बीरबल का न्याय
बीरबल का न्याय
एक बार की बात है अकबर का दरबार सजा था। अकबर के दरबार में दो व्यापारी दीनानाथ और रामप्रसाद आये। अकबर ने उनसे उनका परिचय और आने का कारण पूछा।
रामप्रसाद ने दोनों का परिचय दिया और बताया की उसने एक महीने पहले दीनानाथ को 100 सोने के सिक्के उधार दिए थे। लेकिन अब वह इसको लौटाने से तो मना कर ही रहा है बल्कि यह भी झूठ बोल रहा है की मैंने कभी उसको सोने के सिक्के उधार दिए ही नहीं।इसके बाद रामप्रसाद बोला हजूर इसने कभी मेरे को सोने के सिक्के उधार नहीं दिए यह मेरे व्यापार को नुक्सान पहुंचाने के लिए ऐसा बोल रहा है। अकबर ने दोनों की बात सुनी और बीरबल को बोला की तुम इन दोनों का न्याय करो।
बीरबल ने दोनों से विस्तार से पूछा की हुआ क्या था। दोनों ने अपनी अपनी सफ़ाई में बातें बताई। बीरबल ने बादशाह अकबर को कहा यह तो तय है की इन दोनों में से कोई एक व्यक्ति झूठ बोल रहा है। इसका पता लगाने के लिए मुझे 1 दिन का समय चाहिए।
अकबर ने बीरबल को मामला सुलझाने के लिए 1 दिन का समय दिया। बीरबल ने घर पर जाकर बहुत सोचा उसके बाद अपने नौकर रामू को बोला तुम बाजार में जाकर दीनानाथ और रामप्रसाद के बारे में पता करो की दोनों किस प्रकार के व्यक्ति है।बीरबल ने इसके बाद रामू को दो घी से भरे हुए मटके दिए और दोनों में एक एक सोने का सिक्का डाल दिया। बीरबल ने रामू से कहा तुम एक घी के व्यापारी बन कर जाओ और दीनानाथ और रामप्रसाद को यह घी का मटका बेच दो और अगले दिन तक वहीं मार्किट में रहना और देखना कौन तुमको वह सोने का सिक्का लौटाता है।
रामू ने ऐसा ही किया और दोनों को घी से भरा मटका बेच दिया। जिसके बाद रामप्रसाद ने तो सोने का सिक्का लौटा दिया लेकिन दीनानाथ ने सोने का सिक्का नहीं लौटाया। उसने यह बात आकर बीरबल को बता दी।
बीरबल ने अगले दिन दरबार में रामप्रसाद और दीनानाथ दोनों को बुलाया और बताया की दीनानाथ झूठ बोल रहा है और वह दोषी है। अकबर ने इसका कारण पूछा तो बीरबल ने सारी बात अकबर को बता दी।
अकबर ने दीनानाथ को 100 सोने के सिक्के लौटाने को कहा इसके साथ 100 सोने के सिक्के अतिरिक्त उसको रामप्रसाद को परेशान करने के लिए देने होंगे फैसला सुनाया। अकबर ने बीरबल की बुद्धिमानी के लिए उनकी तारीफ़ की।
