भारत में पर्यावरण का सरोकार

भारत में पर्यावरण का सरोकार

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"बच्चो, देश के भूत और प्राचीन काल की बात करने के साथ-साथ हमें उसे वर्तमान परिपेक्ष में भी देखना बहुत आवश्यक है।आज देश के शीर्ष 10 प्रदूषित शहर उत्तर प्रदेश के हैं। यह शहर हैं; नोएडा, दिल्ली, गाज़ियाबाद, बरेली , प्रयाग राज, कानपुर, मुरादाबाद, मुजफ्फर और फ़िरोज़ाबाद हैं"

"यह स्थिति तो बहुत चिंताजनक है ख़राब हवा का सीधा असर इन शहरों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता होगा ?"सलिल ने पूछा।

" बिल्कुल, शरीर के लिए ज़हर घोलने वाला यह प्रदूषण हृदय और फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों, ख़ासकर वृद्धों के लिए सबसे अधिक ख़तरनाक है।"

"चाचाजी , हम कैसे जानकारी हो कि कौन से शहर की क्या स्तिथि है ?"

"पराग, देश दुनिया की अनेक एजेंसियां इस तरह की रिपोर्ट समय-समय पर जारी करती रहती हैं। उत्तर प्रदेश के 10 शहर उसमें शामिल पाए ही जाते हैं।"

"क्या प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ उपाय काम में लाए जा रहे हैं ?' नीरज ने जानना चाहा।

" लंबे समय से इस स्थिति में कोई सुधार नहीं है।  प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कारगर उपाय नहीं हो रहे। वर्षों से शहर में विकास के नाम पर पेड़ों की बलि चढ़ा दी जाती है।"

"चाचाजी, विकास भी तो आवश्यक है, है न ?"चेतन ने पूछा।

"चेतन तुम्हारा कहना शतप्रतिशत सत्य है, विकास होना ही चाहिए। उसके लिए जितने पेड़ काटे जाएं, उससे ज्यादा संख्या में पौधारोपण किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर पौधे रोपे भी जाते हैं तो देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं।"

"चाचू, सड़कों पर उड़ती धूल भी तो प्रदूषण फैलती है।"सौरव ने कहा।

" हां सौरव, निजी ही नहीं, सरकारी निर्माण कार्य जो खुले में किए जाते हैं , इससे धूल और सीमेंट के बेहिसाब कण हवा को ज़हरीला बना देते हैं। धूल और धुएं की स्थिति का अंदाज़ सड़क के डिवाइडर पर लगे पेड़- पौधों के ऊपर जमी काली मिट्टी वाली परत को देखकर लगाया जा सकता है।"

"चाचाजी, प्रदूषण से हृदयाघात, फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।सांस लेने में दिक्कत और सांस संबंधित बीमारियों में बढ़ोतरी होती है।"पीयूष ने जोड़ा।

"चाचाजी, क्या किया जाए कि इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सके ?"साक्षी ने पूछा।

 " सबसे पहले कचरा प्रबंधन करना होगा।इसमें आधुनिक तकनीकों का सहारा लेना चाहिये, जिससे कचरा पर्यावरण के लिये ख़तरा ना बने। खुले में कचरा जलाने और अंगार उगलने वाले वाहनों के प्रयोग को अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए।जन जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।"

"चाचाजी, हमारे विज्ञान शिक्षक ने समझाया कि सभी अपने आम जीवन में 3R का प्रयोग करें , जिसका अर्थ है, कम करना (Reduce )अर्थात कचरा पैदा करने वाली वस्तु का अपने दैनिक जीवन में कम-से-कम प्रयोग करना। उदाहरण के लिये पॉलिथीन या उसमें आने वाले सामान।

फिर आता है दोबारा इस्तेमाल (Reuse) मतलब किसी भी वस्तु का एक बार उपयोग होने पर उसे सीधे कचरे में ना फेंककर उसका किसी और प्रकार से उपयोग करना। उदाहरण स्वरूप टी बेगस या चाय की पत्ती को चाय बना लेने के बाद खाद के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके बाद आता है पुनः चक्र (Recycle )इस प्रक्रिया में कचरे का विघटन करके उससे कोई और वस्तु बनाकर प्रयोग में लाई जाती है। जैसे पुराने अखबार को गलाकर उसकी फिर से लुग्दी तैयार करना।"गरिमा ने विस्तार से बताया।

"वाह गरिमा, शाबाश !स्कूलों में पर्यावरण केवल विषय के तौर में ना पढ़ाकर, बच्चों में एक चेतना के तौर पर जगाया जाना चाहिये। कार्यशालाएं इसका बहुत अच्छा माध्यम हो सकती हैं, जिनमें बच्चे पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार करना सीखें।

पर्यावरण के प्रति जन सामान्य में चेतना का विकास करना भी आवश्यक है क्योंकि पर्यावरण है तो हम हैं।

 जब तक यह काम नहीं होता, प्रदूषण नियंत्रण की बातें निरर्थक साबित होंगी। वजह यह है कि जब तक कानून का डंडा नहीं चलता, लोगों को सुधरने की आदत नहीं है ।उनकी सारी अपेक्षाएं सरकार से होती है जबकि उन्हें समझना चाहिए कि सरकार सारे काम नहीं कर सकती। "

"चाचाजी, पर्यावरण ऐसा विषय है जिस के सवाल केवल समाज की सक्रियता से ही हल होंगे।लोगों को ही आगे आना होगा।"पुण्य बोली।

" दुखद है कि गिने-चुने लोग ही ऐसे हैं जो स्वतंत्र पर्यावरण संरक्षण की चिंता करते हैं, ऐसे ही परहित अभिलाषी लोगों के कारण कुछ अच्छे काम जब-तब होते दिख जाते हैं। बच्चो, अब हम सभी प्रयास करेंगे की हम पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं, क्या आप सब सहमत हैं ?"

"जी, चाचाजी, हम सब पर्यावरण प्रहरी बनेंगे, आज से ही।"


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