भैया की शादी
भैया की शादी
मां आज लड़की वाले आने वाले हैं न?
"हाँ"इस बार तो तुम लोग बात पक्की कर लेना। मुझे तो उन लोगों से रिश्ता तय करने में कोई आपत्ति नहीं पर तुम्हारे भैया को ही कोई लड़की पसंद नहीं आती। कभी किसी की क्वालिफिकेशन पसंद नहीं तो कभी किसी का रंग। मैं तो उसे समझा कर थक गई हूं अब तुम ही अपने भैया से बात करो वह तुम्हारी बात नहीं टालेगा। अगर सीमा अपनी जिद पर अड़ जाए तो रवि को झुकना ही पड़ेगा ये बात रोमा अच्छी तरह से जानती थी। रवि अमेरिका की एक बड़ी कंपनी में बड़े ओहदे पर काम कर रहा था। उसे वहां गए चार वर्ष हो गए थे। जब भी रोमा उससे शादी की बात करती तो वह यह कहके टाल देता है कि अभी मुझे कैरियर बनाना है। वह समझ नहीं पा रही थी इतनी अच्छी नौकरी होने के बावजूद भी वह शादी से इनकार क्यों करता है। घुमा फिरा कर कई तरह से उसने जानना चाहा। इसी सिलसिले में तीन साल निकल गए। इधर सीमा की उम्र भी अब शादी के लायक हो गई थी उसे सीमा की फिक्र सताने लगी। आजकल के बच्चे न, ना जाने क्यों शादी को एक बंदिश मानने लगे हैं और शादी होते हैं अपनी इस आजादी को का छिन जाने का डर उन्हें सताता रहता है। हमारे जमाने में तो माता-पिता हमसे कभी शादी के बारे में पूछते भी न थे। बस पढ़ाई खत्म हुई और घर गृहस्थी की जिम्मेदारी डाल अपना फर्ज पूरा कर लेते थे। रोमा ने सीमा को बुलाया और रवि से वीडियो कॉल करके तुरंत बात करने को कहा। सीमा ने जब भैया से बात की तो लड़की के बारे में बताया और यह भी जाहिर कर दिया कि तुम अपना निर्णय जल्दी बताओ क्योंकि शाम को लड़की के माता-पिता आने वाले हैं। इस बार रवि ने शादी के लिए हामी भर दी क्योंकि उसे रूही भी पसंद आयी और उसका क्वालिफिकेशन भी। रोमा रवि की के निर्णय को सुनकर खुशी से झूम उठी और शाम की तैयारी में जुट गई। शाम में रूही के माता-पिता आए और रवि की शादी पक्की हो गई। सीमा शादी को लेकर बहुत उत्साहित थी उसने भैया की शादी के कई सपने देखे थे जो अब साकार होने जा रहा था। भाभी के रूप में उसे एक अच्छी सहेली मिलने वाली थी इस कल्पना से ही वह रोमांचित हो उठती। उधर रोमा भी अपनी बहू के आगमन की मन ही मन तैयारी करने लगी।
रवि ने बताया कि उसे कंपनी से ज्यादा दिन की छुट्टी न मिल पाएगी इसलिए वह एक हफ्ते के लिए ही आएगा। इस हफ्ते ही शादी की तारीख रखी गयी। रोमाने शादी की सारी जिम्मेदारी सीमा को सौंप दी। सीमा बड़े ही सुनियोजित ढंग से बजट बना कर शादी में आने वाले मेहमानों की, उनके खाने पीने की, सजावट की सब की तैयारी करने लगी। रवि इंडिया आया तो शादी की सारी व्यवस्था देख कर दंग रह गया। सीमा को गले लगाते हुए उसने कहां-" तुम इतनी बड़ी कब हो गई", तुमने तो मेरा भी सब काम कर दिया है। सीमा ने उत्साहित होकर कहा- "देख लो अच्छे से, कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई "।रवि की आंखें सीमा की बातें सुन भर आयी। सीमा ने हमेशा की तरह रवि के सूटकेस की तरफ देखते हुए पूछा- "बताओ मेरा गिफ्ट कहां है? जल्दी दिखाओ। हां, हां देता हूं ,कहते हुए रवि ने सूटकेस खोल एक लाल रंग के कवर का गिफ्ट उसकी तरफ बढ़ा दिया। सीमा ने झटपट खोलकर देखा- "तुम्हें कैसे मालूम मुझे यही लैपटॉप चाहिए था।" हँसते हुए रवि ने कहा- "तुम आजकल वर्क फ्रॉम होम करती हो न इसलिए मैंने सोचा इस बार गिफ्ट में तुम्हें यह एडवांस लैपटॉप दे दूँ।" "थैंक्यू भैया" कहते हुए सीमा उसके गले से लिपट गई पर तभी उसकी नजर सूटकेस में रखे दूसरे गिफ्ट पर गई। वह क्या है भैया ?वह, कुछ नहीं। बताओ न क्या है ?तभी रोमा आई और रवि को झेंपते देख सारी बात समझ गई और कहा -"यह मैंने मंगवाया है।" यह रूचि का गिफ्ट है मैंने उसे रूही के लिए लाने को कहा था। इतना सुनते हैं सीमा की सारी खुशी और उत्साह जाता रहा। अभी तो भैया की शादी भी नहीं हुई है और अभी से उसका प्यार ...। जो हर सुख दुख की बातें सिर्फ और सिर्फ मुझसे किया करता था क्या अब वे बातें भी साझा होने वाली है। मन में ईर्ष्या का भँवर गहराने गया। बुझे मन से वह गिफ्ट लेकर कमरे से बाहर चली गई। रवि इस बात से अनजान था पर रोमा उसके अंतर्मन में उठे इस बवंडर को समझ गई। उसे याद आया वह पल जब उसके भाई की शादी होने वाली थी। तब वह भी तो सीमा की तरह है भाई के साझा होते प्यार को देख बड़ी ही कशमकश में थी।अपने आप को बहुत समझाने की कोशिश कर रही थी और तब उसके मन को समझने वाला कोई न था पर आज, आज तो वह सीमा की मनोदशा को समझ रही थी इसलिए तो उसने शादी की जिम्मेदारियों को सीमा पर डालकर उसे इतना व्यस्त कर दिया था कि उसका ध्यान इस तरफ जाए ही न।
