अपनो का महत्व 1
अपनो का महत्व 1
एक बार की बात है। चंद्रपुर नाम के गांव मे दो भाई रहते थे। दोनों भाई बहुत काम करते थे।
दोनों भाइयों के घर अलग अलग थे परन्तु थे पास पास। बड़े भाई का नाम रौशन था और छोटे का नाम कौशल था। रौशन के दो बच्चे थे रूपा और राजू, रौशन की पत्नी सुनंदा थी जो बहुत ही भोली भाली थी।
कौशल के केवल एक लड़की थी जिसका नाम गोरी था गोरी की मां का नाम विना था। विना बहुत चालाक और घमंडी थी।
विना रौशन और उसके बच्चों उसकी पत्नी को बिल्कुल पसंद नहींं करती थी। परंतु कौशल अपने भाई और उसके परिवार से बहुत प्यार करता था और उनका बहुत आदर सम्मान भी करता था।
विना अपनी लड़की को रौशन के घर जान नहीं जाने देती थी। वह कौशल से भी बहुत झगड़ा करती और उसे। रौशन के घर जाने से रोक दी। कौशल हमेशा ही यह कहता कि वह भी मेरा परिवार है परिवार के बिना कुछ भी नहीं। जरूरत आने पर परिवार ही हमारा परिवार हमारे साथ खड़ा होगा।
परन्तु विना उसकी कोई बात समझने को तैयार नहीं थी। वह कहती थी कि अपना कोई नहीं होता सब दिखावा है।
कुछ दिनों बाद अचानक कौशल घर पर आता है। वह बहुत दुखी होता है और बहुत रोता है। विना उससे पूछती है क्या हुआ। वह उसे बताता है कि इस बार उसकी फसल बिल्कुल खराब हो गई है और वह कर्ज चुकाने मे असमर्थ है। अब उसकी ज़मीन चली जायेगी। वह अब कुछ नहीं कर सकता है।
वह कहता है कि अब हम कैसे जीवन यापन करेंगे। वह बहुत ज्यादा परेशान होता है उसे कुछ नहीं समझ आता है।
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़ें की कौशल इस परिस्थिति का सामना कैसे करता है या उसकी कोई मदद करता है।
क्रमश :