बहू हो तो भाभी जैसी
बहू हो तो भाभी जैसी
बेटा बड़ा हो गया है, लड़की देखना शुरू कर दे अब" माँ ने कहा।
"हाँ माँ, लेकिन बहू का नाम सुनते ही मन में डर सा बैठ जाता है।"
माँ ने हँसते हुए कहा "क्या बात कर रही हो, बहू से डर ?"
"हाँ माँ, पहले माँ बाप से डरे, फिर सास ससुर से और अब आगे बहू से डरना ही होगा क्योंकि ये आजकल की युवा पीढ़ी कितनी भी छूट दो, प्यार और अपनापन दो, उन्हें कम ही लगता है। आजादी ना दो तो कहेगी मेरी सास तो पुराने ख्यालात वाली है और ज्यादा आजादी दे दो तो सर पर ही बैठ जावे है।"
"तो तू बता तुझे कैसी बहू चाहिए ?" माँ ने पूछा।
"माँ मुझे भाभी जैसी बहू चाहिए।"
"भाभी जैसी यानि सरला जैसी ? ऐसा क्या है सरला में मुझे तो नहीं दिखा इतने सालों में जो तुझे दिख गया ?"
"आप बहुत लकी हो माँ, पिछले जन्म के जरूर कोई पुण्य ही हैं जो श्रवण कुमार जैसा बेटा और ऐसी आज्ञाकारी बहू मिली है आपको।"
"हाँ बेटा तो मेरा श्रवण है, पर बहू!!! अरे, एक दिन भी ना टिक पायेगी तू ऐसी बहू के साथ। आता ही क्या है इसे ? खाना बनाओ, खाओ, सो जाओ बस| घर को घर नहीं चिड़ियाघर बना दिया है इसने। साफ सफाई से तो इसका दूर दूर तक कोई नाता नहीं। और तू ..तू तो दिन में दो बार पोछा लगा देवे है। अब बोल तेरे साथ ऐसी बहू एक दिन भी टिक पावेगी ?"
"माँ वो सब मैं नहीं जानती| पर इतना जानती हूँ आपके खान-पान का, तबीयत का, हर चीज का वे अच्छे से ध्यान रखती है। सोलह साल हो गये शादी को पर आज भी आप कुछ भी बोलो, गुस्सा करो तो कभी पलटकर जवाब नहीं देती और गलती ना होने पर भी आपसे दस बार माफी मांगती है। ऐसी तो आपकी बेटी भी नहीं है।"
"वो तो सही कह रही है नेहा तू...."
"आप जानती हो वो सरिता आंटी की बहू कल ही उनके घर जाना हुआ था मेरा। आंटीजी रसोई में खाना बना रही थीं और वह सोफे पर मोबाइल हाथ में लिए आराम से सो रही थी| मैंने पूछा क्या बात है बीमार हो क्या ? आंटीजी ने कह दिया बीमार काहे की मैंने डांट दिया इसिलिए नाराज होकर... उसके आगे आंटीजी कुछ बोलते उसके पहले ही वह उनपर बरस पड़ी। ऐसा मालूम हो रहा था मानो वह बहू नहीं सास हो। अब आप बताओ कैसी बहू चाहिए ? काम करे वो या बड़ों का सम्मान करे वो ?
पच्चीस साल हो गये मेरी शादी को, लेकिन आज भी उनकी नजरों में मेरे लिए वही मान सम्मान है जो वे शादी कर आई तब था और सच कहूँ तो उससे भी ज्यादा| अगर आप कभी यहाँ नहीं भी होतीं तो वे कभी आपकी कमी नहीं महसूस होने देती हर दूसरे दिन फोन कर हालचाल पूछ लेती है।
माँ काम तो कम ज्यादा करेगी तो चलेगा पर घर में शांति बनी रहेगी तो ही परिवार के लोग सुखी रह सकते है और इसिलिए माँ अगर मैंने कोई पुण्य किया हो तो बहू तो भाभी जैसी ही मिले मुझे।