"दादाजी की सलाह
"दादाजी की सलाह
"बेटा दादाजी जो कहते है उसपे ध्यान दें। उनका सलाह-सूचन तेरे जीवन में आगे बहुत काम आएँगे। वो अपने घरमें बरगद के पेड़की तरह हंमेशा रहे हैं, उनकी छाँव से ही हमारी ईतनी तरक्की हूई है।" खाना बनाते हुए रोहन की मम्मी रोहन से कह रही थी।
रोहन ने कहा "मगर मम्मी दादाजी तो कह रहे थे की बिजनेस में तरक्की चाहिए तो कभी भी खुद का फायदा मत देखा करो। जो मैं एसा करूंगाया फिर हम सब एसा करेंगे तो मुझे दूसरी गाडी कैसे खरीद पाऊँगा या फिर आप भी कुछ नया कैसे ला पाओगे!"
मम्मी ने जवाब देते हुए कहाँ "बेटा तुम्हारे लिए दुसरी गाडी तो आ जाएगी मगर खुद का फायदा और क्लायन्ट का तुम नुकसान करवाके खरीदी होगी तो तुम्हारे जीवन में हंमेशा फटके ही मिलते रहेंगे। दादाजी ने तुम्हें जो भी कहा सही कहा और सोच समझ कर हीकहा होगा। उनकी बात को कभी टालना मतमगर समझने की कोशिश करना। दादाजी यूँही हमारे घर के बरगद के पेड़ नहीं कहे जाते। रोहन ने कहा "ठीक है मम्मी अब में हमारे क्लायन्ट को फायदा हो एसा ही समझाऊँगा और उनको अपने लिए सही हेल्थ प्लान हो वोही पसंद करनो को कहूंगा।" मम्मी ने कहा "बेटा तेरे पापा भी तेरे दादाजी की सलाह से अपना काम करते थे तभी ही हमारे घर की वो ईतनी अच्छी तरक्की काम में और घर दोनो में कर पाए हैं। बेटा जब भी घर में कोई भी वडील अच्छी सलाह-सूचन दे तो उन सब की मानना वह ही सही रहेगा। सभी घर के बड़े लोग बरगद के पेड़ की तरह बहुत ही अच्छी और बढिया छाँव देंगे।