भारत की नदियां

भारत की नदियां

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"बच्चों, आज मैं आप लोगों को अयोध्या की सरयू या सरजू कही जाने वाली पावन नदी के बारे में बताऊंगा। सरयू के उद्भव को लेकर अनेक कथाएं हैं।

आनंद रामायण में उल्लेख है कि एक बार शंकासुर नामक राक्षस ने वेद चुराकर समुद्र में डाल दिए और स्वयं छिप गया, तब भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया। उन्होंने शंकासुर का वध कर ब्रह्माजी को वेद सौंपे, उस समय विष्णुजी की आंखों से प्रेमाश्रु टपकने लगे, उन अश्रुओं को ब्रह्माजी ने मानसरोवर में सुरक्षित कर लिया। कालांतर में महाप्रतापी वैवस्वत महाराज ने अपने बाण के प्रहार से इसे बाहर निकाला। अतः यह जलधारा जो भगवान विष्णु के नेत्रों से निकली सरयू नदी कहलाई।"


"अद्भुत...अद्भुत!" रजनी ने कहा।


"और भी अविश्वसनीय लगने जैसी अनेक कथाएं हैं, लेकिन हमारे पास प्रमाण भी हैं कि ये सभी सच हैं।कालिका पुराण में एक वर्णन है कि सुवर्णमय मानासगिरी पर अरुंधती और ऋषि वशिष्ठ के विवाह के अवसर पर संकल्प एवं पूजन के लिए लिया गया जल जब कंदरा से बाहर निकला, वह सात सरिताओं में विभक्त हुआ। जो जल हल हंसावतार के पास कंदरा में गिरा, उससे सरयू का उद्भव हुआ।"


"दोनों उदाहरण विस्मित करने वाले हैं,” वरुण ने कहा, “इसे सरजू कहना या सरयू कहनाक्या दोनों सही है?"


"यह विभिन्न नामों से जानी गई। बौद्ध ग्रंथों में इसे सरभ के नाम से जाना जाता है। इसके तट पर ऋषियों द्वारा यज्ञ के उदाहरण मिलते हैं। महाराज सगर, रघु और राम के अनेकों अश्वमेघ यज्ञों की साक्षी रही है, यह सरिता।"


"चाचू, गुप्तारघाट सरयू तट पर ही है न,उसके नाम के पीछे क्या कहानी है?" गिरिजा ने पूछा।


"गिरिजा, लक्ष्मण द्वारा अपने अनंत रूप में शरीर त्याग सरयू की गोद में हुआ। भगवान श्रीराम ने भी इसकी गोद में ही समाधि ली। यहां पहुंचने के बाद वे नजर नहीं आए, इस कारण कहा गया कि वे गुप्त हुए, इसलिए इस घाट को यह नाम मिला।"


"अच्छा, आप इसके अन्य नाम बता रहे थे...?" निर्वाण ने कहा।


"उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में इसे शारदा कहा जाता है। उत्तराखंड से मैदानों में उतरने के बाद इसमें करनाली या घाघरा नदी मिलती है और इसका नाम सरयू हो जाता है।

इसके अन्य नामों में प्रमुख हैं, देविका और रामप्रिया।"


"क्या सरयू प्रदूषण मुक्त है अथवा यह भी अन्य नदियों की तरह प्रदूषित हो चुकी है?" कनक बोली।


"कनक, कभी अमृत के समान इसका जल आज पीने योग्य नहीं रह गया है। औषधीय शक्तियों वाली यह नदी अब अपना यह गुण खोकर इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि इसके पानी से लोग त्वचा रोग के शिकार हो रहे हैं। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा सही नहीं है।"


"चाचू, इसके पीछे कौन सी परिस्थितियां उत्तरदाई हैं?" इशान ने पूछा।


"इशान, बाराबंकी से टांडा तक 200 km की लंबी पट्टी में इसमें चीनी मिलों का, पेपर मिलों का और सिवर नालों का ज़हरीला पानी और कूड़ा, कचरा और अन्य ज़हरीले पदार्थ आ मिलते हैं। गोंडा और बस्ती जिलों की गन्दगी, अधजले शवों को सीधे सरयू में प्रवाहित कर दिया जाता है, उनसे जल प्रदूषित हो रहा है, क्योंकि ट्रीटमेंट का अपेक्षित बंदोबस्त नहीं है।"


"क्या वहां के निवासी इसी जल को पीते हैं?" कोपल ने चिंता जताई।


"कोपल, इसी जल का पीने के लिए प्रयोग होता है। अयोध्या के लगभग पांच हजार मंदिरों में इसी जल से धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। चालीस लाख श्रद्धालु यहां प्रति वर्ष आते हैं और इसी जल को पीते हैं।"


"चाचाजी, सरयू में क्या जलिय जीव हैं?" चेतन ने पूछा।


"चेतन, इस नदी के जलजीव भी सुरक्षित नहीं है। नदी में मछुआरों द्वारा लगाए अवैध बांध कुछ - कुछ दूर पर देखे जा सकते हैं। इनसे जल बहाव रुकता है। कछुवों और मछलियों का गैर कानूनी तरीके से शिकार हो रहा है। अन्य जल-जंतु भी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहै हैं। सूंस या शिंगूमार इस नदी के सबसे अधिक प्रभावित जंतु हैं।"


"इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कुछ प्रयास हो रहे हैं?" अभिज्ञान ने पूछा।


 "जल सिंचाई परियोजनाओं द्वारा नहरों के लिए फीडर पंपों और बांधों के माध्यम से जल निकासी से नदी का प्राकृतिक अपवाह कम हुआ है।कितने दुख की बात है कि नदियां, जिनकी बदौलत मानव सभ्यता का विकास हुआ, उनका अस्तित्व आज मानव द्वारा ही खतरे में है! वर्तमान में 160 km लम्बी इस नदी को पुनः पावन सलिला बनाने के लिए एक बार फिर भगीरथ प्रयास हो रहे हैं।"


"चाचाजी, इस विचार मात्र से हृदय सिहर उठता है कि जल न हो तो क्या हो!” विहान ने कहा।


"इससे पहले कि बढ़ता प्रदूषण सरयू के अस्तित्व के लिए खतरा बन जाए, हमें स्थानीय लोगों में जागृति फैलानी होगी। केवल सरकार पर दोषारोपण से समस्या का निराकरण नहीं होगा। सभी को मिलजुल कर हर संभव प्रयास करने होंगे। सरकार इसके शुद्धिकरण के प्रयासों में पूर्णतया सफल नहीं हो सकती यदि स्थानीय लोग जागरूक नहीं होंगे और सहयोग नहीं देंगे।" वृंदा ने जोशीली अावाज में कहा।


 "करोड़ों लोगों कि आस्था का केंद्र श्री राम जन्म स्थल, इस पावन अयोध्या नगरी को और पुण्य सलिला सरयू की ऐतिहासिक गरिमा को लौटाना है। इसके लिए हम से जो बन पाएगा, हम भी करेंगे।" कपिल ने सुर में सुर मिलाया।


"बहुत अच्छे, यही जोश चाहिए, तो आज की चर्चा यहां समाप्त।"


"धन्यवाद चाचाजी!”


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