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Manoj Malviya

Horror Inspirational Thriller

4  

Manoj Malviya

Horror Inspirational Thriller

भूतिया होटल की कहानी

भूतिया होटल की कहानी

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एक छोटे से शहर में एक पुराना और विख्यात होटल था जिसका नाम “मुसफिर होटल था। यह होटल शहरीय क्षेत्र से बहुत दूर, शांत जंगल के पास स्थित था और अपने समय का सबसे आलीशान होटल हुआ करता था। इसकी वास्तुशैली, अंदर की सजावट और वहाँ की सेवाएं यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर देती थीं। परंतु सालों पहले एक बुरी घटना ने इस होटल को भूतिया बना दिया। लोग कहते थे कि इस होटल में एक परिवार की आत्माएं भटकती हैं, जिन्होंने यहीं अपनी जान गवाई थी।

रात के समय होटल की ओर देखते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। होटल के चारों ओर कटी-फटी पेड़ों की छाया और होटल की टूटी-फूटी खिड़कियों से छनकर आती अंधियारी रोशनी ने पूरे परिवेश को और भी डरावना बना दिया था। लोग मानते थे कि उस बुरी रात के बाद से ही वहाँ की आत्माओं का भटकना शुरू हुआ था। इस भयावहता के कारण शहर के लोग होटल से दूर रहते थे और किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि वे वहाँ जाएं।

लेकिन एक समय ऐसा आया जब शहर के कुछ युवा उत्साही इस रहस्य को सुलझाने का निर्णय लिया। उनके मंडल का नेता था सुनील , एक साहसी और होशियार युवक जिसे डर का मतलब नहीं पता था। सुनील ने अपने तीन दोस्तों – राकेश,पिया और निकिता के साथ इस भूतिया होटल का दौरा करने का फैसला किया। उन्होंने तय किया कि वे उन घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए होटल में एक रात बिताएंगे।

जैसे ही वे होटल पहुँचे, अंधेरा छा रहा था और हवाओं का अजीब तरह की जानवरो जोर जोर से आवाज सुनाई दे रही थी । होटल के बाहर का माहौल ही डराने वाला था, लेकिन सुनील और उसके दोस्तों ने अपनी हिम्मत रखी और होटल के अंदर चले गए। होटल के अंदर का वातावरण बेहद रहस्यमय और भयानक था। दीवारों पर धूल जमी हुई थी, फर्श हर कदम पर झंजनाट कर रहा था और हर कोने से रहस्यमय आवाजें सुनाई दे रही थीं।

उन्होंने रिसेप्शन हॉल में प्रवेश किया और वहाँ की हालत देखकर चौंक गए – पुराने फर्नीचर, टूटी हुई टेबल्स और धूल भरे काउंटर। वहाँ लगे पुराने चित्रों में होटल के सुखद दिनों की झलक मिलती थी। अचानक, सुनील को महसूस हुआ जैसे कोई उन्हें देख रहा हो। उसने अपने दोस्तों को शांत रहने के लिए कहा और मुख्य हॉल में आगे बढ़ने का सुझाव दिया।

मुख्य हॉल में चलते समय, उन्होंने देखा कि एक पुरानी लिफ्ट थी, जो बंद हो चुकी थी और लिफ्ट के दरवाजे पर खून के धब्बे थे। दीवारों पर लगे चित्रों में होटल के स्वर्णिम दिनों की यादें ताजा हो रही थीं, जब यह जगह जीवन और हंसी-खुशी से भरपूर थी। लेकिन अब यह केवल भूतों की कहानियों और डरावनी घटनाओं का केंद्र बन चुका था।

अचानक से किसी ने एक ठंडी हवा का झोकासा महसूस किया और उन्हे एक परछाई दिखी। यह भूत की परछाई थी। भूत की आवाज़ में डरावनी ध्वनियाँ थीं, “तुम लोग यहाँ क्यों आए हो? यह स्थान शापित है।” सुनील और निकिता ने हिम्मत से कहा, “हम यहाँ सच्चाई जानने और तुम्हारी आत्माओं को शांति दिलाने आए हैं। तुम कौन हो और तुम्हारी आत्माओं को शांति क्यों नहीं मिल रही?”

भूत ने भारी आवाज में कहा, “मैं इस होटल का मालिक था। मैंने और मेरे परिवार ने यकीन किया कि हम यहाँ हमेशा सुरक्षित रहेंगे, लेकिन एक रात कुछ डाकू आये और हम सबको मार डाला। हमारी आत्माएं तब से लेकर अब तक यहीं भटक रही हैं। हमें न्याय चाहिए।”

सुनील ने वादा किया कि वह इस घटना का पर्दाफाश करेगा और उनको न्याय दिलाएगा। अगले दिन, उन चारों दोस्तों ने शहर के लोगों को पूरी सच्चाई बताई और पुलिस को सबूत दिए। पुलिस ने जांच की और डाकुओं को गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान उन्हें कई रहस्यमय तथ्य और सबूत मिले जिससे डाकुओं को सजा दिलाने में मदद मिली।

पुलिस ने पुराने कागजात, खून के धब्बों और छुपे हुए गवाहों की तलाश की। पुलिस की जांच के बाद डाकुओं को पैसों के लालच में इन मासूम लोगों की हत्या करने का दोषी पाया गया। तब जाकर उन आत्माओं को शांति मिली और वे हमेशा के लिए मुक्त हो गईं।

अब मेहतर महल होटल फिर से खोल दिया गया और वहाँ कोई भी भूतिया घटना नहीं होती। होटल की पुरानी शान धीरे-धीरे लौट आई और लोग फिर से वहाँ आने लगे। रवि और उसके दोस्तों की बहादुरी की हर जगह सराहना हुई और शहर के लोग अब इस होटल को देखकर डरते नहीं थे। रवि, रोहन, सीमा और आरती की यह कहानी साहस और सच्चाई के प्रति उनकी दृढ़ता के रूप में शहर में प्रसिद्ध हो गई।

मुसफिर होटल अब न केवल एक आलीशान होटल , बल्कि एक ऐतिहासिक स्थल भी बन गया जहाँ लोग इस होटल की भूतिया कहानियों को सुनते और सुनील और उसके दोस्तों की बहादुरी को सराहते। उन चारों दोस्तों का ऐसा मानना था कि उन्होंने न केवल एक रहस्य सुलझाया, बल्कि एक परिवार को न्याय दिला कर उनके आत्माओं को हमेशा के लिए मुक्त कर दिया।


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