बिन फेरे हम तेरे
बिन फेरे हम तेरे
रोहित लगता है हमारे सामने वाले फ्लैट में कोई रहने आया है आज सुबह आवाजें आ रही थी नेहा ने रोहित से कहा
अरे यार मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है ओर तुम पड़ोसी को लेकर बेठ गयी जल्दी टिफिन दो मेरा
तुम इतना गुस्सा क्यू कर रहे हो "मैं पत्नी नहीं हूं तुम्हारी," खुद टाइम पर उठते नहीं मुझे सुना रहे हो
बस इतनी सी बात को लेकर दोनों में नोक झोक हो गयी ओर दोनों ही मुह फूला कर अपने अपने काम में लग गए
नेहा ओर रोहित की ये रोज़ की बात थी।
"दोनों लिव इन रिलेशनशिप में थे"
दोनों किसी बात को लेकर झगड़ते फिर दो तीन दिन तक बिना बात किए निकाल देते दोनों में कोई भी झुकने को तैयार नहीं दोनों को बस ये ही इन्तेजार रहता की कब सामने वाला सॉरी बोले
नेहा घर के काम निपटाने में लग गयी उसे कुछ झगड़ने की आवाजें सुनाई दी गोर किया तो पता चला कि आवाज सामने फ्लैट से आरही है खिड़की से झांक कर देखा एक 5o साल की उम्र की महिला है ओर एक 55साल की आयु के आदमी अच्छा तो ये पति पत्नी आए है यहाँ रहनेइस उम्र में इतना लड़ते हैंलड़ाकू है लगता है खेर जाने दो मुझे क्या नेहा ने मन ही मन लड़ाकू पति पत्नी की छवि बना ली
रात हुई रोहित भी ऑफिस से आया नेहा ने चुप चाप टेबल पर खाना रख दिया रोहित ने भी बिना बोले खाना खाया ओर सो गया ऎसा तीन चार दिन तक चला
एक दिन शाम को गार्डन में नेहा को सामने फ्लैट वाली आंटी मिली नेहा से बोलीं अरे तुम तो हमारे सामने रहती हो ना कभी मोका नहीं मिला तुमसे बात करने का अच्छा है आज मिलना होगया नेहा को आंटी हंसमुख स्वभाव की लगी फिर मन में छवि बना ली अंकल ही खडूस होगे क्यूंकि रोज़ना ही वो कुछ ना कुछ तू तू मैं मैं सुनती ही थी आज कल तो उसकी सुबह ही अंकल आंटी की आवाज़ से होती थी।
अब आंटी से रोज़ ही मुलाकात हो जाती थी। पर कुछ दिन से ना तो घर से लड़ाई की आवाज़ आरही थी ना ही आंटी पार्क में आई।
नेहा वजह जानने के लिए उनके घर जा पहुची अंकल ने दरवाज़ा खोला।
देखा तो अंकल के हाथ आटे से सने हुए थे अंकल ने बड़े प्यार से अंदर बिठाया।
"अरे आंटी आप आई नहीं कितने दिनो से तो सोचा आपसे मिल लूँ"
"वो मेरी थोड़ी सी तबीयत खराब हो गई थी इसलिए आ नहीं पायी"
"मुझे बताया होता आंटी मै कुछ मदद कर देती आप इस हालत में केसे घर को संभालती होगी "
"मुझे क्यू संभालना है अंकल जी है ना वो ही संभालते हैं मुझे ओर घर को भी बडा अच्छा खाना बनाते हैं मैं तो सोचती हूँ खाने की जिम्मेदारी उन्ही को दे दूं आंटी ने हंसते हुए कहा"
तभी अंकल तीनो के लिए चाय लेके आगए ओर आंटी को दवाई दी।
अंकल की जो छवि नेहा ने बनाई थी अंकल तो बिल्कुल वेसे नहीं फिर इतनी लड़ाई की अवाज़े क्यू आती है इन्हे देख कर लगता है कि कितना प्यार है।
"एक बात पूछूँ आंटी आप दोनों को देख कर लगता है कितनी आपसी समझ ओर प्यार है पर फिर रोज़ आप की आवाज़ें नेहा ने संकोच वश पूछा"
दोनों अंकल आंटी हंसने लगे जेसे नेहा ने कोई जोक सुनाया हो
"अरे बेटा वो तो हम एक दूसरे को छेड़ते रहते हैं टॉम एंड जैरी तो सुना ही होगा वेसा ही रिश्ता है हमारा एक दूसरे से लड़ाई किए बिना सुबह की चाय नहीं भाती पर हम कोई बात दिल को नहीं लगाते बिना बोले हम एक दूसरे के रह ही नहीं सकते इसलिए कुछ ना कुछ हम एक दूसरे को छेड़ते रहते हैं हमारा एक दूसरे के सिवा है ही कौन
बोलते है ना तेरी मेरी बनती नहीं पर तेरे बिना मेरी चलती नहीं वही हालत है हमारी "
आप सही कह रहे हो आंटी "मैं कितनी गलत थी आप दोनों की लड़ाई में छुपे प्यार को देख ही नहीं पायी ओर हमारे घर की चुप्पी को प्यार समझ बेठी आपसे बहुत बड़ी सीख लेकर जा रही हू मैं भी अब रोहित से नोक झोंक करुंगी लेकिन कभी बिना बात किए नहीं रहूँगी"
तीनो मुस्कुरा रहे थे।
