Aditya Vardhan Gandhi

Fantasy Inspirational thriller

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Aditya Vardhan Gandhi

Fantasy Inspirational thriller

भाग 1 दिल्ली का वरदान

भाग 1 दिल्ली का वरदान

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 ये कहानी है। दिल्ली के एक लड़के की जिसका नाम वरदान है। जिसके पिता रणजी प्लेयर थे। लेकिन नशे की आदत ने उन्हें पागल कर दिया था। इंडिया के लिए कभी नहीं खेल पाए थे। और नशे की बुरी आदतों के कारण अपने बच्चे को भी प्यार से नहीं रख पाते थे। ड्रग्स और नशे की आदत की वजह से वरदान के पिताजी अक्सर ही किसी गली में या नाके पर पडे हुए मिलते थे। जिस कारण से वरदान उनसे काफी ना खुश रहता था। क्योंकि उसके सारे दोस्त उसे नशेड़ी का बेटा कहकर बुलाते थे। और कहते थे। तेरे पिताजी एक बेकार बैट्समैन थे। जिन्होंने रणजी में तो अच्छे रन बनाए लेकिन इंडियन क्रिकेट टीम में अपनी जगह कभी नहीं बना पाए रोज यह बातें सुनकर वरदान परेशान हो जाता था। क्योंकि वह भी क्रिकेट खेलना चाहता था। लेकिन बल्लेबाज के तौर पर नहीं गेंदबाज के तौर पर जो इंडिया को बॉलिंग से मैच जीता कर हीरो बनना चाहता था। कुछ साल तो अपने पिता के साथ उसने गुजारे लेकिन वक्त के साथ उसके पिता नशे में इतना डूब चुके थे।वह भूल भी चुके थे कि उनका कोई बेटा भी है। जिस कारण से वरदान उनसे नफरत करने लगा था।

हर रोज गली के बच्चे स्कूल के बच्चे और अपने साथ एकेडमी के बच्चे भी जो उसी के साथ प्रैक्टिस किया करते थे। लेकिन उसे पसंद नहीं करते थे।और उसे परेशान किया करते रोज उसे शराबी बेवड़े की औलाद के कर छेड़ते रहते थे। उसके कोच जसविंदर सिंह जो पंजाब रणजी टीम के बहुत अच्छे प्लेयर थे। लेकिन कभी भी अपने देश के लिए नहीं खेल पाए उसका कारण यह था।जब भी वो अपना बेस्ट देते थे। तब उन पर किसी भी सिलेक्टर की नजर नहीं गई एक बार इंडियन क्रिकेट टीम में खेलने का मोका मिला एक ही मैच में शामिल हुए टीम में और इतनी गंदी तरीके से उनकी बोलो पर पिटाई की सामने वाली टीम ने जिसके बाद वह कभी इंडियन क्रिकेट टीम में दोबारा शामिल नहीं हो पाए इस बात का मलाल उनको आज भी था। कि वह कभी इंडिया के लिए लंबा नहीं खेल पाए इसीलिए उन्होंने तय किया कि ऐसा तेज गेंदबाज इंडिया को देंगे जो भविष्य में चलकर एक लंबा क्रिकेट खेल सके उनके पास वरदान भी आया करता था। 16 साल का वरदान एक दिन नहीं आया और कुछ दिन ऐसे ही बीते गए वरदान नहीं आया तब उन्होंने फैसला किया खुद जाकर पता करेंगे कि वरदान कहां गया है।और कोचिंग के लिए एकेडमी क्यों नहीं आया एक दिन वरदान का एड्रेस लेकर उसके घर जाते हैं ।तो उनको वहां पता की चलता है। वरदान तो कई दिनों से स्कूल भी नहीं जा रहा और ना ही कोचिंग लेने आ रहा है।

तब उन्हें पता चलता है । उसके पिताजी अचानक से बीमार हो चुके हैं। और दिल्ली के सरकारी अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया है। लेकिन उनके बचने के हालात बहुत कम लग रहे हैं। जब हॉस्पिटल जाते हैं। उन्हे पता चलता है। जीवन शर्मा जो वरदान के पिता है। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है। जिनकी बचने की उम्मीद है बहुत कम है। और वरदान किसी होटल में काम करके पैसे कमा कर हॉस्पिटल का बिल भरने की कोशिश में लगा हुआ है। जब सारी बातें उसके कोच को पता चलती है। उसके कोच का दिल बैठ जाता है। और हॉस्पिटल में बैठे डॉक्टर से कहते हैं। आप एक बच्चे से पैसे लेते हो आप को शर्म नहीं आती डॉक्टर को चिल्ला के कहता है। सरकारी हॉस्पिटल है।तो हम क्या करें हमें भी तो सरकार को पैसे देने पड़ते हैं। भले थोड़े बहुत पर हमें भी तो पैसे देने पड़ते हैं। यह बात सुनकर कोच को बहुत गुस्सा आता है। डॉक्टर के मुंह पर जोरदार थप्पड़ मारते हैं।

और कहते हैं।आप का लालच एक छोटे बच्चे से क्या-क्या मजबूरन काम करवा रहा है। आईसीयू में भर्ती इंसान को यह भी नहीं पता कि उसका बेटा कैसे मेहनत करके वह पैसे ला रहा है। कोच ने तुरंत ही उसको ढूंढने की मन में ठानी और वापस उसके घर की ओर गए उसके पड़ोसी से पूछा किस होटल में वह काम कर रहा है। तभी पड़ोसी ने कहा चांदनी चौक की किसी होटल में तो कोच ने पूछा होटल का नाम क्या है। तो पड़ोसी ने बताया डायमंड रेट होटल तुरंत वहां का पता लिखकर अपनी बाइक पर बैठे और उस पते की ओर चल दिए वहां पहुंचने के बाद उन्होंने उस 16 साल के छोटे मासूम बच्चे को देखा और मन ही मन रोने लगे और फिर दो कदम आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ा और वहां से उसे ले जाने लगे तभी होटल का मालिक आकर बोला अरे आज का काम नहीं करेगा तो क्या खाएगा होटल के मालिक की आवाज सुनकर वरदान एकदम से डर गया और बोला सेठ जी यह मेरे कोच है। वापस आकर सारे बर्तन धो दूंगा मुझे मारना मत ये मेर कोच जैसे यह बात सुनी कोच ने वह चिल्ला कर बोले 16 साल के मासूम बच्चे से काम करवाता है। ऊपर से उसे मारता भी है। तू जेल जाएगा क्या कोच होटल के मालिक से बोलते हे। तभी होटल का मालिक बोलता है। मैंने कोई फ्री में सर्विस नहीं खोल रखी है। लोगों को पैसे बांटने की काम नही करता काम करो तो ही पैसा मिलता है। और मेरे को पुलिस की धमकी मत दे समझा तू पुलिसवाले रोज यहा आकार मेर याह बैठते हैं।

इतना सुनने के बाद कोच वरदान को वहां से लेकर निकल जाते हैं। और सीधा हॉस्पिटल पहुंचते हैं। जब तक हॉस्पिटल पहुंचे तब तक वरदान की पिताजी दुनिया छोड़ कर जा चुके थे। वरदान अनाथ हो चुका था। दुनिया में उसका कोई नहीं था। 16 साल का वरदान वहीं पर रोने लगा और अपनी कोच की ओर देखकर बोला सर मेरी तो मां भी नहीं है। अब मैं क्या करूंगा तो सर कहते हैं।तू चिंता मत कर बेटा तू मेरे साथ मुंबई चल जहां मैं वहां पे तू इतना बोल कर वह वरदान को चुप कराते है। उसको उसके पिता के पास ले जाते हैं। चार लोगों का बंदोबस्त करके उसके पिता के मृत शरीर को शमशान पहुंचा कर वरदान से कहते हैं। अपने पिता के मृत शरीर को अग्नि दो और उन्हें पंचतत्व में विलीन करो 16 साल का वरदान उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। जैसे कोच ने कहा उसने किया और कोच के साथ उनके घर चला गया।



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