बाहरी दुनिया
बाहरी दुनिया
भारत के घने जंगलो में एक छोटी सी बस्ती थी, दूर विरानो में नाम था अंजुम। वो बस्ती बड़े तो क्या छोटे छोटे कस्बों से भी कटी हुई थी। वहाँ के लोग आदीवासी जीवन जीते थे। जनसंख्या भी बहुत कम थी, मानो किसी छोटी सी कॉलोनी जितनी। उन्हें आधुनिक युग का कोई ज्ञान नहीं था। कोई सामान उनके पास ऐसा नहीं था जो हम शहरी इस्तेमाल करते हैं। किसी आदिकाल का जीवन जीते थे वो। पढ़ाई तो कोसों दूर थी उनसे। पहनने को कपड़े भी किसी ओर तरह से बनाते थे।
एक बार उनके बस्ती में एसेट्रोनट आ पहुँचा।
उसने स्पेस सूट पहना हुआ था। वो वहाँ अंजाने में पहुँचा था। उनके रोकेट में तकनीकी खराबी आ गई थी। जिससे उन्हें अपने यान से नीचे आना पड़ा पर रास्ते में मौसम की खराबी आने से वो इस जंगल के मैदान में उतर गए। एक एसेट्रोनट ने कहा- मैं जा कर देखता हूँ। कही कुछ रहने को मिल जाए। वो थोड़ी दूर ही पहुँचा था कि उसके सामने कुछ आदिमानव आए। उनके हाथ में मसाल थी तो एक के हाथ में भाला।
वो डर गया। डरना भी लाजमी था। वो उसकी ओर ही मारने भागे थे। वो उन्हे रोकने की कोशिश करने लगा पर वो आदिमानव भी डरे हुए थे, क्यूँकि वो एस्ट्रोनट ने स्पेस सूट जो पहना था उसकी वेश-भुशा से वो मानव अंजान थे। नहीं जानते थे कि हमारी दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है। वो तो अभी भी अपनी छोटी सी दुनिया में ही मस्त थे। बाहरी दुनिया की कोई खैर खबर नहीं थी उन्हें। उनके लिए तो दुनिया बस इतनी ही बड़ी है जितनी उन मानवों ने देखी है।
एस्ट्रोनट बोल रहा था, बता रहा था अपने बारे में, पर वो मानव उसकी भाषा समझ नहीं पा रहे थे।
मानव तो उसे कोई दूसरे ग्रह से आया एक राक्षस समझ रहे थे जो उन्हें नुकसान पहुँचाने आया है। उनके साथ जो महिला और बच्ची थी वो एस्ट्रोनट को देख कर डरे हुए थे। बड़ी मुश्किल से वो एस्ट्रोनट उन्हें अपनी दुनिया के बारे में बता पाया था। अब कही जाकर उनका गुस्सा शांत हुआ। अज्ञानता और बाहरी दुनिया से कटे होने के कारण उनको एहसास ही नहीं था कि बहुत कुछ है जो उन लोगों ने नहीं देखा अब तक।
एस्ट्रोनट ने तय किया कि अब जो बस्ती पिछड़ी हुई है, अंजान है उन सबको वो एक नई रोशनी की किरण देंगे। अब वो आदिमानव भी उनपे भरोसा कर रहे थे !
