Thakkar Nand

Others

4  

Thakkar Nand

Others

सोने की बारिश

सोने की बारिश

4 mins
447


एक बार की बात है एक गांव में भोलू नाम का एक किसान अपनी माँ के साथ रहता था। वह खेत में हल चला कर फसल उगाता जिससे अपना और अपनी माँ का गुजारा बड़ी मुश्किल से कर पाता था। वह सवभाव से बहुत सीधा और मेहनती था।

एक दिन भोलू अपने खेत की तरफ जा रहा था तभी उसका पड़ोसी मंगेश आ गया वह बहुत चालाक और कामचोर किस्म का व्यक्ति था। मंगेश भोलू से बोला उसको बाजार किसी काम से जाना है इसलिए आज वह उसका खेत जोत दे। भोलू सीधा था वह उसकी बात मान गया और मंगेश के खेत में काम करने पहुंच गया।मंगेश भोलू को बेवकूफ बना कर खुद अपने घर जाकर सो गया जबकि भोलू ने सारा दिन उसका खेत जोता। शाम को मंगेश उठ कर आ गया और भोलू को जाकर धन्यवाद देने लगा।

लेकिन भोलू बोला यदि जरुरत पड़ने पर पड़ोसी काम नहीं आएगा तो कौन आएगा। इस बार बारिश नहीं हुई जिससे फसल ख़राब हो चली थी जिससे भोलू और ज्यादा ग़रीबी की हालत में आ गया।

उसके पास खाने के लिए पर्याप्त अनाज़ भी नहीं था जिससे उसने अपनी माँ से पूछा क्या मै कभी इतना धन कमा पाउँगा जिससे हमारा गुजारा सही से हो सके।भोलू अपने खेत से लौटते समय रोज़ रोते हुए भगवान से प्राथना करता की ‘हे भगवान मेरी मदद करो जिससे मै अपनी और अपनी माँ का सही से पेट भर सकूँ’।

एक रात को भोलू जब सोता है तो उसको सपने में एक पेड़ से सोने के सिक्के उसपर बरसते हुए नज़र आते है। जैसे ही उसकी सुबह आँख खुलती है तब वह अपनी माँ को बताता है की उसने सुबह के सपने में सोने के सिक्के बरसते हुए देखा और बोला आप ही मुझे कहती थी न की सुबह के सपने सच होते है इसका मतलब यह सच होगा। उसकी माँ भोलू की बात सुनकर हँस कर चल पड़ती है।

भोलू को खेत में जाते हुए पड़ोसी मंगेश मिलता है तब भोलू उसको सोने के सिक्के के सपने के बारे में बताता है। मंगेश उसको बेवकूफ समझता है और उसको बोलता है मैंने भी एक सपना देखा जिसमे मुझे जमीन के अंदर से सोने के सिक्के मिले भोलू उसको बोलता है मंगेश तुम्हारा सपना भी सच होगा यह कहकर चला जाता है।

भोलू उस दिन जब अपने खेत में जब हल चला रहा था तब उसका हल जमीन में एक जगह फ़स जाता है जब वह उस जगह मिट्टी को हटा कर देखता है तो उसमे उसको एक घड़ा मिलता है जब भोलू उसका ढक्कन हटाता है तो उसमे उसको सोने के सिक्के मिलते है।भोलू यह देखकर खुश हो जाता है लेकिन सोचता है की मंगेश ने जो सपना देखा था जमीन से सोने के सिक्के निकलने का वह सच हो गया यह सब मंगेश का है यह कहकर वह उस घड़े को वही छोड़कर मंगेश के घर शाम को चला जाता है।

वह मंगेश को बोलता है की तुम्हारा सुबह का सपना सच हो गया है मुझे एक सोने के सिक्के का घड़ा जमीन के नीचे से मिला है जैसा तुमने सपने में देखा था। तुम जाकर उसको ले लो। यह कहकर भोलू चला जाता है। मंगेश को यह सुनकर बहुत हैरानी होती है वह उसकी बातों पर विश्वास नहीं करता और सोचता है की अगर भोलू के खेत में उसको सोने के सिक्के का घड़ा मिला है तो वह उसको क्यों दे रहा है लेकिन फिर भी वह उसके खेत में देखने के लिए चला जाता है।

भोलू उस घड़े का ढक्कन सही से बंद करना भूल गया जिससे खेत में मौजूद बहुत सारी ज़हरीली चीटियाँ और कीड़े उसके अंदर ऊपर से भर जाते है। जैसे ही मंगेश उस घड़े का ढक्कन हटा कर देखता है तो उसको उसमें कीड़े और चीटियां भरे हुए नज़र आते है वह उसके ढक्कन को तभी बंद कर देता है और इस सबको भोलू की चाल समझता है।वह भोलू को सबक सिखाने के लिए रात को भोलू के घर जाता है और उनके घर पर कीड़े डालने के लिए उनकी छत पर चढ़ जाता है। वह उनकी छत की कुछ ईट निकालकर घड़े का ढक्कन हटा कर सारा घड़ा उनकी छत से खाली कर देता है। घड़ा खाली करने पर भोलू और उसकी माँ को सोने के सिक्के ऊपर से बरसते हुए नज़र आते है।

भोलू और उसकी माँ यह देखकर बहुत खुश होते है और भोलू बोलता है माँ मेरा सपना सच हो गया। जब मंगेश को पता चलता है की घड़े में ऊपर से कुछ कीड़ो के बाद नीचे सोने के सिक्के थे तो वह अपने आप को बहुत कोसता है की क्यों उसने घड़े को सही से नहीं देखा।

इसके बाद भोलू और उसकी माँ अमीर हो जाते है और खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करते है।    


Rate this content
Log in