अपने जब हों साथ
अपने जब हों साथ
परिवार एक ऐसा धन होता है, जो आप हम ख़रीद नहीं सकते। सब कुछ ख़रीद सकते हैं लेकिन परिवार ही है जिसे ख़रीद नहीं सकते। हमारी लाइफ़ में सब कुछ ठीक हो और अचानक एक तूफान आये और सब कुछ उथल पुथल हो जाये, उस परेशानी से हिम्मत हार जाये, तब हमारा परिवार ही है जो पूर्ण योगदान देता है। तब हमें अहसास होता है कि अरे हम लड़ सकते हैं। बड़े से बड़े तूफानों से भी लड़ सकते हैं। हर वक्त परिवार की मज़बूती से हम सभी के साथ हर जरुरत पर खड़ा होना ही हम सबके अंदर एक ताकत पैदा करते है। हम सब कर सकते हैं। जब तक हम सभी की जिंदगी बहुत ही आराम से बिना किसी उतार चढ़ाव के चलती है। तब तक सब कुछ ठीक रहता है। उस समय हमें किसी की ज़रूरत नहीं महसूस होती है। लेकिन जब हमारी परिस्थितियों में बदलाव आता है। तो हमे परिवार, ईश्वर, सब याद आते हैं।
हमे हर किसी रिश्ते का ख्याल और क़द्र करनी चाहिए। हमे अपने परिवार वालों का हमेशा साथ देना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा मिलना -जुलना और जब मौका मिले तो एक साथ अपने परिवार जन के साथ समय बिताना। जिससे परिवार को भी अच्छा लगे। और जब हम आप अपने परिवार के साथ खड़े होने के लिए हर वक्त तैयार रहेंगे। तो परिवार भी हमारे साथ अवश्य खड़ा होगा।
एक बार कुछ गलत लोग राजेश का पीछा कर रहे थे। तब तक राजेश ने अपनी बड़ी भाभी को मैसेज कर के और लोकेशन भेज दिया। इस मुसीबत में बस ये था कैसे बचें। राजेश की भाभी ने बड़ी ही चालाकी और चतुराई की वजह से अपने देवर की जान बचा ली। जिस जगह राजेश था, उसी लोकेशन को फॉलो करती 5 से 7 गाड़ी अपने परिचितों को लेकर पहुँची। और राजेश की गाड़ी के आगे पीछे हो गयी सारी गाड़ियाँ। कभी दो गाड़ी के बीच मे कभी राजेश की गाड़ी को सबसे आगे इसी तरह घण्टों मशक्कत करते हुए घर तक सुरक्षित लेकर आई। बाकी सारी गाड़ी वापस भेज दी। राजेश को जिस परिवार से बिल्कुल भी कोई मतलब नहीं था। आज वही राजेश अपने परिवार के लिए मर मिटता है।
"परिवार हर परीक्षा की घड़ी में एक तरह से ढाल बनकर खड़ा रहता है। यह बहुत बड़ी बात है। मानसिक रूप से सहारा बनना, हर कदम पर साथ देना। सब अपने अपने अनुसार यथायोग्य सहारा बने।"
जब अपने साथ होगें। तब हर परेशानी से लड़ने की क्षमता आप मे हममें सब में होगी। परिवार का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। कुछ लोग कभी कभी तनावग्रस्त हो जाते हैं। जब परिवार में एकता होती है तो हर काम हर जगह अच्छा लगता है।