LOVENEET MISHRA

Romance

4.0  

LOVENEET MISHRA

Romance

बेहिसाब मोहब्बत

बेहिसाब मोहब्बत

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जिंदगी नई नई शुरू ही हुई थी, मोही का पहला दिन जो था कॉलेज का,

वो खुश भी बहुत थी और घबराई भी बहुत थी, अनेको सवाल दिल में लिए, मोही चल पड़ी अपनी मंजिल की तरफ, बार बार शीशे में खुद को निहारना, कभी खुद को तो कभी बैग को संभालना, कुछ अलग ही मिज़ाज था उसका उस दिन, नए दोस्त बनेंगे, नई राह होगी, वो फिल्मो में दिखाते है ना कुछ वैसा ही सोचकर अपने में ही मुस्कुरा रही थी। पर उसको मालूम ही कहाँ था, की कब उसका यह दिन उसके लिए कुछ अलग ही सोचकर लिखा होगा उस उपरवाले ने।


पहला दिन था तो पापा साथ थे उसके, मोही जब कॉलेज के गेट पर पहुंची तो मन ही मन मुस्काने लगी,

और पापा का आशीर्वाद लिए वो चल पड़ी अपनी मंजिल की तरफ, अभी उसने कॉलेज में पैर ही रखा था, की अचानक कुछ ऐसा हुआ की वो कुछ समझ ही नहीं पाई, वहाँ वो गलती से उसी कॉलेज के सीनियर्स से टकरा गई, और डर कर चुप हो गई, मगर उस पल कुछ अलग ही हुआ दोनों एक दूसरे को देखते ही रहे, ना उसने उसे कुछ कहा और ना मोही ही कुछ बोल पाई।


तभी एक प्रोफेसर ने आकर मोही से उसकी क्लास पूछी वो घबराकर बोली और उनके साथ अपनी क्लास को चल पड़ी।दिन भर उसका दिल उसी घटना में लगा रहा, उसका ध्यान आज कही लग ही नहीं रहा था, क्या सोचकर आई थी, और क्या ही हो गया।

दिन बिता नए दोस्त भी बने और उसने अपने उस नए दोस्त को सुबह की घटना के बारे में बताया, वो सुनकर दोस्त ने कहा, तूने उसको सोरी भी नहीं कहा।यही सोचकर मोही बोली मैं घबरा गई और कुछ बोल नहीं पाई। उसकी नजरे पूरा दिन उस सीनियर को खोज रही थी।


सोच रही थी की अगर मुलाकात हो तो उनको सोरी बोल दूँ। दिन से शाम हो गई कॉलेज का यह पहला दिन ख्यालो में ही खो सा गया। पापा बाहर लेने भी आ गए पहला दिन था इसलिए पापा उसका मनोबल बढ़ाने आज आए थे। वो भी मंद मुस्कान लिए कॉलेज से निकल पड़ी। की तभी उसकी नजर उस सीनियर पर पड़ी मगर वो कुछ बोल नही पाई, लेकिन एक आवाज सुनाई दी कोई उस गुमनाम सीनियर को उसके नाम से बुला रहा था, पहली बार उसका नाम सुना फिर खो सी गई वो नाम था मोहित।


यह इत्तेफ़ाक ही था या किस्मत पता नहीं मगर मोही की दुनिया बदल सी गई थी। घर आकर भी उसका किसी काम में मन ही नही लग रहा था।


वो अगले दिन का फिर से इंतजार करने लगी, इस बार बस यह तसली थी की उसका नाम मालूम था, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अचानक एक ऐसी खबर आई कि जिसने सबकुछ एक पल में ही बदल दिया, कोरोना का कहर बढ़ने लगा और रात ही रात में पूरे देश में लाकडाऊन लग गया, मानो किसी ने सब सपनो पर भी लाकडाऊन सा लगा दिया हो।


मोही घबरा सी गई, घर पर भी माहौल अच्छा ना था, वो मायूस सी हो गई, अब कॉलेज जाने का सपना टूट सा गया, सब आनलाइन होने लगा, दिन रात ऐसे ही डर के माहौल में गुजरने लगा, और मोही भी उस घटना को भूल गई।


तभी उसको एक दिन फेसबुक पर एक मैसेज आया, गुमनाम अनजान नाम था, मगर मोही ने सोचा बात करने में कोई दिक्कत तो नही, मगर वो थोड़ी घबराई भी थी।खैर बात शुरू हुई, और बाते बढ़ने लगी, दोनो ने एक दूसरे को देखा नही था, क्यूंकि मोही ने भी अपनी तस्वीर फेसबुक पर लगाई नही थी।


दोनो को अब एक दूसरे से बात करना बहुत रास आने लगा था, हर वक्त इंतजार रहता एक दूसरे को की कब बात हो, और यही तो प्यार का आगाज था, बातो ही बातो में दोनो ने एक दूसरे की तस्वीर और पहचान पूछी, मोही घबरा भी रही थी, मगर बताना भी चाहती थी, वहाँ उस और भी वही हालत थी।


प्यार अब धीरे धीरे और गहरा होने लगा, मगर हैरान थी मोही की लोग कहते थे की बिना देखे किसी से सिर्फ बाते करके कैसे मोहब्बत हो सकती है, मगर उन दोनों की किस्मत में वही था शायद।


यहाँ देश का माहौल भी सुधरने लगा था और एक दिन फिर से खबर आई की कॉलेज फिर से खुल रहे और लाकडाऊन खुल रहा , यह बात सुनकर वो झूमने लगी, दोनों ने सोचा की इस बार पहली बार दोनों मिलेंगे, मगर मोही घबराने लगी, उसने पूछा की अगर मुझे देखकर तुमने ना पसंद किया तो, वो बोला की नहीं जितना सुकून तुमसे बात करके मिलती है शायद ही कभी मिला हो मुझे, तब मोही ने उसको अपना नाम और कॉलेज सही सही बताया, वो लड़का भी हैरान था, वो बोला की उसका भी कॉलेज वही है। यह सुनकर मोही दंग सी रह गई, मगर कुछ ना बोली, और दोनों ने कॉलेज में मिलने का मन बनाया, धीरे धीरे वो दिन भी आ गया कॉलेज जाने की उत्सुकता आज किसी और ही ख्याल में था।


इस बार उसने अकेले जाने के लिए घर वालो से आज्ञा ली, और फिर कॉलेज गई, फिर से वो उस दरवाजे पर पहुँची और फिर से किस्मत को वही दृश्य दोहराना था शायद, अचानक वो फिर उसी सीनियर से टकराई, और इस बार वो कुछ बोलती उसने खुद को संभाला और सोरी बोली, तभी मोही की सहेली ने मोही को उसके नाम से बुलाया, वो लड़का चौक सा गया, उसने मोही को अपनी पहचान बताई, मोही भी हैरान सी हो गई, क्या यह वही है जिसे मैंने इतने समय तक बाते की, दोनों की आँखों में चमक से आ गई, दोनों खुश भी थे, और हैरान भी, और दोनों की यह कहानी शायद किस्मत ने कुछ इसी अंदाज में लिखी थी शायद। मोहित की मोही की बेपनाह मोहब्बत।



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