अपनों का महत्व 2
अपनों का महत्व 2
पिछले भाग में हमने पढ़ा कि कोशल कर्ज में डूब जाता है और उसे कुछ नहीं समझ आता है कि वह क्या करे क्या ना। अब आग
कोशल कि बात सुन विना बहुत ही दुखी होती है उसके तो पैरों तले जमीन ही खिसक जाती है। पर वह कोोशल को होोंसला देते हुए कहती है कि चििंता मत करो सब ठीक हो जाएगा।
फिर वह कोशल को कहती है कि हम अपने किसी रिश्तेदार से मदद लें लेेंगे कोई तो हमारी मदद जरूर करेगा।
तब कोशल गुस्से में बोलता है कि कोनसा रिश्तेदार मदद करेगा हमारी तुमने कभी भी किसी से रिश्ता
रखने दिया ही कहा है। विना चुप हो जाती है और अंदर कमरे में चली जाती है। और याद करती है कि कैसे रोशन को एक पैसो की आवश्यकता पड़ती है पर वह कोशल को उसकी मदद नहीं करने देती है।
अब समान परिस्थिति उसकी है। तो रोशन उनकी मदद कर्मों करेगा। पर फिर भी वह कोशल को कहती है किएक बार रोशन को कह के देेख लो।
तब कोशल कहता है की जरूरत के समय तुम्हें मेराााा भाई याद आ गया । मैं उससे किस मुंह से मदद माांगू। वह कहती हैं कि मुझे माा़फ कर दो पर एक बार कोशिश तो करो।
कोोोशल कुछ देर सोचने के बाद कहता है कि ठीक है एक बार कोशिश करता हूं। और वह रोशन के घर पर जाता है और उसे सब बताता है। रोशन उसकी बातें सुन कर उठ कर अंदर कमरे में जाता है और कुछ देर बाद आता है उसके हाथ में एक लिफाफा होता है और वह उसे कोशल को दे देता है। कोशल लिफाफे को देखता है उसमें पैसे होते हैं।
कोशल रोने लगता है और अपने भाई के पैरों में गिर जाता है और उसे कहता है कि मुझे माफ़ कर दो मेेेेंने आपकी मदद नहीं की पर आपने बिना कोई सवाल मुझे इतने पैसे दे दिए। यह सब बातें विना चुप चाप सुन रही होती हैं। विना भी रोोोशन के पास आकर माफी मांगने लगती है कि आपने आज अपनो का महत्व सिखा दिया। मदद के समय अपने ही साथ देेे हैं आज मुझे समझ आ गया है। परिवार से बड़ा कोई मोल नहीं है। और फिर सभी मिल जुलकर रहने लगते हैं।
पैसे परिवार से ज्यादा अच्छे नहीं होते हैं। अपना परिवार अपना ही होता है। अपने कितने भी बुरे हो पर समय आने पर परिवार ही साथ देगा। इस लिए अपने भाई बहन माता पिता किसी और के कहने या लालच में आकर नहीं छोड़ना चाहिए।
