"बीती रात कमल दल फूले"
"बीती रात कमल दल फूले"
अरे शुभी तुम ! अस्पताल के ओपीडी में लाइन में खड़ी सीमा जी बोली। शुभी की मां सीमा जी के यहां बर्तन मांजती, कपड़े धोती थी। शुभी अपनी मां के साथ आकर कोने में बैठकर पढ़ती रहती थी ।सीमा जी टोकती रहती थी, "मां का हाथ बंटा, तुझे क्या कलेक्टर बनना है?" शुभी को रातभर नींद नहीं आती, बहुत मेहनत करती। घोर अंधकार में उसकी मेहनत रंग ला रही थी। प्री मेडिकल का परिणाम आशा की किरण लाया था । कहां खो गई शुभी? शुभी की तंद्रा टूटी!!!। शुभी बोली, " मैं यहां डॉक्टर हूं। मां अब आराम से रहती है और भाई कलेक्टर है। चलिए आपका पहले चेकअप कर लेती हूं ।एक शिक्षित बेटी की वजह से निम्न स्तर से सम्मान जनक स्तर की तरफ कदम रखते हुए परिवार मे खुशियों की बहार आ गई थी।"
