भाभी माँ

भाभी माँ

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भाभी माँ यनि दादा की वाम अंग, हमसे परिवार की धुरी सबको लेकर चलने वाली पर तुम पता नहीं कैसे बदल गयी।

समय ने बदला ने बदला या तुम को हालात ने बदला पर काहे बदल गये। हम तो हमेशा ही आपके मन में रहते थे। फिर रूख कैसे बदल गया ? पर हम हमेशा आपको सलाम करते है पता है काहे कि बीमार पति की सेवा में लगी रहती हो शायद इसी वजह से आप चिड़चिड़ी हो गयी है, पर सेवा तो करती है पर हमको आपसे एक शिकायत ही है कि आप ने हमको अपने से दूर धकेल दिया।

पर शायद हमारी मजबूती के लिये यह जरूरी भी था पर जहाँ रहे खुश रहे यही शिव से अरदास है पर आपकी जगह कोई नहीं ले सकता। वह खाली की खाली है।


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