Dheerja Sharma

Inspirational

5.0  

Dheerja Sharma

Inspirational

बौनी उड़ान

बौनी उड़ान

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उसका कद करीब चार फीट होगा। छोटे छोटे हाथ, छोटी टांगें लेकिन चेहरे से भरी पूरी लड़की। स्पष्ट कहूँ तो वो बौनी ही था। यूनिवर्सिटी की कॉन्वोकेशन में उसे देखा। हम हँस पड़े उसे देख कर। लेकिन जब उसे राष्ट्रपति के हाथों स्वर्ण पदक और रोल ऑफ ऑनर लेते देखा तो खुद पर शर्म आने लगी। और अगले दिन उस लड़की की कहानी अखबार में छपी थी।

कहानी क्या, एक संघर्ष गाथा थी। एक लड़की की कभी हिम्मत न हारने वाली गाथा। वो नन्ही लड़की जो स्कूल नहीं जाना चाहती थी क्योंकि साथियों के उपहास का पात्र थी वो। ईश्वर ने अधूरा शरीर दिया किंतु बेहद प्यार करने वाले, आत्मविश्वास बढ़ाने वाले माता पिता। उन्होंने उसे संगीत में पारंगत किया।स्कूल के लिए अनेक पुरस्कार जीत कर पूरे राज्य में स्कूल का नाम रोशन किया। पिता का हर दूसरे तीसरे साल तबादला होता और हर बार वही जद्दोजहद। उसे देखते ही एडमिशन के लिए मना कर दिया जाता। कॉलेज गयी तो डॉक्टर बनने का सपना ले कर। कितनी तकलीफें, मानसिक यातना झेल कर ये सपना भी पूरा किया।

जिस लड़की को समाज ने हर कदम पर अपमानित किया, जिसके आत्मविश्वास को चकनाचूर करने का भरसक प्रयत्न किया गया, जिसने छोटे से जीवन में न जाने कितनी बार मरने की सोची, वह लोगों का जीवन बचाने वाली बनी। जिन हाथ पाँव को लोग घृणा की दृष्टि से देखते, उन्हीं पाँव को कृतज्ञतावश छूने लगे।

अखबार में उसकी कहानी पढ़ कर मैं सोचने लगी... बौनी वह नहीं , बौना समाज है, समाज की सोच है। उसकी उड़ान बौनी नहीं....बहुत ऊंची थी...आकाश से भी ऊंची!



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