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Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

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Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

अपूर्ण

अपूर्ण

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चित्र प्रदर्शनी में खड़ा वह एक चित्र को समझने का प्रयत्न कर रहा था, उस चित्र में मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा दिखाई दे रहे थे, लेकिन चारों आधे-अधूरे बने हुए थे। उन धर्मस्थलों के पीछे एक स्त्री बैठी थी, वहां एक ही जैसे दो कटे हुए हाथ भी थे, उनमें से एक ने स्त्री का हाथ थामा हुआ था और दूसरा उसके कपड़े फाड़ रहा था, स्त्री के चेहरे पर लाचारी स्पष्ट दिखाई दे रही थी, उसकी गोद में एक बच्चा था, जो बिलख-बिलख कर रो रहा था।

आख़िरकार वह चित्रकार के पास गया और उस उस चित्र अर्थ पूछ ही लिया, चित्रकार ने बताया, "उसमें एक अविवाहित माँ है। चूँकि प्रेम तो हर धर्म में माना गया है, इसलिये वह स्त्री धार्मिक स्थलों के पीछे है, धर्म का अनुसरण करती हुई।"

"लेकिन ये धार्मिक स्थान अधूरे क्यों हैं ?"

"हर धर्म इसे और इसके बच्चे को नहीं स्वीकारने की अपूर्णता और जिस हाथ को उसने थामा, उसका चेहरा पहचानने की अक्षमता रखता है।"


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