भारत की संस्कृति
भारत की संस्कृति


नन्ही ईरा दौड़ती हुई दादी के कमरे में आई। कल रात से आ रही कोरोना की खबरों से मम्मी- पापा को चिंतातुर देखकर दादी से ही कुछ समाधान निकलेगा ऐसा सोचते कमरे में बहुत वेग से घुसी।
उसे देख दादी बोली, इरा, तुमने तो मुझे डरा ही दिया, क्या बात है,बेटा?
इरा बोली, दादी ये जो टीवी पर न्यूज में कोरोना की खबरें आ रही हैं, उनसे मम्मा- पापा बहुत परेशान हैं।आप उन्हें समझाइए न।
ऐसी बात है,! चलो, बेटा.., ईरा बता रही है तुम परेशान हो, क्या परेशानी है?
माँ, यह किरोना वायरस दुनिया पर भारी पड़ रहा है। हालात बहुत मुश्किल हैं, संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। डरते हैं ,कब ,कौन इसकी चपेट में आ जाए।
बेटा, सुन तो मैं भी यही रही हूं लेकिन अपनी संस्कृति पर मुझे गहन विश्वास है। हमें कुछ दिन घरों में रहने को कहा गया है ,रहो। दूरी बनाए रखने को कहा गया है, बनाओ, कुछ ही दिनों की बात है। इसके बाद भी एहतियात रखो, न हाथ मिलाओ न गले लगाओ।
दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम करो। ये भी भला हमें कहीं से सिखना है? यह तो हमारी सनातन संस्कृति और सभ्यता है जिसे सभी अपना रहे हैं।
मां,वह तो ठीक है,यह कि जूते बाहर उतार कर,हाथ - पाँव धोकर तब घर के अंदर आओ!
बेटा, ऐसा ही होता था जो हम भूल गए, संक्रमण से बचाव के तरीके ऐसे ही होते हैं। गंदगी घर से बाहर निकाल कर, खुद स्वच्छ होकर , घर को स्वच्छ रखने में क्या दिक्कत है ?
अब देखो, जो हम धूप -दीप ,कपूर ,अगरबत्ती ,लोभान जलाते हैं, इनके पीछे भी तो वैज्ञानिक कारण हैं, यह तो तुम मुझसे अधिक जानते हो। ये तुम्हारे जमाने के मच्छर नाशक तो अब आए हैं, हम तो नीम के तेल का दिया जलाते थे, नीम की धूनी दे देते थे और मच्छर मर जाते थे, साथ ही हानिकारक कीड़े- मकोड़ों का भी सफाया हो जाता था। वही करने को आज कहा जा रहा है।
दादी, मेरा फेवरेट पिज़ा खाए जाने कितने दिन हो गए। और... और..चिकन काली मिर्च, बर्गर...आइसक्रीम...
बस, बस, घर पर जो तुम्हारी ममा इतना स्वादिष्ट खाना पकाती हैं, उसका क्या? अब घर के सफाई से बने खाने की आदत पड़ जाएगी तो कुछ दिनों बाद कुछ और नहीं भाएगा। सादा ,सुपाच्य भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
माँ , घर पर पड़े - पड़े ऊब गए, क्या करें ?
तो यह कहो, बहू, आज से सुबह और शाम की चाय शांतनु ही बनाएगा। मैं और ईरा गार्डन और अपने - अपने कमरे के राख रखाव की जिम्मेदारी लेते हैं। खाना सभी मिलजुल कर बनाएंगे।
ईरा , कैरम बोर्ड, लूडो,बैडमिंटन रैकेट ढूंढ निकालो। किताबों पर धूल जम रही है। अब शाम को 1 घंटा कहानी टाइम होगा।
दादी, टीवी पर रामायण और महाभारत का दिन में दी बार प्रसारण शुरू हो गया है, वह कब देखेंगे?
अरे वाह, अभी तो समय न कटने की चिंता थी अब समय नहीं मिलेगा इसकी !
भई वाह, कुछ भी ही हमारा परिवार तो निराला है.. हा, हा,हा (सभी ठहाका लगा कर हँस देते हैं)