बुरा ख़्वाब

बुरा ख़्वाब

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रात मेरे जीवन में बहुत बड़ा एहतियत रखता है क्योंकि जब हम रात में सोते हैं उस समय हमारी दुनिया कुछ और ही होती है और उस अनजानी दुनिया में न जाने क्यों हम खो जाते हैं और कुछ वक्त के लिए उसे जीने लगते हैं, और ऐसा ही मेरे साथ हर रात नींद के बहाने मैं बहुत-से अनजाने बातों में खोई रहती थी। मेरे सपनों की खास बात ये होती थी, कि मुझे नींद खुलने पर भी वो मुझे याद रहते थे और सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि वो सपने कभी न कभी सत्य होते थे। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि मेरे सपने सच होते थे और ऐसा मेरे साथ बचपन से ही होता आ रहा था।

ये बात उस समय की है। जब मैं चौथी कक्षा में पढ़ती थी, और किसी कारण से मेरी अम्मा और पापाजी गांव गए हुए थे। सुबह तो सब कुछ ठीक था, क्योंकि मैं स्कूल गई थी और घर आकर खेलना - खाना और पढ़ाई के बाद सोना बस फिर क्या था नींद आई और उसके साथ सपने भी आएं पर..... इस बार मैं रात के साढ़े तीन बजे उठकर पापाजी - पापाजी बोल-बोलकर रोने लगी। कमरे में अंधेरा था, और मेरे रोने की आवाज सुनकर उन्होंने लाइट जलायी और मुझे देखकर परेशान हो गए कि मैं पापा जी बोलकर क्यों रो रही हूँ, क्योंकि सुबह से तो अम्मा-पापाजी के लिए रोये तो थे नहीं। फिर मेरी बड़ी दीदी ने मुझसे पूछा - 'रिंकी क्या हुआ क्यों रो रही हो ?'

मैं रोते हुए सबको बोली-'कि पापाजी तो मर गए हैं और सब लोग है। वहाँ पर... लेकिन हम, गुड्डू और अम्मा नहीं है। पापाजी के पास.... पापाजी तो मर गए।' सभी लोग मेरी बात सुनकर सोच में पड़ गए। पर वो कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि उस समय बहुत कम लोगों के पास मोबाइल फोन होते थे। सबने सुबह होने का इंतजार किया, क्योंकि सभी परेशान थे मेरे सपने को सुनकर। सुबह होते ही सबसे पहले गांव में फोन किया गया और अम्मा से बात हुई और पता चला कि कल रात उनकी तबीयत खराब हुई थी, पर पापाजी अब ठीक-ठाक है। उसके बाद सभी मेरे सपनों को कम सुनते थे।

समय अपनी गति के साथ चलता है और मैं सपनों की उड़ान के साथ उड़ती हुई जीवन के न जाने कितने उतार - चढाव को देखना सीखा लिया था।

19 जनवरी 2015 को मेरे द्वारा देखा गया वो बुरा ख़्बाब हकीकत बन चुका था और मेरे पापाजी का देहांत हो गया। ये खबर मुझे फोन के द्वारा पता चला... कि पैर फिसलने के कारण उनका देहांत हो गया चुका है , और छोटा भाई उस समय साउथ अफ्रीका में था और हमारी अम्मा मामाजी के घर शादी में गई हुई थी। अंतिम समय में सब थे बस हम तीनों ही नहीं थे पापाजी के पास। 

उस दिन से मैं ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि मुझे सपने न आएं, लेकिन हर रोज़ रात आती है, नींद आती है और फिर सपने।


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