Shikha Pari

Classics Drama

4.0  

Shikha Pari

Classics Drama

घर की नौकरी

घर की नौकरी

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।बड़ी बहू


तुम बड़ी बहू हो ,सबको देखना तुम्हारा फ़र्ज़ है।

आज फिर सुकन्या की सास ये बोलते ही बाहर चली गई।बेटे को गोद में लेके सबके लिए खाना बना रही थी सोचते हुए आखिर छुटकी के लिए इतनी छूट क्यों?

छुटकी नौकरी करती है सरकारी क्या बस इतना ही काफी है ताने सुनने के लिए तुम्हारी मम्मी से ,सुकन्या झुंझलाहट के साथ रवि से बोली।

जाने दो अम्मा हैं कोई लड़ाई नहीं कर सकता उनसे,बड़ी हैं सोच के बोल दिया होगा।छोटी थक भी जाती है और तुम आराम से घर में रहती हो।

ये आराम नहीं ,रवि यहाँ मैं छुटकी से ज़्यादा काम करती हूँ दिनभर छुट्टी भी नहीं होती ,छुटकी तो सात बजे घर आ जाती है मुझे देर रात तक कोई छुट्टी नहीं मिलती।सुकन्या रवि से झगड़ती पर रवि पहले ही सो गया।

आज देवरानी की दोस्तों की पार्टी थी ,देवर देवरानी शाम को ही निकल गए।सुकन्या खाना पका रही थी, रवि पेपर पढ़ रहा था ।अम्मा अचानक आयी तो साथ सहेली भी आ गई।सुकन्या ने चाय नाश्ता कराया।"तुम्हारी बहु तो बहुत अच्छी है रज्जो एक मेरी बहु है तुझे पता है सारा काम मैं करती हूँ मेरी बहु तो कुछ छूती भी नहीं।सुकन्या खुश हो रही थी कि अचानक छुटकी भी आ गई।अम्मा ने बड़ी ऐंठ से अपनी छोटी बहू से मिलवाया ये सरकारी नौकरी करती है।

"अच्छा तो एक सरकारी नौकर और एक तेरी अपनी नौकर रज्जो घर का काम करने वाली औरतें तो ज़्यादा काम करती हैं, पैसे लाती है छुटकी तो तू उसके पक्ष में ये तो ठीक नहीं सोच बड़की न हो तो तुम सब खाना भी न खा पाओ ऊपर से छोटे से बच्चे का भार भी बेचारी पे।अम्मा झेंप गयी तुरंत बड़की को चिपटा लिया।


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