भूत बंगला...२
भूत बंगला...२
जोकी हमने आगे भाग १ में देख लिया कि हमारी कहानी में चेतनने प्राची को उस बंगले में पूजा-वीधी और उस समय जो कपडे थे पूराने उसे जलाने की बात कर रहा था अब आगे की कहानी.....
चेतन प्राची को समझाते हुए कह रहा है की "उस समय हमारे घर में मतलब उस बंगले में जो भी पुराने कपड़े जो तूने पहने थे वो भी, चद्दर और जो भी संदेहास्पद चीज़ है वो जलाने को इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जब तूने उस बुरी चीज़ को देखा तब हो सकता है कि उसका बुरा साया वो सभी कपड़ों में रह गया हो। हालांकि मैं इस सब बातों को मैं नहीं मानता पर तुम्हें शक ना रहे इसलिए ऐसा करने को कहता हूँ और किसी अच्छे ब्राह्मण को या फिर कोई तांत्रिक को बुलवाकर उस बंगले में पूजा-वीधी भी करवा देंगे।"
प्राची ने उत्तर देते हुए कहाँ "ठीक है मगर तुम मेरी यह बात भी सुन लो की जब तक तुमने यह जो बताया वो नहीं करोगें तब तक मैं उस बंगले में रहने नहीं आने वाली।" चेतन बोला "अरे मगर जो पूजा करवानी होती है उसमें मैं अकेला नहीं बैठ सकूंगा, उसमें कपल का होना आवश्यक है। कपड़ों को तो मैं जला दूँगा मगर जो पूजा करवानी हैं उसका क्या करु मैं !? क्या कपल के लिए दूसरी शादी कर दूँ ?" प्राची तुरंत गुस्सा करके बोलने लगी "आ गए दूसरी शादी करने वाले, मैं ऐसा हरगीज नहीं करने दूंगी। और पहले तुम मुझे ये बताओ की तुम तो पूरे नास्तिक हो, भूत-प्रेत,भगवान,माताजी ये सबको तुम मानते नहीं और उसका कोई ज्ञान भी नहीं तो तुम्हें कैसे पता चला की पूजा-वीधी में कपल का होना बहुत ही आवश्यक है ?" चेतन ने कहा "वो सब बातों को छोड़ो और उस समय के जो भी कपड़े तुमने पहने थे वो वो सब मुझे दे दो वो मैं जला दूँगा। मुझे उस बंगले में पूजा-वीधी करवानी है उसकी कुछ व्यवस्था करने जाना है।" कुछ पल थोड़ा सोचता है और अचानक ही प्राची कुछ कहने वाली थी तभी चेतन जल्दी में बोला, "ऐसा करना तुमने उस समय जो भी कपड़े पहने थे वो निकाल के रखना, मैं उसे बाद में जला दूँगा अभी मुझे जाना है।" और वो प्राची के पास से सीधा बंगले की और निकल जाता है। प्राची उस समय चेतन को शक की नजर से देखती हुई बोलती है,"कुछ तो गड़बड़ है" और सीधे अपनी माँ के पास जाके कहने लगी, "मम्मी पहले तो चेतन को मैं कुछ पूछती तो ऐसा नहीं करते थे, वो तुरंत ही मज़ाक के मुड में आ जाते और मज़ाक करने लगते थे, मगर अब की बार तो मुझे उनके स्वभाव में थोड़ा बदलाव नजर आया है सच मे मम्मी कुछ तो गड़बड़ है।
क्रमशः
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