बच्चों के मोबाइल या स्मार्टफोन की निगरानी आवश्यक है
बच्चों के मोबाइल या स्मार्टफोन की निगरानी आवश्यक है
मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है । इसके बिना कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं करना चाहता । निश्चित रूप से मोबाइल फोन से समाज में सुविधाओं की क्रांति आ गई है ।परंतु साथ में इसकी वजह से होने वाले नुकसान भी बढते जा रहे हैं ।
आज ऑफिस में मानव की बॉस के साथ कुछ कहासुनी हो गई थी । इसलिये उनका मूड ऑफ था, उनके सिर में भी दर्द हो रहा था । वह ऑफिस से जल्दी आ गये थे । पत्नी हेमा को अपने फोन में बिजी देख कर वह बोले , ‘एक कप अदरख वाली स्ट्रांग चाय बना कर कमरे में दे देना , मेरा सिर दर्द से फट रहा है’ ‘
बेटी आयूषी की निगाहें अपने फोन पर थीं और बेटा हमेशा की तरह फोन में गेम खेलने में बिजी था ।आधे घंटे तक वह कमरे में लेट कर चाय का इंतजार करते रहे फिर गुस्से में तमतमाते हुये बाहर आये तो कमरे का वही नजारा था । उन्होंने आव देखा न ताव और पत्नी के हाथ से मोबाइल छीन कर जमीन पर पटक दिया ... ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ‘ चाय मिलनी तो दूर की बात हो गई .... पति पत्नी के बीच में जोर की महाभारत हो गई ... नतीजा यह हुआ कि उन्हें ही 30, 000 का नया मोबाइल खरीद कर तुरंत पत्नी को देना पड़ा ।
काव्या अपनी बेटी को सेरेलक खिलाना चाह रही थी लेकिन वह चम्मच देखते ही मुंह फेर कर जोर जोर से रोने लगती । उसने परेशान होकर अपने फोन पर उसका मन पसंद कार्टून लगा कर फोन उसे पकड़ा दिया । वह तुरंत रोना भूल कर कार्टून देखती हुई खाने लगी .. अब तो रोज की बात हो गई बिना फोन पकड़े रिद्धि खाना मुंह में नहीं लगाती थी , मजबूर होकर काव्या को अब बेटी के हाथ में मोबाइल देना ही पड़ता था ।
सौम्या हो या काम्या बड़ी शान से कहती हुई देखी सुनी जाती हैं कि उनकी बेटी या बेटा जो अभी 3 साल का है , अपना मन पसंद गाना, कार्टून या कहानी लगा कर देखती रहती है ।
मोबाइल और इंटरनेट हमारे जीवन में रच बस गया है । इसने जीवन को आसान और रोचक बना दिया है । अधिकतर महिलायें रोते हुये बच्चे को चुप कराने के लिये , उसे खाना खिलाने के लिये , अपना घरेलू काम निबटाने के लिये , टी. वी. पर मनपसंद सीरियल देखने के लिये आदि समय उनके हाथ में मोबाइल देती हैं । इस तरह से निष्कर्ष यह है कि बचपन से ही आज की पीढी मोबाइल या इंटरनेट के संपर्क में आ जाती है ।
15 वर्षीय रोहन जो कक्षा 9 का छात्र था , वह प्रोजेक्ट करना है , के बहाने से पोर्न साइट देखने लगा । और जब स्कूल में पिछड़ने की शिकायत घर पर आई तब उसकी मां की आंखें खुली और उन्होंने बेटे के फोन की निगरानी करनी शुरू की । आजकल वीडियो गेम खेलना , चैटिंग करना ,गलत लोगों से फ्रेंडशिप करना , उल्टी सीधी साइट पर जाने से बच्चे अपने लिये मुसीबत खड़ी कर लेते हैं । इसलिये यह आवश्यक हो गया है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के फोन पर निगरानी रखें और उन्हें सही गलत का ज्ञान करायें ।
एनरायड फोन और इंटरनेट के कारण आज पूरी दुनिया सबकी मुट्ठी में आ गई है । य़दि थोड़ी देर के लिये भी इंटरनेट बंद हो जाता है तो अनेक काम रुक जाते हैं और जीवन पंगु हो उठता है ।
इंटरनेट के मामले में हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा देश है । एक सर्वे में बताया गया है कि लगभग 82 पर्सेंट लोग नेट के बिना 24 घंटे भी नहीं बिता पाते । नेट से जुड़ाव और इसके नशे के कारण लोग अपनी सेहत की भी परवाह नहीं करते हैं ।
नींद------- युवाओं को ऑनलाइन रहने की लत हो जाती है जिससे वह लोग रात में देर से सोते हैं हालत यहां तक हो जाती है कि आंख खुलते ही वह पहले इंटरनेट पर अपने मेसेज और नोटिफिकेशन चेक करते हैं । देर रात तक चैटिंग करते रहना और सोशल मीडिया के संदेश देखते रहने से नींद पर असर पड़ रहा है । नींद पूरी न होने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन और क्रोध बढता है ।
5 पर्सेंट लोग तो अपना खाना ,साफ सफाई आदि काम और परिवार के लोगों के बीच भी इंटरनेट में बिजी रहते हैं । 28 पर्सेंट लोग बातचीत करते – करते भी इंटरनेट का प्रयोग करते हैं । जब कि 19 पर्सेंट लोग ही संयम से नेट का प्रयोग करते हैं । 64 पर्सेंट यह मानते हैं कि नेट पर रहने से उनकी पहचान प्रभावित होती है । और यहां तक कि 3 परंसेंट लोगों ने स्वीकार किया है कि इंटरनेट के कारण उनका पारिवारिक जीवन प्रभावित हुआ है ।
जब आप ऑनलाइन रहते हैं तो अच्छा महसूस करते हैं । अच्छे कमेंट और नोटिफिकेशन से आपका खराब मूड अच्छा हो जाता है ।
इंटरनेट पर किसी तरह की कोई सीमा नहीं है । यहां पर अनगिनत साइट खोली जा सकती हैं । बच्चे जहां बड़ी आसानी से इंटरनेट फ्रेंडली हो रहे हैं वहीं वे अनजाने ही कई प्रकार के दुष्प्रभावों की गिरफ्त में आ जाते हैं।
बच्चे अनजाने में अपनी व्यक्तिगत जानकारी नेट पर डाल देते हैं । टीन एजर्स बहुत सी गोपनीय बातें भी कई तरह के प्रलोभन की लालच में नेट पर शेयर कर देते हैं , जिसकी वजह से वह मुसीबत या परेशानी में पड़ जाया करते हैं । और कई बार तो वह किसी गिरोह या गैंग के हत्थे भी पड़ जाते हैं ।
हिंसा ,अश्लीलता और नशा परोसती साइट्स निश्चित रूप से अल्पायु या युवा वर्ग के बच्चों के बौद्धिक विकास को बाधित करके गलत मार्ग पर ले जा रही हैं । बढती रेप की घटनायें और हत्या जैसे अपराधों के पीछे भी ये साइट्स कुछ हद् तक जिम्मेदार कही जा सकती हैं ।
इंटरनेट के बढते दुष्प्रभावों ने आज बच्चोंके अभिभावकों को चिंता में डाल रखा है । इसलिये पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों के फोन पर अपनी निगाहें रखें और उनका फोन समय समय पर चेक करते रहें ।
फिल्टरिंग है एक बेहतर तरीका ------- नेट पर कई तरह के फिल्टरिंग और ब्लाकिंग सिस्टम भी मौजूद हैं , जिसमें यह सुविधा प्रदान की जाती है कि आपके बच्चे ऐच्छिक साइट्स ही खोल सकते है और अनजानी और अनचाही वेबसाइट्स सर्फ ही नहीं की जा सकती । माइक्रो सॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर पर भी यह सुविधा है ।
इंटरनेट पर वेबसाइट रेटिंग सिस्टम -------------जिसमें एक्सप्लोरर में टूल्स मेनू में जाकर ‘इंटरनेट ऑप्शन ‘ चुनना होता है । उसके बाद कंटेंट पर जाकर ‘कंटेंट एडवाइजर ‘ सेलेक्ट करें , फिर उसे एनेबिल करें । इसके अतिरिक्त कई इंटरनेट फिल्टरिंग सॉफ्टवेयर भी हैं जो अनुपयुक्त साइट्स को खुलने ही नहीं देते । इस तरह के टूल्स का नाम MSN प्रीमियम है ।
इसलिये यह आवश्यक हो गया है कि बच्चों के नेट सर्फिंग पर पैनी नजर रखें । यदि संभव हो सके तो अपनी देख रेख में ही नेट सर्फिंग करने दें ।
शिक्षकों और नेट विशेषज्ञों के परामर्श से वेबसाइट की सूची तैयार की जाये , जो बच्चों के लिये उपयोगी और आवश्यक है । एम . एस . एन . किड्स पर जाकर पैरेंट्स बच्चों के लिये विषयों से संबंधित साइट्स की जानकारी जुटा सकते हैं ।
पैरेंट्स को ब्राउजिंग हिस्ट्री पर जाकर यह अवश्य देख लेना चाहिये कि उनके नौनिहाल कौन सी साइट्स को सर्च कर रहे हैं । इसके साथ साथ मित्र बन कर बच्चों को सही गलत की जानकारी पैरेंट्स से अच्छा कोई नहीं दे सकता ।
1----अपने बच्चे के फोन पर नेट की टाइम लिमिट सेट कर दें यानी की रात को सोते समय फोन लॉक रहने दें । वहीं पढाई और स्कूल टाइम में फोन से दूर रखें ।
2-------नान एजूकेशनल ऐप को ब्लाक कर दें ।जैसे- व्हाट्सऐप , स्नैपचैट , इंस्ट्राग्राम , प्लेस्टोर .... इन सभी ऐप्स को जरूरत के समय ही प्रयोग करने दें । हालांकि अगर बच्चा ज्यादा जिद् करता है तो ऐप एक्सेस करने की लिमिट तय कर दें ।
3------- एडल्ट और पोर्न वेबसाइट को लॉक कर दें ------बच्चों को हमेशा पोर्न और एडल्ट वेबसाइट से दूर रखें। यह बच्चों के लिये अनावश्यक हैं। पैरेंट्स वेब फिल्टर की मदद से ऐसी वेबसाइट को ब्लाक कर दें ।
4-------- वेब फिल्टर और सेफ ब्राउजर की मदद से ब्राउजिंग हिस्ट्री देखते रहना चाहिये कि उनका बच्चा कौन सी साइट एक्सेस कर रहा है ।
5-------------- मैसेजिंग ऐप पर जाकर चैटिंग समय समय पर चेक करना जरूरी होता है । अगर sexting या Cyberbulling जैसी कोई चैट दिखाई दे तो उसे तुरंत ब्लाक करें । और बच्चे को डांटने के बजाय प्यार से उसके बारे में समझायें ।
सबसे आवश्यक है कि आपका बच्चा किससे कितनी देर बात करता है , इसकी जानकारी अवश्य रखें । कई बार बच्चे पैरेंट्स के डर से कुछ बाते शेयर नहीं कर पाते और फिर गलत दोस्तों के चक्कर में पड़कर फंस जाते हैं । काल ब्लाक फंक्शन से लेकर काल लिमिट की जानकारी रखनी चाहिये ।
Android Parental Control ऐप की मदद से बच्चों के फोन पर निगरानी रखी जा सकती है । इस ऐप का यूजर इंटरफेस काफी आसान भी है ।
