STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Inspirational

3  

Diwa Shanker Saraswat

Inspirational

बदलाव भाग 1

बदलाव भाग 1

2 mins
433

परिवर्तन संसार का नियम है। परिस्थितियां बदलाव को जन्म देती हैं। बदलाव अपरिहार्य है। बदलाव निरंतरता का प्रतीक होते हैं।

पर कुछ बातें सदियों पहले भी सच थीं और आज भी सच हैं। उन्हीं में एक है अहिंसा। बोद्ध और जैन दोनों धर्मों का मूल अहिंसा है। श्रीमद्भगवद्गीता के देवासुर संपद विभाग योग में अहिंसा को दैवीय संपत्ति माना है।

अहिंसा का विस्तृत अर्थ मन, वाणी और शरीर से किसी को कष्ट न देना है। पर कितना भी प्रयास कर लो, कभी न कभी ऐसा हो जाता है। पर प्रयास तो किया जा सकता है।

अशोक मोर्य वंश का तीसरा शासक था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार अशोक मोर्य वंश का चौथा शासक था। उससे पहले कुछ समय के लिये उसका भाई मोर्य वंश का शासक बना था।

अशोक के विषय में कहा जाता है कि वह अति हिंसक प्रवृत्ति का व युद्ध प्रिय था। पर कलिंग युद्ध के नरसंहार के बाद उसका मन बदल गया। चंड नाम से विख्यात अशोक प्रियदर्शन अशोक बन गया। उसने न केवल भारत में अपितु दूसरे देशों में भी अहिंसा के सिद्धांत का प्रचार किया।

अहिंसा के प्रचार में अशोक का योगदान अमूल्य है। पर साहित्य के क्षेत्र में वर्धन वंश के शासक हर्षवर्धन का अमूल्य योगदान है।

 हर्षवर्धन भी राज्य बढाने के उत्सुक राजा थे। समस्त उत्तर भारत में उनका राज्य था। पर दक्षिण में महापराक्रमी पुलकेशन द्वितीय के कारण वहां वह राज्य स्थापित न कर पाये।

 हर्ष वर्धन के जीवन में उनकी बहन राज्यश्री का अमूल्य योगदान बताया जाता है। बहन की संगत में ही वह अहिंसा के पुजारी हुए।

  सम्राट हर्षवर्धन ने संस्कृत भाषा में हर्ष नाम से बहुत साहित्य लिखा था जिनमें से अधिकतर लुप्त हो चुका है। उनका नाटक जीमूतचरितम जीमूतवाहन नामक एक परोपकारी व्यक्ति की गाथा है। वह खुद का बलिदान देकर भी पक्षीराज गरुण का मन बदल देता है। उन्हें अहिंसा का पाठ पढा देता है।

 लगता है कि शक्ति और शांति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। शक्ति होने पर ही शांति स्थापित हो सकती है। तथा राष्ट्र की शक्ति शांति होने पर ही बढती है।

 आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational