बदलाव
बदलाव
"मैम, पहचाना मुझे?" फोन पर एक अजनबी लड़की की आवाज आई। मैंने कहा_ "सॉरी, मैं पहचान नहीं पा रही हूं। अब तुम ही बता दो कौन हो तुम?" "दरअसल मैम आप पहचान भी नहीं सकती। मैंने तो बहुत मुश्किल से आपका फोन नंबर ढूंढा है और बड़ी हिम्मत करके आज फोन कर रही हूं।"
"अच्छा बताओ तो सही कौन हो तुम?"
"मैं मोहनी बोल रही हूं।" मोहिनी नाम सुनकर भी कुछ याद न आया। मेरे सभी स्टूडेंट में मोहिनी नाम की तो कोई लड़की है ही नहीं। तो क्या कोई मेरी दूर की रिश्तेदार या फिर किसी सहेली की सहेली या किसी सहेली की बेटी कुछ समझ न आ रहा था। तभी हंसने की आवाज आई "अब ज्यादा मत सोचिए मैम, मोहनी तो अब मेरा नाम हो गया है ।आपको याद है न आपकी क्लास का वो स्टूडेंट जो हिंदी के नाम से ही कितना डरता था ।आज भी मुझे याद है आपके पढ़ाने का वह तरीका जो हिंदी के डर को मेरे मन से धीरे-धीरे निकाल दिया। आपने मुझे एक छोटे बच्चे की तरह अक्षर ज्ञान से शुरुआत करके पढ़ाना शुरू किया था। जिसकी वजह से दसवीं में मुझे हिंदी में अच्छे मार्क्स आए।"
"अरे तो तुम आदित्य हो।"
"हां मैं आदित्य ही बोल रहा हूं।"
"तो क्या तुम .....।"
"जी मैम मैंने बहुत कोशिश की कि मैं आदित्य ही बना रहूं पर जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ रही थी मुझे अपने अंदर एक खालीपन सा महसूस होता। आपको तो पता ही है मेरे पापा बड़े गुस्सैल स्वभाव के हैं। मेरे इस निर्णय से पापा बहुत नाराज होंगे शायद वह सारा गुस्सा मेरे मां पर ही उतारेंगे यह सोच कर मैंने कुछ कहा नहीं पर एक अजीब सी घुटन महसूस होती थी ।जब ये असहनीय होने लगी तो एक दिन हिम्मत करके मैंने अपने मन की बात अपने पापा से कह दी। पहले तो पापा बहुत नाराज हुए और गुस्से में ऐसी बात कही जो शायद ही कोई पिता अपने बच्चों से करता है पर मैंने उनकी बातों का बुरा न माना और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बस चुपचाप सिर झुका कर उनकी बातें सुनता रहा। मुझे तसल्ली थी कि मेरी मां हमेशा मेरा साथ देगी। एक हफ्ते तक तो पापा ने मुझसे कोई बात नहीं की। मेरी तरफ देखते तक न थे पर धीरे-धीरे घर का माहौल सामान्य होने लगा। मां पापा के बीच अब जब भी बात होती तो सिर्फ मेरे निर्णय को लेकर ।इन दिनों पापा ने कई डॉक्टर से सलाह ली ।अपने कई दोस्तों से बात की। सब ने उन्हें समझाया और इसका नतीजा यह हुआ एक दिन सुबह उठते हैं पापा ने मुझे अपने पास बुलाया ।पास बिठाकर पूछा_ "तुम आदित्य से मोहिनी बनने के अपने इस निर्णय पर अब भी कायम हो? सोच लो ऐसा न हो कि तुम्हें अपने इस निर्णय पर बाद में पछताना पड़े"। मैंने कहा_ "पापा, मैंने बहुत सोच समझकर यह निर्णय लिया है। मैं अपने घुटन और झूठी जिंदगी से तंग आ गया हूं। अब मैं अपने जीवन की सच्चाई को अपनाना चाहता हूं और इसमें मुझे न कोई संकोच है और न ही शर्म"। पापा ने प्यार से मेरे कंधे पर हाथ रखा और शाम में डॉक्टर के पास लेकर गए। मैम, मैं बहुत भाग्यशाली हूं जिसे ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने न केवल मेरे निर्णय को अपनाया बल्कि समाज में एक आइडियल पेरेंट्स की मिसाल भी बनाई। मेरे रिश्तेदारों में से कई लोगों ने पापा के इस निर्णय को गलत बताया। कुछ ने तो हमसे संबंध भी तोड़ दिए पर मेरे पापा ने किसी की परवाह नहीं की। उन्होंने मेरी खुशी के लिए न जाने कितने लोगों के ताने सुने। आज मैं बहुत खुश हूं ।अब आपके स्टूडेंटस की सूची में आदित्य की जगह मोहनी है हंसते हुए उसने कहा। उसकी बात सुन मेरा सिर श्रद्धा से आदित्य नहीं-नहीं मोहनी के माता पिता के प्रति झुक गया जिन्होंने समाज में ऐसा साहस दिखा अपने पुत्र प्रेम का एक अनुपम उदाहरण दिया है।