अरे भाग्यवान कभी तो चुप हो जाओ
अरे भाग्यवान कभी तो चुप हो जाओ


विमला जी और कमल जी के दो बेटे थे बड़ा बेटा शुभम तथा छोटा मनन। कमल जी एक सरकारी कर्मचारी के पद से रिटायर थे। दोनों बच्चे भी नौकरी में थे। शुभ की शादी हो चुकी थी पीहू से। पीहू बहुत ही सभ्य, सुंदर, संस्कारी, प्यारी मुस्कान वाली लड़की थी।
वह घर में सभी का बहुत ही ध्यान रखती। घर आते ही उसने सारी जिम्मेदारी संभाल ली थी पर वह एक गरीब घर की लड़की थी। जिसकी वजह से विमला जी को कुछ कम पसंद थी।
शुभ शुरू में एक छोटी सी नौकरी में था। उसके लिए ज्यादा रिश्ते नहीं मिल रहे थे। कई जगह देखने के बाद सबको पीहू ही पसंद आई जो ग्रेजुएट और देखने में भी अच्छी लगी। तो इसी से रिश्ता कर दिया गया। पर अब तो शुभ की काफी तरक्की हो गई है तो मां को लगता है कि अब शादी करते तो अच्छे घर से रिश्ता होता। इसी बात को लेकर वह कई बार पीहू को सुनाती भी हैं।
विमला जी कड़क मिजाज की हैं और कायदे कानून वाली भी है। घर में सभी उनसे डरते हैं। वह जैसा चाहती हैं वैसा ही होता है। और पीहू को भी कई बार कुछ- कुछ कहती पर कोई उनको कुछ कहता नहीं। पीहू भी बड़ी है, का लिहाज करके चुप रहती है। कुछ बोलती नहीं है पर कमल जी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि विमला उसको फालतू मे टोके। घर में सबको चुप रहने की आदत ही हो गई है। बच्चे भी मां का आदर करते हैं और उनसे डरते हैं।
विमला जी का मन है कि छोटा बेटा मनन जो कि अच्छी नौकरी में है। उसके लिए देखकर बड़े घर की कमाऊ बहू लाऊंगी। मन मुताबिक बात चलाई। बहुत ही बड़े घर की लड़की काजल से रिश्ता पक्का हुआ मनन का । काजल देखने में अच्छी, साथ में इंजीनियर भी। सोने पे सुहागा। जैसा विमला जी चाहती थी वैसा ही और साथ में खूब दहेज भी लाई। विमला जी बहुत खुश थी। सबको अपनी बहू काजल से मिलाने में उनको बहुत अच्छा लगता था। अपने कामों के लिए उसी को याद करना चाहे काजल शुरू में खुशी-खुशी काम करें। फिर ऑफिस की थकान तथा अपने मायके में बिल्कुल भी काम ना करे होने के कारण सासू मां की बातों को अनसुना करने की कोशिश करने लगी। कमल जी ये बात कुछ समझने लगे थे।
काजल से खुश होने तथा पीहू को दिखाने के लिए अब तो और भी ज्यादा विमला जी पीहू सुनाने लगी और उसकी तुलना काजल से करने लगी। काजल को सासु मां की तानाशाही बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी। वह बहुत ही चालाक थी उसने अपने लिए कुछ ही महीनों में दूसरे शहर में नौकरी देखली और मनन को भी वही ट्रांसफर लेने को कह दिया। और दोनों दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए।
कमल जी काजल की होशियारी समझ रहे थे पर वह किसी से कुछ नहीं कहते थे।
काजल के जाने के बाद भी विमला जी का व्यवहार नहीं बदला। पीहू सारा काम करे समय-समय पर नाश्ता, खाना सब मम्मी जी, पापा जी को दे। फिर भी उसको कोई ना कोई बात को लेकर विमला जी हमेशा सुनाती रहती।
1 दिन किसी बात को लेकर वह पीहू को सुना रही थी।
बहुत देर हो गई सुनाते- सुनाते तब आज जाकर कमल
जी का पारा बढ़ गया गुस्से से बोले "भाग्यवान! कभी तो चुप हो जाओ। हमेशा बड़बड़ बड़बड़ करती रहती हो।"
आज पहली बार कमल जी के सबके सामने इतनी तेज डांटने से विमला जी बहुत ही दुखी हुईं। वो किसी से और कमल जी से भी बात नहीं कर रही थीं। रात में कमल जी ने उनको मनाने की कोशिश की पर वह नाराज ही थीं। कमल जी! थोड़ा गुस्से और फिर समझाते हुए बोले "तुम्हारी इसी आदत की वजह से काजल व मनन यहां से चले गये। अब कहीं ऐसा ना हो कि पीहू और शुभ भी हमको छोड़कर अलग हो जाएं। अपना बुढ़ापा क्यों खराब कर रही हो।"
यह सब बातें सुन विमला जी को जोर से सीने में दर्द उठा। उन्हें हार्ड अटैक पड़ गया था। कमल जी ने जब देखा तो उनके हाथ पैर फूल गए। वह घबराकर चिल्लाए शुभsss पीहूssss दोनों बच्चे दौड़कर आए। "अरे मां को देखो, यह क्या हो गया। इनको अस्पताल ले चलो"
जल्दी से शुभ व पीहू, मां को अस्पताल ले गए। वहां उनका इलाज हुआ 2 दिन में छुट्टी हो गई। विमला जी बहुत ही कमजोर हो गई थी। अब पीहू घर में विमला जी का दिनरात बहुत ध्यान रखती। डॉक्टर के कहे अनुसार उनको समय-समय पर दवाई, दूध, फल सब देती। जल्द ही विमला जी पूरी स्वस्थ्य हो चलीं। विमला जी को पीहू की अनवरत सेवा देख आज अपनी गलती का एहसास हो रहा था। उनको लगा मैं कितनी गलत थी। कमल जी सही कह रहे थे, मैं तो अपनी ही हीरे जैसी बहू का तिरस्कार कर रही थी।
उधर जब काजल को पता लगा कि मम्मी जी को हार्ट अटैक आया था। तो वह तो नहीं मनन मां से मिल कर चला गया। काजल का ऑफिस का काम था। इस वजह से नहीं आ पाई।
1 दिन विमला जी रो रही थी तभी पीहू कमरे में पहुंच गई और घबराकर पूछी "मम्मी जी क्या हुआ?"
"कुछ नहीं मेरे सिर में दर्द हो रहा है"
"लाइए मैं तेल लगा दूं।" फिर उनके सिर में तेल लगाने लगी। विमला जी बोली "बेटा मेरी गलती के लिए मुझे माफ कर दो। मैंने तेरा बहुत दिल दुखाया है।"
" ऐसा क्यों कह रही है मम्मी जी। आप बड़ी होकर मुझसे माफ़ी मांगें ये मुझे मंजूर नहीं। आप तो मेरी मां समान है।" कह पीहू रोते हुए विमला जी के आगे आ आंखों के आंसू पोछने लगी।
विमला जी के मन के सारे गिले शिकवे अब आंसुओं में बह चले। उन्होंने प्यार से पीहू को गले से लगा लिया और
दोनों के दिल के सारे दुख दूर हो गए।