पूजा ?
पूजा ?
कुसुम ने सुबह उठते ही पूरे घर में शोर मचा रखा था की आज मंदिर में खास पूजा है
जल्दी करो अपने पति से बोली …मिस्टर कुसुम ! बोले अरे अभी तो अम्मा बाउजी को नाश्ता भी नहीं कराया तुमने …
तो क्या मैं इस ड्यूटी पर बैठी रहूं…एक दिन देर से नाश्ता कर लेंगे तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा …कुसुम बोली
जल्दी जल्दी घर से बाहर की तरफ दौड़ते हुए बोली एक मिनट में आ जाओ में गाड़ी में बैठी हूँ …
पतिदेव बड़बड़ाते हुए बाहर की तरफ दौड़े कि कहीं सुबह सुबह कलेश न हो जाये
जैसा कि हमेशा होता है…मंदिर कि खास पूजा और देर न हो मुमकिन नहीं …
बाकी कसर ट्रैफिक ने पूरी कर दी नतीजा दोपहर के १२ बज गए थे…
घर पहुंचे तो अम्मा बाउजी पानी और रात कि अपनी बची हुई रोटी का नाश्ता कर चुके थे …
रसोई लॉक जो था ….मैं ग़लती से चाबी रखना भूल गयी थी …कुसुम बोली
पतिदेव समझते सब थे लेकिन हिम्मत नहीं थी कुछ बोलने कि…जितने लाचार अम्मा बाउजी लग रहे थे उतना ही लाचार वह खुद को महसूस कर रहा था …क्या वाकई हम खास पूजा पर गए थे ?