और बात है
और बात है
ये ज़िद है रहूं हमेशा साथ तेरे,
तू थामे या ना रहे ये और बात है।
हाँ ग़ुस्ताख़ी थी बड़ी क़ुबूल है,
बिखरे जज़्बात हैं ये और बात है।
तजुर्बा हुआ ज़िन्दगी है क्या कहें,
समझे देर से ये बात ये और बात है।
बहता रहा यूँ ही दरिया किनारे तोड़ कर,
अश्क़ तेरेआँखें मेरी थीं कल रात ये और बात है।
आना ही था तुझ तक, तू घर है मेरा,
तुझ में बस्ती मेरी कायनात है, ये और बात है।
ये ज़िद है रहूं हमेशा साथ तेरे,
तू थामे या ना रहे ये और बात है।