अपनी दुनिया में खुश
अपनी दुनिया में खुश
जानकीदास जी और उनकी पत्नी अपने छोटे बेटे के साथ बहुत ही खुश अच्छी तरह से रहती थी।
उनका समय काफी अच्छे से निकल रहा था।
उनका बड़ा बेटा विदेश में रहता था वह लंदन में रहता था।
और वह अपने मन में अपने मां-बाप के प्रति निश्चिंत था कि वे छोटे भाई के साथ बहुत अच्छी तरह रहते हैं।
छोटे भाई का परिवार मां बाप को बहुत अच्छे आदर और सम्मान से रखता था।
बच्चे भी बहुत आदर करते थे।
जब जानकी दास जी अपनी नौकरी से रिटायर हो गए तो उन्होंने सोचा कुछ दिन बड़े बेटे के पास लंदन हो आते हैं। वह बहुत दिन से बुला भी रहा है।
बड़े बेटे की बहू वैसे तो अच्छी थी मगर उसको अपनी जिम्मेदारियां बढ़ाने नहीं थी, इसलिए वह ज्यादा खुश नहीं थी
फिर भी इसमें सोचा थोड़े दिन के लिए आ रहे हैं तो अच्छी तरह रख लूंगी। दूसरे दिन सुबह वे लोग लंदन पहुंच गए।
बेटा उनको लेने आया घर पहुंचे बेटा बहु तो बहुत प्यार से मिले ।
मगर बच्चे कमरे से बाहर ही नहीं आए और अपने दादा दादी के लिए कमरे के लिए एडजेस्ट करने भी तैयार नहीं हुए।
मगर किसी तरह उनका घर में कमरे का बंदोबस्त किया गया।
और अच्छी तरह रहने लगे वहां उनको उनकी बहू के पहनावे पर और पोती के पहनावे पर बहुत बुरा लगता मगर वे कुछ बोलते नहीं।
क्योंकि उनकी सोच जैसा देश वैसा भेष थी।
एक बार जब उनकी बेटी बाहर जा रही थी और उसने बहुत ही खराब ड्रेस पहन रखा था तो उन्होंने टोक दिया। इस पर उसकी मां ने और उसने उनको बहुत बुरा भला
बोला । जानकी दास जी चुप नहीं रह सके उन्होंने कहा लड़की को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। और ड्रेस तो कम से कम ढंग की पहननी चाहिए। यह अच्छी बात नहीं है।
मगर उसने एक ना सुनी और वह बाहर चली गई। रात देर रात वह शराब के नशे में एक विदेशी लड़के के साथ जो उम्र में काफी बड़ा था सहारा लेकर घर में घुसती है।
और सोफे पर ही पड़ जाती है, उसका दोस्त उसको छोड़ कर चला जाता है। मगर उसके मां बाप उसको कुछ नहीं बोलते। दूसरे दिन सुबह जब दादी ने मां को बोला की बेटी को संभालो। रात को इतना शराब पी कर आई थी। इतनी देर रात तक बाहर रहना अच्छी बात नहीं है। मगर उसकी मां ने दादी को ही डांट दिया।
थोड़ी सी देर में लड़की बाहर आकर बोलती है कल जो मेरे को छोड़ने आया था वह मेरा बॉयफ्रेंड है। और मैं उससे शादी करने वाली हूं। उसके दादा-दादी तो एकदम सकते में आ जाते हैं। कितना बुड्ढा आदमी उम्र का इतना अंतर और यह उससे शादी करना चाहती है। जानती ही कितना है फिर उसको समझाने की बहुत कोशिश करते हैं। मगर वह समझने को तैयार ही नहीं होती। उसकी मां बोलती है आप क्यों बीच में पड़ते हो। उसको जो करना है करने दो। यहां तो यह सब चलता है अब जानकी दास जी और उनकी पत्नी का गुस्सा फूटा।
उन्होंने उन दोनों को बहुत डांट लगाई। बोला यह शादी नहीं हो सकती है। शाम को जब उनका पुत्र आया तो उन्होंने कमरे में ले जाकर उससे बहुत सारी बातें करी। उसको समझाया बेटी की जिंदगी का सवाल है। उसको दिमाग में समझ में आई उसने कहा मैं इस आदमी का सारा कच्चा चिट्ठा निकाल कर लाता हूं। और जब उसने उसका पूरा कच्चा चिट्ठा निकाला तो पता लगा कि वह तो आदमी तो अपराधी था। उसका काम ही ऐसी पार्टियों में लड़कियों को शराब में ड्रग मिला कर देना और अपने साथ प्यार का नाटक करना और लड़की फंस जाए तो जाए तो उसको शादी के बंधन में बांध के उसके ब्लू फिल्म निकालना और उसको डायवर्स करके ब्लैक मेलिंग करना।
यह सब पता लगते ही वह तो एकदम सकते में आ गया। उसने घर आकर के बेटी को वह सब बताया और अपनी पत्नी को भी समझाया तो उन लोगों की आंखें खुल गई, और वह लड़की उस कुएं में जाने से बच गई।
इधर उसका लड़का घंटों किसी से कंप्यूटर के ऊपर चैटिंग करता रहता। एक दिन फोन पर भी जोर जोर से बोल रहा था।
उसमें कुछ इस्लामिक भाषा और शब्द बोल रहा था जेहाद और अकबर अल्लाह हो अकबर ऐसा कुछ उसके दादाजी ने सुन लिया।
जब वह कमरे में गए तो उसने बात को पलट दिया कुछ नहीं है ऐसा। थोड़ी देर बाद उसकी मां ने बेटे को आवाज लगाई।
बेटा कंप्यूटर खुला छोड़ कर बाहर गया तभी दादा जी ने कंप्यूटर को चेक किया और देखा उसका मुस्लिम नाम हुसैन अली लिखा हुआ है। और वो टेरेरिस्ट ग्रुप का एक सदस्य है। उनकी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई बोले यह मेरा बच्चा कौन से अपराध की तरफ जा रहा है। उसको रोकना जरूरी है।
इसके मां-बाप को भी पता नहीं है इस को रोकना जरूरी है। जब पोता अपनी मां के पास से वापस आया तो उन्होंने उसको पूछा तेरा आगे का प्लान क्या है।
पढ़ाई के लिए कहां जाने वाला है। यहां कहां पढ़ने वाला है। तो वह बोलता है मैं स्टूडेंट एक्सचेंज की टीम में सिलेक्शन हुआ है तो मैं पाकिस्तान जाऊंगा।
वह तो यही सुनना चाहते थे उसी समय उन्होंने उसको बताया मैंने तेरा कंप्यूटर देख लिया है। तू टेरेरिस्ट ग्रुप के अंदर कैसे जुड़ गया और अपराधिक प्रवृत्ति कैसे करने लग गया।
क्या तेरे मम्मी पापा को पता नहीं है कि तू क्या करता है। तो उसने बताया यहां मां बाप बच्चों के काम में कोई भी एक दूसरे के काम में दखल नहीं देता है।
तब उन्होंने उसको समझाया कि तू यह देख तो तुम्हारे नेता है उनके बच्चे तो बड़े-बड़े स्कूलों में विदेशों में पढ़ रहे हैं और वह तो टेरेरिस्ट नहीं बन रहे है। टेरेरिस्ट बनने के लिए यह दूसरे देशों से छोटे-छोटे बच्चों को बरगला कर उनका दिमाग आपराधिक व्यक्ति के तरफ मोड़ देते हैं। और वे उनका कहा हर काम करने लगते हैं। और उनके हाथ की कठपुतली बन जाते हैं। यह सब सुनकर पहले तो उसने बहुत विरोध करा ।
मगर फिर उसने दादा के कहने पर उनके सारे बड़े नेताओं के बच्चों के बारे में पता किया तो सबके बच्चे बाहर ही पढ़ते थे। और उस ग्रुप में कोई भी नहीं था तब उसके दिमाग में यह बात समझ में आई। और उसने दादाजी को पांव पकड़े और माफी मांगी कि अब मैं इसमें से निकलूं कैसे। उन्होंने उसको निकलने का रास्ता बताया। और शाम को जब उसके पिता आए तब उनको यह सारी बात बताई। दूसरे दिन उन लोगों को वापस घर जाना था उनके मन में यह शांति थी कि मेरे अभी पोता पोती दोनों बच्चे गलत राह पर नहीं है। वह लोग जैसे ही तैयार होकर बाहर निकले देखते हैं। पूरा का पूरा परिवार उनके साथ जाने के लिए तैयार है। वे बोले तुम लोग क्या कर रहे हो तो पूरा परिवार एकदम दादा दादी से लिपट जाता है ।
और बोलता है हमको भी अपनी खुशी में शामिल कर लो ।
हमको भी भारत ले चलो घर ले चलो। अपन सब खुशी से एक साथ रहेंगे और अपनी दुनिया में खुश रहेंगे और सब खुशी-खुशी अपने देश अपने घर और रवाना होते हैं।
स्वरचित कहानी 10 जुलाई 21
