Ritu Garg

Inspirational

4.0  

Ritu Garg

Inspirational

बुजुर्ग

बुजुर्ग

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बूढ़े हड्डी मांस की कहानी नहीं ,

घर की शान हैं वह।

उन्होंने सिंचित किया, पल्लवित किया

अपने ही प्यार से, परिवार को सहारा दिया।

फिर! कैसे कह दूं बेजान हैं वह?

हां ! बूढ़े ज़रूर हैं ,

पर घर की शान हैं वह।

हर एक ईंट को जोड़ कर ,

घर खड़ा किया।  

रहने को हमें आसरा दिया।

फिर ! कैसे कह दूं बेजान हैं वह?

सारा बोझ, अपने सर पर रखा,

हम पर बहुत एहसान किया,

फिर भी ना कभी प्यार कम किया।

जगत में रहने का सम्मान दिया।

फिर! कैसे कह दूं बेजान हैं वह?

हां !अब उनके हाथ पांव में ,

पहले सी जान ना रही,

अपने पांव पर चलने की भी,

ताकत ना रही।

फिर भी नजरों में उनकी,

पहले जैसी शान हैं ।

उनके घर में रहने से ही ,

हर व्यक्ति महान है ।

फिर !कैसे कह दूंगा बेजान हैं वह? 

फिर भी उनको नहीं मिलता,

उचित आदर सम्मान है ।

वही तो हर घर की,

रीड की हड्डी सी जान है।

बुजुर्गों की सेवा से ही,

परमात्मा का आशीर्वाद साथ है ।

फिर! कैसे कह दूं वह बेजान हैं ?


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