भोग भगवान का।
भोग भगवान का।
हर समय बकबक करने वाली सासु मां को अचानक यह क्या हो गया कि वह एकदम शांत हो गई थी। प्रिया कितने दिनों से देख रही थी की अब सासू मां पहले के जैसे उसके किसी काम में कोई गलती नहीं निकाल रही थी। पूजा करके आने के बाद में भी वे लगभग हर समय भजन ही गुनगुनाती रहती थी। अब जो उसे छूट मिल रही थी तो प्रिया भी खुशी ही रहने लगी थी। सासू मां ठीक 5:00 बजे तक उठकर नहा धोकर पूजा घर में ठाकुर जी को और वहां निवास कर रहे सब देवताओं को भोग लगाकर अपने भजन कीर्तन में ही लगी रहती थी।
इन कुछ ही दिनों में उन्होंने दादी सास की भी यह शिकायत दूर कर दी थी की बहू ने कभी ना तो मेरा ख्याल रखा और ना ही कभी मेरे साथ बैठी। पूजा करने के उपरांत अब तो कई बार सासु मां को दादी सास के पास बैठकर रामायण या शिव पुराण बांचते हुए देखा जा सकता था। अब तो अक्सर वह शाम को कॉलोनी के लेडीज क्लब में अगर कभी जाती तो भी किसी की चुगली बुराई में हिस्सा नहीं ही ले रही थी।
सिर्फ उनके अंदर ही आए अचानक से इस परिवर्तन ने सारे घर का आचार विचार ही बदल दिया था। अब घर में कभी भी प्रिया और सासू मां की नोकझोंक नहीं देखी जा सकती थी। दादी सास भी अब सासू मां की कोई भी बुराई के किस्से प्रिया को मौका मिलने पर भी नहीं सुनाती थी। पूरा घर भक्तिमय हो गया था। टीवी हो या यूट्यूब अक्सर सासू मां के कमरे से भजन की ही आवाज आती रहती थी।
घर में अचानक आए इस बदलाव से ससुर जी भी काफी खुश रहने लगे थे। अब अक्सर दादी सास और ससुर जी के ठहाके भी सुने जा सकते थे। हद तो यहां तक हो गई,जबकि दिवाली पर सासू मां बीमार ताई सास का भी हाल पूछने उनके घर चली गई। हालांकि जब से प्रिया इस घर में आई है ना तो कभी ताई सास का आना देखा और ना ही कभी उसका उनके घर पर जाना हुआ। हां उनके द्वारा की गई बहुत सी बुराइयों के किस्से वह अभी तक सुनती आ रही थी, दादी सास भी कभी-कभी उस बड़ी बहू और बेटे से मिलने को भी तरस गई थी। लेकिन सासु मां के अनुसार ताई जी और ताऊ जी ने उनके सारे गहने और काफी जमीन जो इनके हिस्से में थी हथिया ली थी। मां को लेकर कॉलोनी के फ्लैट में शिफ्ट हुए सासु मां को लगभग 14 साल हो आए थे तब से कभी भी ना तो उनके घर जाया गया और ना ही कभी वह फ्लैट में इधर आए थे। बस सिर्फ शादी की फोटो में ही प्रिया ने ताई जी और ताऊ जी की तस्वीर देखी थी जो कि उनके बारात में आने पर बैंकट हॉल में ली गई थी। बारात में तो शायद वह गए थे, और उसके बाद कभी नहीं दिखे।
अब जब सारे लोग ताई जी के घर से आए तो बहुत खुश थे। वह खाना भी वहीं से ही खाकर आए थे और प्रिया विनय और बबलू के लिए भी वहां से बहुत से सामान लाए थे।
कुछ दिन बाद ताई जी भी अपनी बहु के साथ घर पर आईं। आने के बाद दादी सास के पैर छूने के बाद उन्होंने सासु मां को बहुत से गहने दिए और कहा यह तुम्हारा हिस्सा है, अब तो यह भी भारत स्वरूप लगने लगा है। मैं तुम्हें ही देना चाह रही थी लेकिन पांव ही नहीं पड़ रहे थे अब तुमने हिम्मत दी तो मैं भी आ गई, अब मना मत करना। मुझे भी अपना परलोक सुधारने दो। उसके बाद उन्होंने प्रिया की ओर मुखातिब होकर कहा बेटे तुम्हारा घर वहां भी है,तुम जब चाहो अपने घर में आ सकती हो। साथ ही उन्होंने सासू मां को कहा कि आप चाहो तो हम तुम्हारे हिस्से के कमरे खाली भी कर सकते हैं लेकिन बदली हुई सासु मां ने साफ इनकार कर दिया और कहा जीजी तुम रहो । वहां यह बच्चे रहें या वह बच्चे रहें बात तो एक ही है। जैसी ठाकुर जी की कृपा और मर्जी। ऐसा कहकर वह फिर भजन गुनगुनाने लगी।
अचानक से सासु मां में आए इस परिवर्तन से सब हैरान थे लेकिन घर में दिन दूनी रात चौगुनी खुशियां बढ़ रही थी। प्रिया, विनय, बबलू, दादी मां, ससुर जी सब इस बदलाव को महसूस कर बहुत खुश हो रहे थे। कई बार ऐसी बातें तो होती थी कि ऐसा अचानक हुआ क्यों कर ?क्या सासू मां को कोई सपना आया है ? या -----------------कुछ कह नहीं सकते।
सारे त्योहार सबने मिलजुल कर कुछ कॉलोनी में, और कुछ अपने पुश्तैनी घर में ताई जी और उनके बच्चों के साथ मनाए। दादी सास की तो मानो उम्र ही बढ़ गई हो। अपनी बहुओं की 100, 100 बलैंया लेती हुई आशीर्वादों की तो उन्होंने भरमार कर रखी थी।
प्रिया के घर में उसकी बहन अमेरिका से कुछ दिनों के लिए रहने को आई थी तो प्रिया ने भी सासू मां से इस हफ्ते शनिवार इतवार को अपने पीहर जाने के लिए इजाजत मांगी। अब के पहली बार ऐसा हुआ था, जबकि सासु मां ने प्रिया को बिना चूं चपड़ करें उसके घर जाने की आज्ञा दे दी, वरना उनका एक ही जवाब होता था कि इस घर में तेरी दादी का भी काम है और सब का काम मैं अकेले कैसे संभाल पाऊंगी। अब के प्रिया को जाने की इजाजत देते हुए उन्होंने कहा सवेरे सवेरे जब मैं ठाकुर जी के लिए भोग बनाती हूं तो सब का खाना भी बन जाएगा बेटा तू 2 दिन आराम से और खुशी से अपने घर रहकर आ जाना। इतवार की रात को मैं विनय को भेज दूंगी, उसके साथ ही आ जाना।
2 दिन बाद जब प्रिया घर आई तो उसने देखा सासू मां बेहद बेचैन आंखों में आंसू लिए बैठी थी। यूं घर में तो सारा काम तो हुआ पड़ा था लेकिन उनकी चुप्पी कुछ अलग तरह की थी। प्रिया ने सोचा शायद वह काम करके थक गई होंगी या उनकी तबीयत, प्रिया को भी अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि वह हमेशा के जैसे घर का काम करके अपने मायके जा सकती थी, उसका मायका मायका दो गली छोड़कर ही तो था। हमेशा की तरह थोड़ी देर को अपने ससुराल में आकर कुछ काम निपटवा जाती थी। लेकिन-------- । सासु मां के पैर छूने के बाद दादी सास भी कमरे में ही चली आईं, उन्होंने भी कहा कि मालती मालूम नहीं क्यों 2 दिन इतनी परेशान रही। अब तो बहु रानी तुम आ गई हो तो शायद अभी सब ठीक हो जाए। ससुर जी भी सासु मां के सेहत के प्रति परेशान ही दिखाई दिए। प्रिया ने जब प्यार से सासू मां को गले लगाया और कहा मम्मी अब मैं आपको छोड़कर के बिल्कुल कभी नहीं जाऊंगी आप इतना चुप और परेशान क्यों हो? कुछ तो बोलो? क्या हुआ है?
अचानक से सासु मां का कंठ अवरुद्ध हो गया और वह रोती रोती बोलीं, ऐसा लगता है कि ठाकुर जी हमसे नाराज हो गए हैं। जब से तुम गई हो उन्होंने भोग नहीं खाया वरना पहले तो जब मैं सवेरे उनको भोग लगाती थी और शाम को देखती थी,तो उनके मुंह पर कुछ नहीं लगा हुआ होता था वह मेरा लगाया हुआ सारा भोग खा लेते थे और अब--------! कहते हुए मालती जी फूट-फूटकर रो दी।
ओ----ह तो घर में आए बदलाव का यह कारण था। प्रिया चौंक उठी। असल में यह हुआ था कि सासू मां अक्सर जल्दी पूजा कर लिया करती थी और प्रिया बिल्लू के और विनय के स्कूल और दफ्तर जाने के बाद बाद में नहाती थी और अक्सर उसे पूजा करने में काफी समय हो जाता था। एक दिन जब वह लगभग दोपहर को ही घर के मंदिर में पूजा करने गई तो उसने देखा सासु मां ने मंदिर में जिन मूर्तियों के मुंह पर भोग लगाया था वहां मीठे के लालच में चीटियां आ गई थी, प्रिया ने उन सब देवताओं की मूर्तियों का मुंह पोंछा। शाम को जब मालती जी पूजा करने मंदिर में गए तो उन्हें लगा मानो ठाकुर जी ने उनका सारा भोग वास्तव में ही खा लिया है। ऐसी खुशखबरी वह गुप्त रखना चाहती थी और किसी को भी नहीं बताना चाहती थी। और यही ख्याल उनके बदलाव का कारण बना। एक बार चींटियों को मंदिर में आया देखकर प्रिया का रोज का सारी मूर्तियों को साफ करने का भी नियम बन गया था। रोती हुई सासू मां को जब प्रिया ने सही कारण बताया तो वह बिल्कुल चुप हो गईं। तभी दादी सास बोली बहू ठाकुर जी ने तो तेरे ख्याल के साथ ही भोग लगा लिया था देख तभी तो तू और घर कितना बदल गया। अब कभी इस ख्याल को अपने दिल में भी ना लाना कि ठाकुर जी भोग नहीं लगा रहे वरना कहीं हमारा इतना अच्छा घर फिर से ना बदल जाए।
सब चुप थे और शायद मन ही मन यह प्रार्थना भी कर रहे थे कि हे ठाकुर जी सासू मां के मन में अब कोई और बदलाव ना लाना।