मीठी दलिया
मीठी दलिया
एक समय की बात है एक क़स्बे में दो बहनें महिमा और सुरभि रहती थी। उन दोनों का कोई नहीं था। उनमे से बड़ी बहन महिमा थोड़ी घमंडी क़िस्म की लड़की थी जो दुसरो को ज्यादा भाव नहीं देती थी।
छोटी बहन सुरभि समझदार और सब लोगों से सही से बात करने वाली लड़की थी। वे छोटा मोटा काम करके अपना गुजारा कर रही थी। वो दोनों बहुत गरीबी की हालत में थे उनके पास बहुत बार खाने के लिए भी नहीं होता था जिससे वे दोनों रात को भूखे ही सो जाती थी।एक दिन की बात है रात को उनके पास खाना नहीं था तो सुरभि अपनी भूख से ध्यान हटाने के लिए बाहर पानी की एक बोतल लेकर टहलने के लिए चली गयी। वह चलते चलते एक जंगल में पहुंच गयी कुछ देर चलने के बाद उसको प्यास लगने लगी वह बोतल से जैसे ही पानी पिने वाली थी तभी वहाँ पर एक बुढ़िया आ गयी जो देखने में बहुत डरावनी लग रही थी।
उसको देखते ही सुरभि वहाँ से भागने वाली थी की उस बुढ़िया ने सुरभि से बोला बेटी मैंने तीन दिन से पानी नहीं पिया कृपा करके यह पानी मुझे पिने के लिए दे दो। सुरभि दयालु थी उसने खुद को प्यास लगने के बावजूद बुढ़िया को पानी दे दिया।
पानी पिने के बाद वह बुढ़िया एक परी में बदल गयी। वह सुरभि से बोली तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है तुमने मेरी मदद की अब तुम मुझसे जो मांगना चाहो मांग सकती हो। मै तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगी। यह सुनने पर सुरभि ने परी को बतायाउनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है जिससे उनको बहुत बार भूखा सोना पड़ता है। परी ने बोला मै तुमको एक ऐसा बर्तन दूंगी जो तुम्हारे लिए मीठा दलिया बनाएगा।तुमको दलिया बनाने के लिए बोलना है ‘ऐ बर्तन हमारे लिए दलिया बनाना शुरू कर ‘ जिसके बाद वह बर्तन तुम्हारे लिए दलिया बनाना शुरू कर देगा और तुमको जितना दलिया खाना हो उससे खा सकते हो। और जब तुम खा लो उसके बाद तुमको बोलना है ‘ऐ बर्तन तुम दलिया बनाना बंद कर दो ‘ जिसके बाद वह बर्तन दलिया बनाना बंद कर देगा।
परी ने सुरभि से कहा तुमको यह बर्तन अपने साथ हमेशा रखने के लिए तुमको यह अच्छे काम से कमाना होगा और यह बर्तन उसको उनकी मेज़ पर मिलेगा। यह कहकर परी गायब हो गयी। सुरभि यह सुनने के बाद अपने घर पर आ गयी तो उसको मेज़ पर एक बर्तन नज़र आया।
महिमा ने सुरभि से पूछा क्या वो बर्तन वह लेकर आयी है। सुरभि ने उसको बोला हा वह यह बर्तन लेकर आयी है। महिमा ने कहा ख़ाली बर्तन का वह क्या करेगी जब तक उनके पास उसमें कुछ पकाने के लिए नहीं है।
सुरभि ने उसको सारी बात बताई और बर्तन को बोला ”ऐ बर्तन हमारे लिए दलिया बनाना शुरू कर ‘ जिसके बाद उस बर्तन ने बहुत मीठी दलिया बनाई जिसको दोनों बहनों ने बड़े ही मजे से खाया। इसी तरह कुछ दिन बीत गए और रोज़ महिमा और सुरभि उस बर्तन से मीठी दलिया खाने लगे और भरपेट सोने लगे।एक दिन की बात है सुरभि ने महिमा से कहा वह उसको कुछ जरुरी बात बताना चाहती है यह सुनकर महिमा ने उसको बोला उसको सब पता है वह उसको क्या बताएंगी। वह महिमा को बाहर किसी जरुरी काम पर जाने से पहले दलिया बनाना बंद करने के शब्द बताना चाहती थी।
लेकिन महिमा की ऐसी बात सुनकर सुरभि को थोड़ा गुस्सा आया उसने सोचा अभी तो हमनें दलिया खाया है तो महिमा को दलिया बनाने की जरुरत क्यों पड़ेगी। यह सोचकर वह अपने काम के लिए बाहर चली गयी।
कुछ समय बाद महिमा को भूख लगने लगी उसने बर्तन से दलिया बनाने को कहा जो उसको पता था। जिसके बाद बर्तन मीठा दलिया बनाने लगा जिसको महिमा ने बहुत मज़े से खाया। खाने के बाद भी बर्तन वह दलिया बनाता ही जा रहा था।
महिमा ने बोला बर्तन अब दलिया मत बना लेकिन यह सही शब्द नहीं थे जिससे दलिया बनता ही चला गया। कुछ देर बाद सुरभि जब काम से लौटी तो उसने देखा उनके घर के दरबाजे के नीचे से दलिया निकल रहा है।
उसने खिड़की से जाकर देखा तो सारे घर में दलिया ही दलिया हो रखा था और महिमा एक मेज़ के ऊपर खड़ी थी। सुरभि ने तभी वह शब्द ‘ऐ बर्तन तुम दलिया बनाना बंद कर दो ‘ बोले जिससे दलिया बनना बंद हो गया।सुरभि ने माना यह उसकी गलती है लेकिन महिमा ने कहा नहीं यह उसकी खुद की गलती है सुरभि तो जाने से पहले उसको बताना चाहती थी लेकिन उसने उसका मज़ाक बनाया। अब वह यह सोच रहे थे की इतना सारा दलिया वह कैसे साफ़ करेंगे तभी सुरभि ने सोचा क्यों न वह कस्बे के जितने भी गरीब लोग है उनको बुलाकर लाये और सबको खाना खिलाएं।
दोनों बहनों ने ऐसा ही किया जिससे कुछ ही समय बाद उनके घर से दलिया साफ़ हो गया। वह अब इसी तरह से दलिया गरीब और भूखे लोगों में बांटने लगे।
एक दिन उनके पास एक बूढ़ा व्यक्ति आया और बोला वह दूसरे गांव से आया है और उसके बहुत से बच्चे भूखे है जिनने कुछ दिनों से कुछ नहीं खाया
इसलिए वह दलिया का बर्तन ही उसको दे दे। यह सुनकर दोनों बहनों ने उसकी मज़बूरी को समझते हुए वह दलिया का बर्तन उस बूढ़े आदमी को दे दिया। बर्तन देने के बाद वह बूढ़ा व्यक्ति उसी परी में बदल गया जो पहले सुरभि को मिली थी।
वह परी दोनों बहनों से बोली तुम बहुत अच्छा काम कर रही हो और लोगों की मदद कर रही हो इसलिए यह बर्तन अब तुम रख सकती हो। यह कहकर वह परी जो उनकी परीक्षा लेने आयी थी गायब हो गयी। इसके बाद दोनों बहनों ने लोगों का भला करना और गरीब भूखे लोगो को मीठा दलिया खिलाना जारी रखा।