बढ़ते ही जाना है

बढ़ते ही जाना है

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सविता अपने घर में सबसे बड़ा बहन थी दो छोटे भाई और माँ के साथ रहती थी, जूनागढ़ में घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, सविता के पिता की एक्सिडेंट में डेथ हो जाती है, सविता ने अपने घर की ज़िम्मेदारी निभानी शुरू कर दिया। 

भाइयों को पढ़ाना माँ के लिए सब कुछ इंतज़ाम सविता अपनी छोटी सी नौकरी कर रही थी, चाहती थी के भानु और आकाश अच्छी एजुकेशन ले उनकी फीस का ख़्याल रखना चाहे वो अपने लिए कुछ भी नहीं लेती।  

 आई. टी कम्पनी में नौकरी करती थी, घर की हर समस्या से अकेले ही जूझती थी, रिश्ते आते सविता के तो माँ से कह कर मना करवा देती। माँ की बार कहती भानु की अब पढ़ाई हो चुकी तू अपनी शादी करके अपना घर बसा ले बेटा, मगर सविता को अपने भाइयों को बहुत ऊंचाइयों पर पहुँचाना चाहती हूँ माँ आखिर में मै उन दोनों को अधर में तो नहीं छोड़ सकती हूँ, रिश्तेदार मां को ताने मारना लगे अब क्या इसको बूढ़ी कर लोगी, बेचारी हर बार ख़ामोशी से आंसू बहा कर रह जाती, एक बार सविता अपने आफिस के काम से बाहर है। 

भाई का एक्सिडेंट हो जाता है, माँ सविता को ख़बर करती है, उसके आने पर डाक्टर बताते हैं भानु का आपरेशन होगा, उसकी टांग काटनी पड़ेगी। अब सविता बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल पाती है इधर माँ को देखना आखिर डाक्टर भानु आपरेशन कर देतें हैं। 

भानु का एक साल तक का वक़्त लगता है ठीक होने में सविता हार नहीं मानती और भानु का हौसला कम नहीं होने देती कहती है मै तेरे लिए हर संभव कोशिश करुंगी बस तू हिम्मत मत हारना, तेरा साथ ही सबसे ऊंचाई पर ले जा सकता है। 

भानु बहुत रोता है बार-बार कहता है दीदी मेरी इंजिनियरिंग पूरी होने ही वाली थी, मै चाहता था आपका सहारा बनूंगा और आपको आराम करने की कहूंगा आपके लिए क्या सोच रखा था भाई का फर्ज़ पूरा करुंगा आपको डोली में बिठा कर विदा करुंगा आपने हम सब के लिए बहुत मुश्किल उठाई थी मगर ये सब क्या हो गया दीदी, सविता कहती हैं हिम्मत नहीं हारना है मै तेरे साथ हमेशा खड़ी हूँ चाहे कुछ भी हो जाए। 

भानु को डाक्टर ठीक करने लिए सविता को कहते हैं ये डिप्रेशन में नहीं चला जाए आप इस को कांउंसलिंग करवा साइकोलॉिस्ट से और फिज़ोथैरेपी भी दिलवाएं और कई तरह और नेट से ढ़ूढ़कर जयपुर में आर्टिफिशियल पैर बनता है सविता बनवाती है।

भानु धीरे-धीरे अपनी ज़िन्दगी में लौटने लगता है उसके कालेज के फाइनल इयर के पेपर की तैयारी सविता खुद करवाती है। भानु को पढ़ाई में जो भी ज़रुरत होती है उसके दोस्त भी पूरी मदद करतें हैं।

भानु का रिजल्ट बहुत अच्छा आता है अब सविता उसे आगे एम. बीए करने के लिए प्रोत्साहित करती है।


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