भ्रष्टाचार की अंधी दौड़..
भ्रष्टाचार की अंधी दौड़..
हमारे श्रीमान जी से एक किस्सा सुना था.. चूंकि वो पुलिस विभाग में थे तो कभी-कभी वहाँ के किस्से कहानियाँ सुनाते रहते थे.
आज का विषय देखकर उनकी सुनाई कहानी याद आ गई.. पुलिस विभाग की भर्ती चल रही थी... वैसे नियुक्ति कहीं भी हो किसी न किसी मंत्री का बेरोजगार साला पैदा हो ही जाता है.. वैसे भी कहा गया है,, सारी खुदाई एक तरफ और जोरु का भाई एक तरफ,, और मंत्री का साला तो फिर पूरे डिपार्टमेंट का पूरे मंत्री मंडल का साला.. जहां तक मंत्री का वर्चस्व है वहाँ तक उस साले की सालगिरह मना ली जाएगी,, ऐसी विशेषता होती है इस साले में..
हां तो हम उसकी पुलिस भर्ती की बात कर रहे थे..
स्वाभाविक था कि इस साले के लिए सब अपनी तरफ से अपना अपना योगदान देने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे थे..
जीजाओं का बस चलता तो एक ही छलांग में साले को कमिश्नर बना देते.. पर थोड़ी खानापूर्ति भी जरूरी है.. अजी जनता को कुछ दिखाना भी जरूरी है न....
16oo मीटर की रेस शुरू हुई....
शराब और बियर में डूबे रहने वाला जिस्म बेचारा कितना भाग पाता. हांफते हांफाते साढ़े पांच मिनिट में बन्दे ने रेस पूरी की
लिस्ट पहुंची उपनिरीक्षक साहब के सामने..
योगदान देने का सिलसिला शुरू हुआ.. उन्होंने साले साहब को पांच मिनट में पहुंचा दिया...
लिस्ट आगे बढ़ी,,
अधिकारी के योगदान से साले साहब ने साढ़े चार मिनिट में रेस पूरी कर ली..
लिस्ट आगे बढ़ती गई,, और साले साहब की रफ़्तार कम होती गई..
डी एस पी,, फिर एस पी,, और डी आई जी,, से होती हुई
आई जी,,,,,
आई जी ने जैसे ही लिस्ट को देखा चौंक पडे़...
उन्होने अपने पी ए से पूछा,,
ये कौन है जिसने 1.30 मिनट मे रेस पूरी की???
सर , मंत्री जी का साला है"" ""
आई जी बोल पड़े, अबे वो सब तो ठीक है,,
लेकिन विश्व रिकार्ड का तो ध्यान रखते......
