ब्लाइंड डेट

ब्लाइंड डेट

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दिल्ली की दिसम्बर की सर्दी की एकसुबह सानिया जब अपने ऊपर कंबल ताने मजे से सो रही थी, तभी मेसेंजर की नोटिफिकेशन की एक पिंग सी आवाज़ हुई। किसी और समय होता तो सानिया को यह आवाज मंदिर में बजती घंटी की मीठी ध्वनि- सी लगती। शायद, इसका उसे थोड़ा इंतज़ार भी रहा करता है। परंतु, एक तो आज रविवार की सुबह है और दूसरी ओर कल रात को बारिश होने की वजह अभी ठंड भी बहुत है।

अतः इस समय उसे मीठी-मीठी नींद के आगोश से निकलने का मन न हुआ। फिर भी किसी तरह उसने एक आंख खोलकर तकिए के नीचे रखे मोबाइल को निकालकर, पासवर्ड टाइप करने की कोशिश करी। नींद से बोझिल पलकों के बीच से नंबर ठीक से दिखाई न दिया। चार -पाँच बार में जब सही पासवर्ड टाइप कर पाई तो मैसेज भेजने वाले का प्रोफाइल पिक्चर देखकर पलभर में उसकी सारी नींद गायब हो गई । आरव का मैसेज था !

आरव यूरोप में रहता था। बेलजियम में जाॅब करता था। यों तो बंदा दिल्ली के राजिन्दर नगर का रहने वाला था, परंतु जाॅब के कारण पिछले पाँच छः सालों से बेल्जियम में रह रहा था। कुंवारा था और शायद हैंडसम भी। प्रोफाइल पिक्चर में केवल उसकी पीठ दीखती है! वह नजर घुमाए आल्पस की ओर रुख किए उसे निहार रहा है !

" अभी तक सो रही हैं आप, मोहतरमा ? और मैं इतनी दूर यूरोप से सफर करके आपके लिए दिल्ली आ रहा हूं!!"

" अरे, जरा आँख लग गई थी। सर्दी का मौसम है, बाहर घना कोहरा छाया हुआ है। संडे की सुबह है और कोई खास काम भी नहीं है, समझे, जनाब !"

"सुबह के दस बज रहे हैं! जल्दी उठिए, महारानी!! वर्ना नाश्ता नहीं मिलेगा!" आरव ने याद दिलाया।

सानिया पश्मिमी बाग के एक वर्किंग वूमन हाॅस्टेल में रहती हैं, जहाॅ छुट्टी के दिन साढ़े दस बजे के बाद नाश्ता नहीं मिला करता। वह तो लगभग भूल ही चुकी थी इस बात को; परंतु आरव को याद है।

सानिया को आरव की यही छोटी-छोटी केयरिंगवाली बातें बड़ी अच्छी लगती है। वह उससे कभी मिली तो नहीं है, लेकिन उसकी आवाज में एक अद्भुत आत्मीयपन है, जो बहुधा उसके मन को छू जाता है।

" और, आप कहाँ तक पहुंचे?" सानिया ने पूछा।

यूं तो वे दोनों एक दूसरे को तुम कहकर ही संबोधित करते थे, लेकिन कभी अधिक प्रेम प्रदर्शन हेतु कभी कभार "आप' भी कह देते थे।

"आबू धाबी के एयरपोर्ट में हूँ। कनेक्टिंग फ्लाइट के लिए इंतजार कर रहा हूं।" आरव ने उत्तर दिया।

सानिया आरव को आज से ठीक छः महीने पहले फेसबुक पर मिली थी। फ्रेन्ड्स रिक्वेस्ट आरव की ओर से आया था। चैटिंग का सिलसिला जब प्रारंभ हुआ तो पता चला कि उनके ख्यालात कितने मिलते हैं। उनकी बातें करने का समय भी बड़ा अनोखा होता है। यही सुबह सुबह का वक्त! अलग टाइम जोन के कारण आरव के यहाँ उस समय रात का वक्त हुआ करता है। वह दिन भर कामकरके थक जाता है तो सोने से पहले घंटे भर चैटिंग कर लेता है। सानिया भी उसके घर लौटने का इंतजार किया करती है। और मैसेन्जर में संदेश आने की आवाज मानों उसके कानों में मिठास घोल देता था।

इस तरह चैट करते हुए दोनों जल्दी ही दोस्त बन गए । पिछले महीने उनकी दोस्ती एक स्तर और आगे बढ़ गई जब आरव ने कहा कि वह कुछ दिनों के लिए इंडिया आ रहा है और वह सानिया से मिलना चाहता है। इतने दिनों से ऑनलाइन डेटिंग के बाद सानिया की भी यही तो ख्वाहिश थी कि एकबार आरव के साथ बैठकर काफी पीए और जी भरकर उससे बातें करें। शायद दोनों मन में यही सोचते थे कि मिलने के बाद प्रोपोस करके शादी की बात आगे बढ़ाएंगे।

इतने दिनो से चैट करके वे दोनों अब एक -दूसरे के साथ काफी काम्फाॅर्टेबल हो चुके थे। और बेझिझक मन की बातें साझा करने लगे थे।

"बोलो, सानिया, आबू धाबी एयरपोर्ट से तुम्हें कोई गिफ्ट चाहिए?"

" वहाँ से खजूर ले आना फिर , मेरे भाई के लिए। उसे खजूर बहुत पसंद है।"

"ओके ,मैडम जी! डाॅन!" आरव ने हामी भरी और एक स्माइली भेजी।

इसके तीन दिन बाद मैसेन्जर में फिर मैसेज आया आरव का।

"हाय सानिया ! कैसी हो ? "

" मैं ठीक हूं, आरव। तुम कैसे हो ? तुम्हारा जेट लैग कुछ कम हुआ ?"

"हाँ सानिया। अब ठीक है। दो दिन तक मैं केवल सोता रहा । इसलिए तुमसे चैट न कर पाया। बोलो कब मिलें हम लोग।"

" जब भी तुम कहो।"

" आज शाम को फ्री हो? सात बजे फिर बैरिस्टा में मिल सकते हैं।"

"ठीक है, आ जाउंगी। लेकिन--"

" हाँ, बोलो?"

" पर तुम्हें मैं पहचानूंगी, कैसे, आरव? अपना कोई पिक तो भेजो। कब से बोल रही हूं।"

" नहीं सानिया, तुमको सरप्राइज देना चाहता हूं। थोड़ा और इंतजार कर लो। पिक क्या देखना। बिलकुल तुम्हारे सामने हाजीर हो जाता हूँ।"

" अच्छा चलो ठीक है। अगर तुम ऐसा चाहते हो तो।"

" सानिया मैं लाल रंग का टी शर्ट पहनकर आऊंगा। चिंता मत करो, मैं तुम्हें आसानी से पहचान लूंगा। पर तुम क्या पहनोगी?"

"मैं तो सीधे ऑफिस से आऊंगी। इसलिए ब्लू जीन्स पर हल्के हरे रंग की कच्छ की हैन्डवर्कवाली कुर्ती पहनकर आई हूं।"

" ओके । फिर मिलते हैं , शाम को। अभी जाता हूं, मम्मी बुला रही है। कुछ काम है उनको मुझसे।"

" ओके, बाॅय।"

सानिया अब जल्दी जल्दी ऑफिस के काम निपटाने लगी। बाॅस से उससे जल्दी निकलने की पर्मिशन पहले ही ले ली थी। बाॅस को भला इसमें क्या आपत्ति होती? सानिया इस ऑफिस की एक बहुत ही मेहनती इम्प्लायी थी। इससे पहले कभी भी उसने जल्दी जाने को छुट्टी न मांगी थी। सो वे जल्दी ही मान गए। सिर्फ जिस फाइल पर काम करने को उसे दिया गया था, उसका डेडलाइन कल ही था। अतएव जाने से पहले वह काम निपटाकर जाना था। सानिया बड़ी फूर्ति से वह करने लगी। काम में वह इतनी मगन हो गई थी कि आज लंच ब्रेक लेना भी भूल गई। वह तो उसे तब याद आया जब बगल की क्यूब में बैठनेवाली रूबी ने उसे याद दिलाया।

" अरे, सानिया आज तो तू डेट पर जा रही है। इस तरह भूखी -प्यासी रहेगी तो अच्छी नहीं दिखेगी।" रूबी ने एक ऑख मटकाते हुए उससे कहा। " चल कैंटीन में चलकर कुछ खा लेते हैं।"

सानिया उसके बात करने के ढंग से हँस पड़ी। परंतु उसने उसकी बात मान ली। और दोनों कैंटीन की ओर चल दी।

शाम को ऑफिस से निकलकर सानिया राजिन्दरनगर जाने के लिए कैब बुलाई और कैफे डे के लिए चल पड़ी।

वहाँ पहुँचकर वह लाल टी-शर्ट पहने किसी छब्बीस- सत्ताइस वर्ष के शख्स को तलाश ही रही थी कि अचानक कोने की टेबुल पर बैठै सिगरेट पीते हुए एक लड़के पर उसकी नजर पड़ी। वह अकेला ही बैरिस्टा के बाहर लगे गोल लकड़ी की मेज पर बैठा था। और उसी के आने की दिशा में देख रहा था।

"आरव सिगरेट पीता है? उसने कभी बताया नहीं।"सानिया सोचने लगी।

खैर, वह आगे बढ़ी और हाथ मिलाने हेतु हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोली , "हाय, आरव! मैं सानिया। साॅरी तुम्हें ज्यादा इंतजार तो नहीं कराया ?"

"हाय !" आरव ने सिर्फ इतना ही कहा।

कुछ पल तक उन दोनों के बीच खामोशी पसरी रही। सानिया से रहा न गया। वह पूछ बैठी-

"अरे तुम इतने चुपचाप क्यों हो, आरव ?"

"नहीं, तुम बोलो।" आरव जरा मुस्कराकर बोला।

"अच्छा, बोलो क्या खायोगे? मै आर्डर देकर आती हूँ।"

सानिया उठी और दोनों के लिए आर्डर देने चली गई।

फिर वापस आकर आरव से बातें करने में मशगूल हो गई। आरव ने उसकी ड्रेस की तारीफ की। और उसकी लुक्स की भी। आरव भी उसे बड़ा हैन्डसम लगा। लगा कि जैसे यही वह सख्स है जिसका उसे अबतक इंतजार था। जिसके साथ वह मजे से अपनी शेष जिन्दगी बीता सकती है।

परंतु आरव बोलता बहुत कम है। और सानिया तो पूरी बातूनी है। वह इतना बोलती है कि दो मिनट भी अपनी जिह्वा को आराम नहीं दे सकती। इसलिए उनकी जोड़ी खूब जमेगी।

सानिया आरव के लिए जो गिफ्ट लेकर गई थी वह उसने उसे दिया। पाकर लगा आरव बहुत खुश हुआ। उसने माफ मांगी कि वह कोई गिफ्ट लेकर नहीं आ पाया।

"इट्स ओके, आरव! नो फाॅर्मालिटी।"सानिया बोली।

उसे क्या मालूम कि वह खुद कितना बड़ा गिफ्ट है, सानिया के लिए। सानिया ने सोचा और वह मुस्कराई।

खाना बड़ा टेस्टी लगा था आरव को। इसके लिए उसने सानिया को बहुत धन्यवाद दिया। आखिर सानिया ने बहुत सोच विचारकर मेनू सिलेक्ट किया था! उसका पहला डेट है, आखिर! फिर वह ठहरी पक्की फूडी। उसे हमेशा से यह मालूम होता है कि कहाँ की कौन-सी चीज अच्छी होती है। ऑफिस के लोग भी रेस्तराॅ में जाने से पहले उसी से सलाह लिया करते हैं।

कुल सवा घंटे के बाद उनकी डेट अचानक खतम हो गया। आरव को कहीं अर्जेंट्ली जाना था। उसे कई सारे काॅल्स आ रहे थे। यों सानिया को उससे और भी बहुत सारी बातें करनी थी। परंतु आखिरी काॅल आने के बाद आरव, जरा बेचैन दिखने लगा था।

"फिर मिलते हैं," कहकर वह हड़बड़ाकर वहाँ से निकल गया।

अरे, उसे तो अपने दिल की पूरी बात भी नहीं बता पाई ! कितना कुछ सोचकर आई थी! सानिया वहीं बैठकर सोचने लगी।

खैर, अगलीबार कह देगी। वर्ना मिसेंजर तो है ही।

और सानिया हल्की सी दुःखी होकर घर की तरफ चल दी। उसे आरव से मिल पाने की खुशी तो बहुत हो रही थी। परंतु उसका दिल जैसे भरा नहीं !

सड़क पर पहुँचकर उसने घर के लिए एक कैब लेने की सोची। फोन निकालकर जैसे ही उसे ऑन किया। नोटिफिकेशन में आरव का मैसेज के दिखा।

"जरूर थैन्क्यू करने के लिए मैसेज किया होगा! खाने की बड़ी तारीफ कर रहा था।"

सानिया सोची और मैसेज ओपन करके पढ़ने लगी। परंतु मैसेज पढ़ते ही उसके हाथ पिर ठंडे होने लगे थे। मैसेज कुछ इस तरह का था--

" साॅरी यार, सानिया। आज नहीं आ पाउंगा। पापा की किडनी कुछ दिनो से उन्हें तंग कर रही थी, । आज बहुत मुश्किल से नेफ्रोलोजिस्ट का डेट मिल पाया है। उन्हें चेक-अप कराने ले जा रहा हूँ। वैसे, मैं इंडिया में तो हूँ अभी कुछ महीने। दुबारा प्लाॅन करते हैं, कभी।"

और सानिया सर पर हाथ रखकर वहीं सड़क के किनारे की रेलिंग पर बैठ गई।

इधर वह लाल टी-शर्ट पहना हुआ शख्स सोच रहा था कि , आज किसका मुँह देखकर वह चला था? मुफ्त में इतनी अच्छी काॅफी और नाश्ता करने को मिल गया। जो गिफ्ट मिले सो अलग!! हो न हो सब इस लालरंग की नई खरीदी टी-शर्ट का कमाल है! लाल रंग उसके लिए शुभ है । नहीं तो, वह तो सिगरेट पीने के लिए वहाँ रुक गया था। बैरिस्टा में खाने लायक पैसा कब होता है उसकी जेब में ? इस सेल्स की नौकरी में जितनी तन्ख्वाह मिलती है माँ की दवाई और भाई की पढ़ाई में खर्च हो जाने के बाद वह बच ही कहाँ पाती है ?"


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