Kumar Vikrant

Inspirational

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बिछड़ा बेटा- खुशी

बिछड़ा बेटा- खुशी

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आज मेरे शहर विल सिटी की कोई डायरेक्ट ट्रैन न मिलने की वजह से मैं मनकट तक जाने वाली काली एक्सप्रेस ट्रैन में सफर करके मनकट स्टेशन पर उतरा, मेरे साथ विल सिटी जाने वाले और भी बहुत से यात्री उतरे और स्टेशन से बाहर खड़े ऑटो रिक्सा पकड़कर विल सिटी जाने की और अग्रसर हुए।

"अरे कोई इस ट्रेन को रोको.......मेरा बेटा इस ट्रेन में रह गया।"कोई जोर-जोर से चिल्लाया। 

डेली पैसेंजर होने की वजह से मैं बहुत सारी घटनाओ का साक्षी बना, लगता है आज फिर ऐसी ही कोई घटना हो गई है सोचते हुए मैं उस रोते-बिलखते आदमी के पास गया। उसके चारो तरफ कई लोग खड़े थे जो उसे और आँखों से ओझल होती ट्रेन को देख रहे थे। 

"क्या हुआ......" मैंने भीड़ से पूछा। 

"उस ट्रेन का यहाँ सिर्फ एक मिनट का स्टॉप था, ये तो ट्रेन से उतर गया लेकिन इसका बेटा ट्रैन में ही रह गया।" भीड़ में खड़े एक आदमी ने मेरी बात का जवाब दिया। 

"परेशान मत होवो भाई, आओ ट्रैन को रुकवाते है।" मैंने उस रोते-बिलखते आदमी से कहा और उसे स्टेशन के कंट्रोल रूम में ले गया। 

"यहाँ से ट्रैन नहीं रुकेगी, आप विल सिटी स्टेशन जाओ वहाँ के कंट्रोल रूम से ट्रैन की सही लोकेशन का पता लगेगा और किसी स्टेशन पर बच्चा उतरवाया भी जा सकता है।" स्टेशन इंचार्ज ने जवाब दिया। 

मैं उस आदमी को लेकर उस स्टेशन से बाहर की तरफ दौड़ा और खड़े ऑटो रिक्शा में बैठकर उसे विल सिटी स्टेशन चलने के लिए कहा। ऑटो दौड़ पड़ा लेकिन वो आदमी बहुत परेशान था, जो मैं कर रहा था उस पर उसे शायद ही कोई विश्वास था। 

विल सिटी रेलवे स्टेशन पहुँचने में पूरा आधा घंटा लगा, आधे घंटे में तो ट्रैन न जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गई होगी यह चिंता तो मुझे भी हो रही थी। 

हम दौड़ते हुए रेलवे स्टेशन के कंट्रोल रूम में पहुँचे और वहाँ मौजूद कर्मचारी को अपनी समस्या बताई। उसने हमारी बात सुनकर मनकट से अगले स्टेशन जीवा से बात की पता लगा काली एक्सप्रेस से स्टेशन को पार कर चुकी थी और उससे अगले स्टेशन देवल पहुँचने वाली थी। उस कर्मचारी ने देवल स्टेशन से बात की काली एक्सप्रेस वहाँ पहुँच चुकी थी और करीब १० मिनट रुकने वाली थी क्योकि सिंगल लाइन होने की वजह काली एक्सप्रेस का किसी अन्य ट्रैन से क्रॉसिंग था। 

इस बात से मुझे कुछ उम्मीद जगी और मैंने उस उस कर्मचारी से रिक्वेस्ट की कि देवल स्टेशन के स्टेशन से बात करके उन सज्जन का बेटा ट्रैन से उतरवा ले। 

कर्मचारी ने प्रयास किया और देवल स्टेशन के स्टेशन मास्टर ने रेलवे पुलिस भेज कर बच्चा ढूंढने का प्रयास किया। प्रयास सफल रहा पुलिस ने बच्चा ट्रैन से उतार कर स्टेशन मास्टर के सुपुर्द कर दिया। 

"भाई अब स्टेशन के बाहर से टैक्सी पकड़ो और देवल स्टेशन जाकर अपना बेटा ले आओ।" मैंने उस आदमी से कहा। 

उस आदमी ने मेरा धन्यवाद किया और मुझे कस कर गले से लगा लिया। उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू छलक आये थे। वो आदमी स्टेशन से बाहर टैक्सी स्टैंड की तरफ बढ़ गया और मैं अपने घर की तरफ जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ गया। 


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