भिखारी कहीं का
भिखारी कहीं का
अभी-अभी एसी कोच में भीख मांगते हुए आदमी को उसने भगाया था, "हटे-कट्टे हो। भीख मांगते शर्म नहीं आती।"
वह भिखारी बुरा सा मुंह बनाकर आगे बढ़ गया। तभी दूसरा व्यक्ति एक बाल्टी में पानी की 10 बोतल लेकर आ गया।
उसने मासूमियत से, "जी साहब!" कहा और आगे बढ़ गया।
तभी 'अ' ने उसे आवाज दी, "सुनो भाई! कितनी बोतल है?"
उसने वापस आते हुए कहा, "10, साहब जी!"
"सभी दे दीजिए," कहते हुए 'अ' ने बोतल ली। पैसे दिए। अपनी सीट के आसपास वालों को मुफ्त में बांट दी।
'ब' से रहा नहीं गया, "क्यों भाई! यह क्या है? अभी तो उससे नफरत करके बोल रहे थे। कह रहे थे- कैसे-कैसे लोग चले आते हैं? अब उसी से आवश्यकता से अधिक बोतल खरीद ली।
"क्या बात हैं?"
'अ' कुछ नहीं बोला। उसने बोतल वाले के कंधे की तरफ इशारा कर दिया।
वह बोतल वाला एक हाथ से ही सब काम कर रहा था।