू उसके हत्थे चढ़ जाए ये अलग बात है।' छत्तर दादा ने जवाब दिया।
'जुग-जुग जीयो दादा।' कहकर डी पी छत्तर दादा की घुड़साल से चला गया।
दो दिन बाद
'दादा अस्पताल चलो, किसी ने अपने डी पी भाई के हाथ-पैर तोड़ दिए है।' सुबह-सुबह घबराए हुए मक्खन लाल ने छत्तर दादा को खबर दी।
'ये तो गजब हो गया, ढपोर पहलवान को तो मैंने समझा दिया था। अब किसने पीट दिया डी पी को?' छत्तर दादा ने चिंता के साथ खुद से ही कहा।
अस्पताल पहुँचने पर पता लगा कि मजनू टीले की छमिया ने डी पी को बहुत मारा है।
'क्यों बे अब ये छमिया का क्या किस्सा है?' छत्तर दादा ने पट्टियों में लिपटे डी पी से पूछा।
'दादा मेरी शादी की उम्र निकली जा रही है कल इसी चक्कर में मैंने मजनू टीले की छमिया को प्रपोज कर दिया।
'ढक्कन बेटे लगता है तेरा बुरा समय चल रहा है, तभी तो जिसे देखता है उसे प्रपोज कर बैठता है। या फिर आज कल तेरे पंख बहुत ज्यादा निकल गए है। जरा सोच समझ कर चल ऐसा न हो किसी दिन इस आशिकी के चक्कर में तेरा जुलूस निकल जाए.......' छत्तर दादा ने ढक्कन प्रसाद को समझाते हुए कहा।