बिटिया जैसी..
बिटिया जैसी..
सदा समय पर विद्यालय आने वाली वह भी उस दिन लेट हो गई! नियमानुसार प्रार्थना शुरू होते ही गेटकीपर चिरौंजी लाल गेट बंद कर देता था और सभी देर से आने वाले बच्चे गेट के बाहर ही इंतजार करते थे! प्रार्थना सभा समाप्त होने पर गेट खोला जाता और तब सब बच्चे अपनी अपनी कक्षाओं में जाते थे!
आज वह भी अन्य लड़कियों के साथ बाहर खड़ी थी! रह-रहकर मम्मी पर गुस्सा आ रहा था जिन्होंने टिफिन बनाने में देर कर दी और फिर बिना टिफिन लिए आने भी नहीं दिया! खैर! छोटा गेट खुला, और एक-एक कर लड़कियां अंदर जाने लगी! चिरौंजी लाल चलो-चलो कहकर, सबकी पीठ पर हाथ मारने लगा!
कुछ लड़कियां असहज हुई पर बिना कुछ बोले अंदर चली गई! जैसे ही उसका नंबर आया और चिरौंजीलाल ने अपना हाथ उसकी पीठ पर रखा वह तमक उठी- हाथ पीछे! "खबरदार! हाथ लगाया तो! दूर से बात करो!" चिरौंजी लाल सकपका गया! लेकिन तुरंत ही गुर्राया- "एक तो देर से आवत हो.. "
"तो! हाथ लगाएगा तू!" उसने तेज स्वर में बोला तो जाती हुई अन्य लड़कियां भी ठिठक कर रुक गई! अब चिरौंजी लाल घबरा गया!
"माफ करो बिटिया! तुम तो हमार बिटिया जैसी हो!"
" हूँ! ध्यान रखना अब से यह बात! "उसने दृढ़ता से कहा और अंदर बढ़ गई!