भारती माँ
भारती माँ
पकड़ो-पकड़ो भागने न पाये, सुधा के कानों में पीछे से आती आवाज तेज होती चली गई।
वह तेजी से भागने लगी, मगर भाग न पायी, हाँफने लगी ! उसकी पीठ पर बंधा बच्चा रोने लगा था।
अरे रूक चोरनी ! कहाँ भागी चली जा रही है ?
मेरा मोबाइल चुरा कर भाग रही है, रूक ऽऽऽ जा-----'
पीछे से साहब के दहाड़ने की आवाज नजदीक आते जा रही थी।
साहब ने दौड़ते हुए सुधा का हाथ पकड़ लिया और लगभग घसीटते हुए अपने घर के सामने ले जाकर गेट के अंदर धकेल दिया। साहब का चेहरा गुस्से से लाल तमतमा रहा था।
साली चोरनी, हरामजादी कहाँ है मेरा नया मोबाइल ? निकाल वरन्- -----
सुधा पत्थर की तरह खड़ी थी, उसके मुँह से कोई आवाज नहीं निकली-----।
जल्दी बोल वरना पुलिस के पास ले जाऊँगा !
क्या हुआ सक्सेना जी ? क्यों गला फाड़ रहे हैं ? हल्ला सुनकर दो तीन मुहल्ले वाले एकत्र हो गये।
अरे माथुर साहब देखिए न ! ये चोरनी भिखारन दरवाजा खुला पाकर मेरे घर में घुस आई, कमरे से नया मोबाइल फोन लेकर भाग गई, वह तो मैंने इसे गेट से निकलते देख लिया था।
सक्सेना जी, ये ऐसे नहीं मानेगी, पुलिस बुलाकर इसे सौंप दिजिए !
नहीं साहब मुझे छोड़ दो,सुधा रोने लगी- --'
"माइईमई " बबलू दौड़ा आया जो बगल में कहीं छुपा हुआ था।
माई को छोड़ दो ! आठ साल का बबलू जोर-जोर से रोने लगा।
ओह ! तो पूरा गैंग है साथ में ! तुम्हारी माँ को पीट कर खत्म कर देंगे, मोबाइल कहाँ है ?
जोर से रोते हुए बबलू बोला, "मोबाइल उधर है।"
सक्सेना जी बच्चे का हाथ खींच कर बाहर निकल गये, बबलु दूर एक मोटर साइकिल पर रखा मोबाइल लेकर सक्सेना जी के हाथों में रखते हुए कहा "माई की छोड़ दो।"
सक्सेना जी बच्चे के साथ अपने गेट में प्रवेश करते हुए कहा, माथुर जी मोबाइल तो मिल गया, मैं जा के अपना रुम चेक करता हूँ ,आप इन्हें भागने मत देना ! आप इसकी थैली चेक करो। माथुर जी ने थैली छिनकर नीचे उलट दिया कुछ रोटी मुड़े हुए, एक चादर और कुछ कागज नीचे बिखर गए। सुधा बिखरी हुई रोटी को बटोरने लगी।
सक्सेना जी फिर चिल्लाकर बोले मेरे बटुए से रूपया गायब है !
पैसे निकाल चोरनी !
मैंने नहीं लिए है !
निकाल साली नाटक करती है ! चल पुलिस के पास...
सुधा का दुधमुँहा बच्चा फिर रोने लगा, उसने ब्लाउज के अंदर से कुछ मुड़े हुए नोट निकाल कर सक्सेना जी के हाथों में रख दिये। अब सक्सेना जी थोड़ा नरम पड़ गये, चोरी क्यों करती हो? ? कुछ काम क्यों नहीं करती ?
कोई काम नहीं देता !
सक्सेना जी आपके पैसे और मोबाइल तो मिल गया, अब इसे जाने दें।
गेट खोलकर सक्सेना जी के उन्हें बाहर निकालते हुए कहा "जाओ अब कहीं और जा के चोरी करो।"
खुद एक विजयी मुस्कान के साथ अंदर चले गए।
कुछ दूर चलकर सुधा रूक गयी। एक चुनावी सभा हो रही थी, भीड़ काफी ज्यादा थी। उमस वाली गरमी थी, नेता जी अभी तक पधारे नहीं थे। सुधा काफी थक चुकी थी, एक गहरी साँस लेते हुए नीचे धम से बैठ गई।
गोद का बच्चा सो चुका था। बबलु ने खाने के लिए रोटी माँगी, सुधा ने थैले से निकाल कर एक रोटी थमा दी।
बैठे-बैठे उसे खुद से घिन आने लगी। मैं एक भिखारन हूँ, मैं तो चोर भी हूँ, ये बच्चे मुझसे चोरी सीख रहे हैं। मुझे जीने का कोई अधिकार नहीं है ! अगर मर जाऊँ तो इन झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी -----'
नहीं- -नहीं- --मैं नहीं मर सकती ! तब इन बच्चों का क्या होगा ?
सुधा को झपकी आ गई। आहऽऽऽ---- अचानक
वह दर्द से चिल्ला उठी। एक पत्थर उसके सिर से टकराया था। माथे से खून निकलने लगा धा।
मगर ये क्या ? बबलु कहाँ है ?
बबलु ऽऽऽ सुधा चीखी-----
सामने से मंत्री जी आ रहे थे, कार्यकर्ताओं का हुजूम था,----अचानक पत्थर बाजी होने लगी थी, चारों ओर अफरा तफरी का माहौल था।
सुधा उठकर बबलु के तरफ भागी, बबलु मंत्री जी के सामने था।
एक बड़ा पत्थर जो मंत्री जी को निशाना लगा कर फेंकी गई थी, और जो बबलु के सर से जा टकराती, वह सुधा के सिर से जा टकराया ! क्योंकि वह बबलु से लिपट गई थी।
मंत्री जी को कमांडो ने घेर लिया था, सुधा चीख कर नीचे गिर गई। अस्पताल में जब उसकी आँखें खुली,दोनों बच्चे उसके पास ही थे।
बाहर वन्दे मातरम, भारत माता की जय के नारे लग रहे थे। मीडिया वालों की भीड़ लगी हुई थी। मंत्री जी स्वयं वहां मौजूद थे।
सुधा को होश में आया देखकर उन्होंने पूछा,
"बेटी आप का नाम क्या है ? आपने हमारी जान बचा ली !
सुधा ने अपने बच्चों की तरफ देखा, दोनों अपनी माँ से चिपक कर बैठे थे। सुधा की आँखों में आंसू आ गए।
बाहर लगातार "भारत माता की जय "के नारे लग रहे थे।
"मिडिया "सुधा के पास पहुँच गयी-
आप कौन हैं ?
बबलु बोला, मेरी "माई" है।
भारत माता की जय ! बाहर नारेबाजी जारी थी।
आपका नाम ?
भार ऽत ऽ ऽ "भारती"
भारती माँ की जय, बाहर नारेबाजी जारी थी।
आपने मंत्री जी को क्यों बचाया ?
सुधा ने कुछ सोचते हुए कहा, मंत्री जी हम गरीबों का भला चाहते हैं, मैंने जब देखा पत्थर मंत्री जी पर पड़ते तो मैं उनके सामने आ गई।
मुझसे ज्यादा मंत्री जी की जान कीमती है।
मुझे अब मरने का भय नहीं है क्योंकि मुझे पता है, मंत्री जी मेरे बच्चों का देखभाल करेंगे।
कार्यकर्ता चिल्लाकर नारे लगाने लगे---'
भारती माँ की जय !
रात को टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आ गया --- भारती माँ नहीं रही।
"मंत्री जी ने भारती माँ के पुत्रों को अपना लिया है।"