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Krishna Raj

Comedy

4  

Krishna Raj

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बुरा न मानो होली है..

बुरा न मानो होली है..

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"मम्मी,, कुछ देर के लिए बाहर जा रहा हूं..."

"अरे बेटा,,, होली का समय है,लोग रंग डाल देंगे... मत जा ना.."

"नहीं माँ,, वैसे भी अब मुझे कोई नहीं पहचानता..."

"पप्पु,, रुको बेटा.."

"हो मम्मी,,, आप तो पप्पू मत कहो न.." पप्पू नाराज होते हुए बोला..

"अच्छा अच्छा,, नहीं बोलती,,पर बाहर ही जाना है तो वो कुर्ता पहन लो जिसकी जेबें फटी हैं,, जिस से अक्सर हाथ बाहर निकाल लेते हो तुम..

और हाँ, मैंने उसकी आस्तीन भी छोटी कर दी है,, तुम्हें बार बार आस्तीन चढ़ाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी,,"

"ओह मम्मी,, आप कितना ख्याल रखती हैं मेरा,,"

"हां बेटा,,, शायद मेरे ख्याल ने ही तुम्हें पप्पू बना दिया,," मम्मी ने बड़बड़ाते हुए कहा...

"क्या कहा आपने???"

"कुछ नहीं बेटा,, जाओ और जल्दी आना.."

"ओके मम्मी.."

पप्पू के सितारे आजकल बड़े गर्दिश में चल रहे थे ...फाइनल ईयर ही नहीं निकाल पा रहा था.. कॉलेज में सब उसे चिढ़ाने लगे थे,, क्लास रूम तो क्या पूरा कॉलेज ही उसे बाहर निकालने पर उतारू हो चुका था,,, वो तो शुक्र था कि किसी जमाने में उसकी दादा और परदादी उस कॉलेज के ट्रस्टी रहे थे, इसलिए पप्पू अब तक वहाँ टिका था..

वर्ना तो कब से उसे खदेड़ दिया जाता.. 

पप्पू बाहर निकला.. बाहर हुड़दंग मचा था... लोग रंग गुलाल से सरोबार सड़कों पर नाच रहे थे... इस बार तो कुछ ज्यादा ही रंगीन माहौल था.... शायद पप्पू को ऐसा ही लग रहा था... 

"अरे पप्पू,, इधर आ जाओ भई,, "

आवाज की दिशा में देखा,, "अरे अखिल भाई,, तुम यहां,, "

"हां भाई पप्पू,, घर में बैठा बोर हो रहा था इसलिए यहाँ आ गया,,"

एक चाय की छोटी से दुकान में अखिल अपने बाकी दोस्तों के साथ बैठा था,, पप्पू सबको देखकर खुश हो गया.. 

"क्या बात है आज सब एक साथ.." पप्पू ने सभी साथियों की तरफ देखा... 

"हम सब एक ही नाव के सवार हैं दोस्तों,, तो एक साथ ही होंगे.. "

पप्पू की तरह ये लोग भी बेचारे एक क्लास में मजबूती से टिके रहने वाले लोग थे,, उनमें से तो कुछ कानाफूसी भी करते थे कि कहीं ये पप्पू पनौती तो नहीं.. जिस से हाथ मिलाता है, उसी का बेड़ा गर्क हो जाता है.. 

"वैसे एक बात तो बताओ अखिल... आप सब यहाँ,, हम लोगों का अड्डा कहीं और हुआ करता है.. "

"अरे भाई पप्पू अब उस अड्डे पर बुलडोजर चल चुका है,, उनका कहना था वो वो अड्डा उनकी जमीन पर बना था.. इसलिए यहाँ बैठे हैं.. "

"लो चाय पियो,," अखिल ने पप्पू की तरफ चाय का का कप बढ़ाया,, 

"आप जानते हो अखिल भाई,, मुझे चाय से कितनी नफरत है,," एक तरह से एलर्जी सी है,, पता "नहीं चाय देखकर मेरी आँख फड़फड़ाने लगती है,, और अनायास ही मैं सबके गले लगने लगता हूँ.. "

"अरे भाई पप्पू,, इस चाय से ऐसा कुछ नहीं होगा,, मुझ पर भरोसा करो,, और यहां सब आपके साथी हैं,, इस बहाने अपनों के ही गले पड़ोगे,,,ओह,, मतलब लगोगे.." 

काफी ना नुकुर के बाद पप्पू ने कप ले ही लिया... 

चाय की पहली चुस्की लेते ही पप्पू को ताजगी का एहसास हुआ,, 

बिल्कुल उस विज्ञापन की तरह जिसमें दिखाया जाता है कि चाय पीते ही लड़की के बाल हवा में लहराने लगते हैं,, और एक आवाज गूंजती है,,,,, ताजा हो ले,, 

बस कुछ ऐसा ही पप्पू के साथ हुआ,, 

अखिल की तरफ देखकर उसने कहा,,,, भाइयों बहनों,,,,,, 

अरे भाई पप्पू,,, यहां तो सब भाई है,, बहन कहाँ है,, वो तो जीजाजी के साथ होंगी,, 

पप्पू ने सिर झटका,, अरे हाँ भाई अखिल,,, अचानक मुझे रिंकी की याद आ गई.. 

पूरी चाय खत्म करके पप्पू ने एक और चाय मांगी,, 

यार ये चाय में कुछ तो बात है,,, काश ये पहले ही पी ली होती.. 

चुस्की लेते हुए पप्पू की नजर अपने एक साथी पर पड़ी,, उसे जरा तुकबन्दी करने का शौक था,, जब कभी पप्पू को कालेज के किसी कार्यक्रम में कोई भाषण देने का मौका मिलता तो उसी से लिखवाता था,, 

और नतीजा,, सारे स्टूडेंट्स हँस हँस कर लोटपोट हो जाते थे.. एक बार तो कॉलेज के प्रिंसिपल ने घोषणा कर दी थी कि कपिल शर्मा का शो बंद कर दिया जाए.. 

एक नया लाफ्टर शो तैयार हो चुका है.. 

पप्पू बड़ा खुश हुआ था.... की चलो मेरी कोई बात तो लोगों को पसन्द आई... 

अपने साथी की तरफ मुखातिब होते हुए पप्पू ने कहा. 

यार कल होली जली,, तुम्हें तो आज घर से नहीं निकलना था.. 

वो भला क्यों??? 

होली के हास्य कवियों की टोली कल से घूम रही है.. सब तुम्हें ही ढूंढ रहे हैं.. 

पर क्यों?? 

क्योंकि वो सब तुम्हें भक्त प्रहलाद बनाने की तैयारी कर रहे हैं.. 

अखिल ने अपने कान साफ़ किए.. 

पप्पू,, क्या नाम लिया तुमने.. 

भक्त प्रहलाद.. 

जरा फिर से कहो.. 

अरे भई,, भक्त प्रहलाद... तुम बार बार क्यों सुनना चाहते हो.. 

तुम्हें याद है, पिछली होली में हमारे प्रोफेसर ने तुम्हें चैलेंज किया था कि ये नाम तुम्हें पांच बार बोलना है, और तुमने पांच बार में भी ये नाम नहीं ले पाए,, और आज देखो कितना स्पष्ट बोला तुमने.. 

हां भाई अखिल,, आज मैं बेहद ताजगी का एहसास कर रहा हूं, मेरे अन्दर एक अलग सी स्फूर्ति आ गई है,, लगता है चाय में दम है... 

हां तो भाई कविराज,, आप यहाँ से सीधे घर जाएंगे,, हालांकि होली तो कल जल गई,, पर कोई भरोसा नहीं उनका,, उनको आज भी तुम में प्रहलाद नजर आ सकता है.. और वजह बता दूँ,, तुम कई वर्षों से एक ही कविता सुनाते चले आ रहे हो... बेचारे कवि राज चलते बने.. 

पप्पू की नजर एक व्यक्ति पर पड़ी,, पप्पू उठा और जाकर उसके पास बैठ गया,, 

आपकी वेषभूषा से आप सरकारी कर्मचारी लगते हैं,, 

जी आपने सही पहचाना,, 

आपको एक सलाह देना चाहता हूं, पप्पू ने कहा,, 

जरूर दीजिए,, आजकल ये भी खरीदना पड़ती है,, आप मुफ्त में दे रहे हैं तो ले लेता हूं.. 


आपके लिए भी यह होली शुभ नहीं है,, वेतन तो कई माह से मिल नहीं रहा होगा, अब नौकरी पर भी शनि की महादशा है.. इसलिए किसी भी प्रकार का सरकारी लिफाफा हाथ में न लें.. कोई होली का गुलाल भी भेज सकता है, ऑफिस में भी कोई फाइल न खोलें तथा कोई भी कागज बिना वजन के इधर-उधर न खिसकाएं,, हो सके तो लंबी छुट्टी लो. ना मिले तो दफ्तर जाओ पर अपनी कुर्सी पर मत बैठो, ज्यादा समय कैंटीन पर बिता दो,, 

साहब के लिए यह होली कुछ ठीक,क्योंकि छंटनी नीचे से हो रही है,ऊपर तक आने में कई साल लगते हैं तब तक साहब रिटायरमेंट ले लेंगे.. इसलिए साहब वर्ग इस होली में खूब रंग-गुलाल खेलेंगे,, और आप जैसे लोगों को अपने निवास बुलाकर मिलन समारोह आयोजित करेंगे... तो ज्यादा उदास होने की जरूरत नहीं..

अखिल और सरदार जी दंग रह गए,, आज पप्पू को क्या हुआ इतना ज्ञान,,,

पप्पू की नजर एक आमिर साहबजादे पर पड़ी,, और वो पहुंच गए उन्हें उपदेश देने...

आप लोग के तो ये होली तो काफी शुभ होगी, आप लोग अपनी कार में बैठो फटे-पुराने कपड़े पहनो और इनकम टैक्स अधिकारियों के यहां जाओ टैक्स माफ होगा.. गरीबों से गले मिलो.. और गरीबी पर खूब लेक्चर दो....

अखिल हैरान परेशान,, ये पप्पू,, और इतना कड़वा सच,, हम लोग तो डरते हैं ऐसी बात करने से.. ये क्या हुआ पप्पू को..

अचानक पप्पू ने अपनी आस्तीन चढ़ाई जो कि थी नहीं... जेब में हाथ डाला चाय के पैसे देने के लिए तो फटी जेब से पूरा हाथ बाहर निकल आया..

अब अखिल की जान में जान आई... उसने सोचा जैसे होली में लोगों को भंग चढती है, वैसे पप्पू को चाय चढ़ गई थी,,, अच्छा हुआ उतर गई,,

पप्पू भाई ठीक तो हो न...

हां भाई.. मुझे क्या होना था... बस यार ये चाय वाय अपने लिए नहीं है...

सिर बड़ा भारी भारी सा लग रहा है.... अब घर जाता हूँ.. मम्मी ने आइसक्रीम जमा रखी थी,, अब तक जम गई होगी,,, उसे खा कर शायद ठीक लगेगा..

पप्पू जैसे सोते से जागा... चलता हूं भाई..

भाई पप्पू,, एक बात पूछनी थी...

हाँ पूछो...

वो क्या है न,,, तुम्हारी भाभी ने काफी सारे आलू खरीद कर रख लिये हैं,,, तुम तो जानते हो,,,,,, सोना,,, ओह चिप्स महिलाओं को कितने पसन्द आते हैं,,, तो जरा वो मशीन भेज देना प्लीज़.....



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