SIDHARTHA MISHRA

Inspirational

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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational

भगवद गीता का प्रभाव

भगवद गीता का प्रभाव

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सिद्धार्थ एक सामान्य व्यक्ति था जो अपने जीवन में कुछ सफलता हासिल नहीं कर पा रहा था। उसकी जिंदगी में सिर्फ निराशा और असफलता थी। एक दिन, उसके दोस्त ने उसे भगवद गीता के बारे में बताया और उसे उसके महत्व के बारे में बताया। सिद्धार्थ ने भगवद गीता के बारे में कुछ नहीं जानता था, इसलिए उसने उससे अधिक जानने का निर्णय किया।


उसने एक किताब खरीदी और उसे पढ़ने लगा। शुरू में, वह उसे समझने में कठिनाई महसूस कर रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उसे भगवद गीता के महत्व का अनुभव होने लगा। वह जानता था कि जब तक उसे भगवद गीता के अंतिम अध्याय के बारे में जानकारी नहीं होती, तब तक उसका जीवन असंभव था।


एक दिन, उसे एक बड़ा अभियान करना पड़ा, लेकिन उसे अपने काम में सफलता मिलने में सफल नहीं हो रही थी। वह निराश हो गया था, लेकिन उसने फिर भगवद गीता के बारे में सोचा।

वह समझ गया था कि अगर वह भगवद गीता के संदेशों का पालन करता है, तो उसे सफलता मिल सकती है। उसने धैर्य रखा और दिल से भगवद गीता के संदेशों का पालन करने का निर्णय लिया।


सिद्धार्थ ने अपने काम में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को बदलने के लिए शुरुआत की। उसने अपनी व्यवहार में बदलाव किया और अब वह अपने साथियों को धैर्य, संतुलन और समझदारी के साथ काम करने के लिए प्रेरित करता था।


भगवद गीता के संदेशों के आधार पर, सिद्धार्थ ने अपने व्यवहार में एक बड़ा बदलाव लाया जो उसे अपने काम में सफलता दिलाने में मदद करता था। उसने समझ लिया था कि सफलता के लिए उसे अपनी सोच को सकारात्मक रखना होगा और नकारात्मक विचारों से दूर रहना होगा।


उसने देखा कि जब वह अपनी सोच को सकारात्मक बनाता है तो उसकी कामयाबी में बड़ा बदलाव आता है। सिद्धार्थ के जीवन में अब सिर्फ सफलता थी।

वह देखा कि जब वह भगवद गीता के संदेशों को अपनी जिंदगी में अपनाता है, तो उसकी जिंदगी में एक नई ऊर्जा आती है। वह दिन भर अपने काम में लग जाता था और रात को भी वह खुश रहता था क्योंकि उसका काम अब अधिक सुगम हो गया था।


लेकिन उसकी खुशी थोड़ी देर के लिए ही रही। एक दिन, उसके ऑफिस के आवेदन पत्र को अस्वीकार कर दिया गया। सिद्धार्थ बहुत निराश हुआ। उसके दोस्तों ने उसे उत्तेजित किया और उसे बताया कि वह जितना खोया हुआ है, उतना ज्यादा प्राप्त कर सकता है।


सिद्धार्थ ने दोबारा से अपने आवेदन पत्र को तैयार कर लिया। इस बार वह भगवद गीता के संदेशों को अपनी आवेदन पत्र में शामिल करने का निर्णय लिया। वह आवेदन पत्र फिर से जमा कर दिया और फिर से अस्वीकृति का सामना करना पड़ा।


उसके जीवन में बहुत से रुख थे जिनसे उसे निपटना पड रहा था |

फिर एक दिन, सिद्धार्थ को एक अद्भुत संयोग का अनुभव हुआ। एक बड़ी कंपनी उसे अपने साथ काम करने के लिए बुला ली। सिद्धार्थ ने यह बड़ी सफलता प्राप्त की और उसे लगा कि भगवद गीता उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद कर रही है।


लेकिन यह सफलता उसकी जिंदगी में एक बड़ी बदलाव लाई। उसे लगा कि उसके सफल हो जाने से उसके दोस्त उससे दूर हो गए हैं। सिद्धार्थ ने अपने दोस्तों को ढूंढने का प्रयास किया लेकिन वह कहीं नहीं मिले।


इससे उसे दुख हुआ और उसे लगा कि उसका सफलता उसे एक अकेले इंसान बना देगा। उसे फिर से अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए लड़ना पड़ा।


अंततः, सिद्धार्थ ने अपनी सफलता और अकेलापन से निपटने के लिए भगवद गीता के संदेशों का पुनः अध्ययन किया और उसे समझा कि उसे एक समृद्ध और सफल जीवन जीने के लिए न केवल सफलता बल्कि संतुलन भी ज़रूरी है। वह अब अपने काम में सफल होने के साथ-साथ अपने व्यक्तिगत जीवन मे भी सफल होने की कोशिश करता हैं क्योंकि दोनों मे संतुलन बनाए रखने मे हि सुखी जीवन की गाठ छुपी हुई हैं..!


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