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Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

2  

Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

बदलते चेहरे

बदलते चेहरे

2 mins
338

अख़बार में एक विज्ञापन को देखते ही मेंरे हाथ से चाय का कप छूटते-छूटते बचा। सीधे अर्जुन को फोन लगाया, "अर्जुन, ये क्या अखबार में एड दिया है? तुमने, अपना नाम बदल कर दुर्योधन रख दिया”


"हाँ रोहन! नाम बदल रहा हूँ” अर्जुन ने बहुत ठंडे स्वर में उत्तर दिया।


“क्यों? उम्र देखी है अपनी” मेंरा आश्चर्य सीमा पार कर रहा था। हालांकि अर्जुन मेंरा एक अच्छा मित्र था, इस नाते मैंने स्वर में आश्चर्य के साथ अधिकार भी मिलाया।


“बचपन में ही देखा था कि पिताजी और माँ का आपसी प्रेम, उनके तलाक के वक्त कोर्ट में कैसे दोषारोपण में बदल गया। मुझे माँ को सौंप दिया गया। माँ के माता-पिता, भाई-भाभी जो पहले मेंरे पिता के उनके घर आने पर खुश होते थे, वे ही फिर उनके चरित्र पर अंगुली उठाने लग गये। सब बदल गये थे” अर्जुन का स्वर ऐसा था जैसे बहुत दूर से बोल रहा था। बोलते-बोलते वह वह एक क्षण को रुक गया।


उसने खाँस कर गला साफ किया और आवाज़ को संयत करने का असफल प्रयास करते हुए आगे बोला, “बड़ा हुआ तो सुमित्रा मिली, हमारा प्रेम भी हुआ – विवाह भी। तुम्हें तो पता ही है कि शादी के दूसरे ही साल उसने मुझे छोड़ कर किसी धनाढ्य उद्योगपति के बेटे से विवाह कर लिया। वह बदल गयी थी। और अब सुयश भी, मेंरी अंगुली थाम कर चलना सीखा,बड़ा हो गया है। वो मेंरी छोटी सी बात तक नहीं मानता। पूरा बदल गया”


"हाँ! ठीक कहा तुमने, दुनिया में पत्नी-बच्चे लगभग सभी अपने मतलब से बदल ही जाते हैं, पर ये दुर्योधन नाम?" मुझे उसकी हालत का पूरा अंदाजा था, लेकिन मेंरे प्रश्न का उत्तर अभी तक नहीं मिला था।


"क्योंकि, महाभारत में पढ़ा था कि केवल वही एक व्यक्ति था, जो बुरा था – गलत राह पर था लेकिन उसने अपनी राह नहीं बदली। दुर्योधन जीवन पर्यन्त नहीं बदला”


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