anuradha chauhan

Drama

5.0  

anuradha chauhan

Drama

बहारें लौट आयेंगी

बहारें लौट आयेंगी

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क्यों मेरे आस-पास घूमती हो..?क्या जानना चाहती हो..? मैं नहीं तो..? तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं तुम्हारा पीछा करती हूँ..?

वो मैं.., एकदम से सकपका गया जय।साइको हो ? इलाज कराओ जाकर..! मिताली को अब बहुत गुस्सा आ गया।

सॉरी !वो मैं.. मुझे लगा.. तुमने मेरे बारे में पूछा और मैंने उस दिन तुम्हारी बात का जवाब नहीं दिया..!

शायद इसीलिए.? हम्म तो तुम्हें लगा मैं तुम्हारे बारे में जानने के लिए तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ..?ओ हलो!! मुझे और कोई काम-धाम नहीं.?जो तुम्हारे पीछे- पीछे घूमती रहूँ।

आइ एम सॉरी कहते हुए उसने अपनी नजरें झुका ली तो मिताली बोली। कोई बात नहीं मैं आगे उसी गली में रहती हूँ जहाँ तुम्हारा पी.जी है।

ओह तो आप इसलिए ? माफ़ करना अपनी धुन में कभी गौर ही नहीं किया..! अच्छा अब मैं चलता हूँ।

जय को जाते देखती रही मिताली,यह कैसा लड़का है जो पिछले छः दिन से यह नहीं देख पाया, मैं यहाँ इस घर में रहती हूँ।

दूसरे दिन जय कॉलेज में मिला तो मिताली को देख नजरें चुराने लगा।एक मिनट जय !रुको ! मेरी बात सुनो..!

मेरे साथ चाय पीने चलोगे? मैं चाय नहीं पीता! पानी?वो तो पीते हो या वो भी नहीं? मिताली का व्यंग्य सुनकर जय के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

अरे तुम मुस्कुराते भी हो ? अच्छा लगा देखकर,अब चलें?हम्म चलो! दोनों केंटीन में बैठकर चाय पीने लगे।

कुछ कहोगे नही? चलो मैं

ही अपने बारे में बताती हूँ। मैं यहाँ अकेली रहती हूँ!

मेरी शादी हो चुकी है!या यूँ कहलो शादी कम सौदा ज्यादा!माँ सौतेली थी।

पिता के जाने के बाद माँ को बेटी की ज़िंदगी संवारनी थी।जिस घर में पापा ड्रायवर थे, वहाँ काम माँगने गई उस करोड़पति ने माँ से मेरा सौदा तय कर लिया।

यह लालच देकर कि वो अपने बेटे से मेरी सौतेली बहन की शादी करेंगे।माँ लालच में आ गई और अपने भाईयों के साथ मिलकर जबरन मेरी शादी करा दी।

एक ही घर में दो बहनें, एक बहू और एक सास!एक साल तक उस मेहता की मानसिक और शारीरिक यातना सहती रही, रोती रही! और शायद सहती रहती!

राहुल को मुझ पर तरस आता था,पर बाप के डर के आगे बोल नहीं पाता था।पर एक दिन उसके सब्र का बाँध टूट गया, दोनों में बहुत झगड़ा भी हुआ!

शायद ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से मेहता जी को ब्रेन हैमरेज हो गया और वो इस दुनिया से चले गए।

राहुल ने मेरा यहाँ एडमिशन कराया। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की,यहीं पढ़ाने लगी!

जिस दिन मेहता ने दुनिया छोड़ी, मैंने वो घर छोड़ दिया था। राहुल ने बहुत समझाया पर मैं उन यादों की परछाई से भी दूर,यहाँ रहना शांति से चाहती थी।

उसने यहाँ एक घर खरीद दिया..!मैंने भी उससे फिर कभी ना मिलने का वादा ले लिया। ज़िंदगी है तो तकलीफें तो आयेंगी जय!

यह हम पर है.!हम रोकर जीते हैं या हँसकर..! जिस दिन से तुम यहाँ आए हो..!देख रही हूँ तुम्हें कुछ खाए जा रहा है।

बस यही कहूँगी.! ज़िंदगी से दुखी मत हो, बहारें चली गई तो लौट भी आएंगी।पर उम्मीद टूट गई तो फिर कभी जी नहीं पाओगे!

चलती हूँ ! लेक्चर का समय हो गया। मेरी बात याद रखना, खुशियाँ हमारे आस-पास है बस देखना आना चाहिए।


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