बेशर्म

बेशर्म

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शोरूम में आये हुए ३० मिनट से ज्यादा हो चुके थे, लेकिन कुछ पसंद का नहीं मिल रहा था, या अनीता को ही नहीं पता था की क्या लेना है।

काफी नजरें इधर-उधर मारने के बाद डमी पर डाला हुआ एक पीस अच्छा लगा, मैं उसको हाथ लगाकर निहारने लगी।

अचानक से मुझे फील हुआ कि किसी ने मुझे छुआ है मैंने पीछे देखा तो एक युवक था तकरीबन ३० साल का।

एक तो कुछ पसंद न आने कि झल्लाहट और दूसरा एक अनजान के द्वारा छूना।

मैंने तेजी से घूमते हुए उसके गाल पर चांटा रसीद कर दिया, हाथ इतनी तेजी से पड़ा कि वो गिर पड़ा। भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी और मैं चिल्लाये जा रही थी, कभी उस व्यक्ति को और कभी शोरूम वालों को, उस भीड़ में से एक युवती उस युवक को हाथ पकड़ कर उठा रही थी। मैं उसपर भी चिल्लाने लगी।

उस युवती ने अपने पर्स में से एक स्टिक निकाली और उसे खोलकर उस व्यक्ति के हाथों में पकड़ा दी।मुझसे क्षमा माँगने लगी कि गलती मेरी है, इनको दिखाई नहीं देता मैंने ही इन्हें इस डमी के पास खड़ा किया था।

मेरा मज़ाक न बने इसलिए मैंने शो नहीं होने दिया कि इनको दिखाई नहीं देता, मुझे माफ़ कर दीजिये, मेरा सारा गुस्सा उड़ चुका था, मुँह से कुछ बोला नहीं जा रहा था। बेशर्म वो था या मैं थी।


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