बरसात के मौसम की कहानी
बरसात के मौसम की कहानी
मॉनसून के लंबे इंतज़ार के बाद आज श्यामवर्ण मेघों ने उनके आने का संदेश दे ही दिया.
बरसात का मौसम था। आसमान में काले बादल छाए हुए थे और हल्की-हल्की बूंदाबांदी हो रही थी।
टप-टप बूंदें टपकने लगी थीं. मिट्टी की सुगंध बदलने लगी थी. हल्की हवा के साथ सोंधी महक ने मन मोह लिया. धीरे-धीरे बूंदों ने रफ़्तार ले ली. बूंदों की ध्वनि के बीच खुशी
की आवाज़ आई, “वाह बारिश!” हाथों को फैलाए वो बौराई-सी फुहारों के नीचे खड़ी थी.
गाँव के लोग अपने-अपने घरों में दुबके हुए थे, पर बच्चों के लिए यह मौसम किसी त्योहार से कम नहीं था। छोटे-छोटे बच्चे गलियों में कागज की नावें चलाते हुए दौड़-भाग कर रहे थे।
इसी गांव में खुशी एक छोटी सी लड़की थी जो अपने माता-पिता के साथ गाँव में रहती थी। खुशी की को बारिश का मौसम बहुत पसंद था। जब भी आसमान में बादल छाते, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
आज भी खुशी अपनी सहेलियों के साथ गाँव के पास बहती नदी के किनारे खेलने गई थी। बारिश की बूंदों में भीगते हुए, सभी बच्चे हँसी-खुशी से साथ खेल रहे थे। खुशी ने अपनी सहेली सुषमा से कहा, “सुषमा, देखो मेरी कागज की नाव कितनी तेज चल रही है।”
अचानक, बारिश तेज हो गई और सभी बच्चे डर के मारे अपने-अपने घरों की ओर भागने लगे। लेकिन खुशी की कागज की नाव नदी में बहकर दूर निकल गई थी। खुशी ने अपनी नाव को पकड़ने के लिए दौड़ लगा दी। उसकी सहेलियाँ उसे रोकने की कोशिश करने लगीं, लेकिन खुशी ने उनकी बात नहीं सुनी। वह तेज बारिश में भीगते हुए नदी की ओर भागती चली गई।
नदी के पास पहुँचते-पहुँचते, खुशी ने देखा कि उसकी नाव नदी के बहाव में बहती जा रही है। उसने बिना सोचे-समझे नदी में छलांग लगा दी। नदी का बहाव तेज था और खुशी को तैरना नहीं आता था। वह पानी में डूबने लगी। अचानक, पास ही खेत में काम कर रहे रामू काका ने उसे देखा। वह तुरंत नदी में कूद पड़े और किसी तरह खुशी को बाहर निकाला।
रामू काका ने खुशी को सुरक्षित गाँव तक पहुँचाया। गाँव के लोगों ने खुशी की इस हिम्मत की तारीफ की, लेकिन साथ ही उसे समझाया कि पानी में कभी भी बिना सोचे-समझे नहीं कूदना चाहिए।
खुशी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सबके सामने माफी मांगी। उसकी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, “खुशी, तुम्हारा साहस सराहनीय है, लेकिन हमें हमेशा अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।”
इस बरसात का मौसम बच्चों की कहानी इस घटना के बाद, खुशी ने हमेशा अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने की कसम खाई। उसने सीखा कि कभी-कभी जो चीजें हमें आकर्षित करती हैं, वे हमें खतरे में डाल सकती हैं। हमें अपनी सुरक्षा और समझदारी का ध्यान रखना चाहिए। बरसात का मौसम उसके लिए अब भी प्यारा था, लेकिन अब वह पहले से ज्यादा सतर्क रहती थी।
बरसात का मौसम उस दिन ने खुशी और गाँव के बच्चों को एक महत्वपूर्ण सीख दी। साहस और समझदारी का सही संतुलन ही हमें सच्चे मायनों में सुरक्षित रख सकता है। बरसात के बाद का वो इंद्रधनुष, खुशी के चेहरे पर हमेशा के लिए एक मुस्कान छोड़ गया।
"आज मेरी पूरी हुई ख़्वाहिश,
दिल ख़ुश करने वाली हुई बारिश"......
