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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

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बिछड़ने का दर्द

बिछड़ने का दर्द

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"उफ्फ... अब यह दर्द सहन नहीं होता..." उस सिपाही के घावों से भरे शरीर ने जैसे चलने से इनकार कर दिया।


"कुछ ही देर की बात है, तुझे बॉर्डर के पार पहुँचा दिया जायेगा, आर्मी के राज़ जो तेरे पास हैं, हमें बता कर अपने मुल्क में ऐश की ज़िन्दगी जीना।" दुश्मन देश की सेना के अफसर ने कहा।


"पहले ही बात मान लेता तो इतना दर्द सहना ही क्यों पड़ता?" दूसरे अफसर ने भी अपनी बात कही।


"उस पर भी विश्वास कहाँ है, कहता है जिन राज़ों को लिखा है, वो कागज़ बॉर्डर पर पहुँच कर ही दूंगा और कागज़ तभी काम आयेंगे जब यह उन्हें समझायेगा।" पहले अफसर ने फिर कहा।


"लो आ गया... सामने 300 मीटर पर है बॉर्डर... अब राज़.."


"हाँ..." उस सिपाही ने जेब में हाथ डाल कर बहुत सारे कागज़ निकाल लिये और आधे-आधे दोनों अफसरों को दे दिये। दोनों अफसर कागज़ खोल कर देखने ही लगे थे कि, सिपाही ने लपक कर एक की जेब से पिस्तौल निकाल ली और दोनों अफसरों को गोली मार दी।


गोली मार कर वह सीमा की तरफ दौड़ पड़ा, दुश्मन देश के सिपाहीयों ने यह देखते ही उस पर दूर ही से गोलियों की बारिश शुरू कर दी, कुछ गोलियां उसे लगी, लेकिन वह सीमा पार कर ही गया।


देश की सीमा में आते ही वह गिर पड़ा, लेकिन अब उसके चेहरे पर दर्द के स्थान पर मुस्कराहट आ गयी और उसने कहा, "माँ...! तू ठीक है ना, बस तुझसे बिछड़ने का दर्द था।" आखिरी सांस लेते-लेते उसने अपने सिर पर देश की मिट्टी लगा ली।


और दुश्मन देश में "भारत माता की जय" लिखे हुए कितने ही कागजों ने वहां की मिट्टी को ढक दिया।


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